Madhya Pradesh News: जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो इंसान की सोच और जीने का मकसद पूरी तरह बदल देती है. सागर की रहने वाली शिल्पी भार्गव की कहानी भी कुछ ऐसे ही है. जब शिल्पी ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया, तो पूरे परिवार में खुशियों का माहौल था, लेकिन ये खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकी. कुछ ही समय बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी बेटी को हृदय से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है.
इसके बाद शुरू हुआ इलाज का संघर्ष-कभी भोपाल तो कभी दिल्ली के अस्पतालों के चक्कर. इसी दौरान शिल्पी ने अस्पतालों में कई ऐसे मासूम बच्चों को देखा, जो सिर्फ इसलिए इलाज नहीं करवा पा रहे थे, क्योंकि उनका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं था. उस पीड़ा को पास से महसूस करते हुए शिल्पी ने एक बड़ा फैसला लिया कि अब ये हर उस जरूरतमंद बच्चे के इलाज में मदद करेंगी, जिसे इलाज की दरकार है.
कई बच्चों को मिल चुकी है नई जिंदगी
अपनी बेटी वेदिका के नाम पर शिल्पी भार्गव ने "वेदिका फाउंडेशन" की स्थापना की. इस फाउंडेशन की एक समर्पित टीम आज ऐसे बच्चों को अस्पताल लेकर जाती है और उनका पूरा इलाज करवाती है. इलाज का पूरा खर्चा वेदिका फाउंडेशन खुद वहन करता है. अभी तक कई गंभीर रूप से बीमार बच्चों का सफल इलाज इस फाउंडेशन के माध्यम से कराया जा चुका है.
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एनडीटीवी से बातचीत के दौरान शिल्पी भार्गव भावुक हो गई. उन्होंने कहा कि बच्चे का दर्द सबसे बड़ी पीड़ा होती है. बहुत से माता-पिता इलाज सिर्फ इसलिए नहीं करवा पाते थे, क्योंकि वह बेहद महंगा होता है. लेकिन, अब वेदिका फाउंडेशन ऐसे लोगों के लिए एक सहारा बनेगा. शिल्पी भार्गव की यह पहल समाज के लिए एक मिसाल है. जहां एक मां ने अपनी बेटी की बीमारी को दुख नहीं, बल्कि दूसरों की मदद का जरिया बना लिया. वेदिका फाउंडेशन आज जरूरतमंद बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है.
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