Cornea transplant surgery in Bundelkhand Medical College: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) को नेत्र प्रत्यारोपण के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली है. आई बैंक के माध्यम से मिले दान किए गए कॉर्निया से दो मरीजों- एक माह की बच्ची और 35 वर्षीय महिला की आंखों की रोशनी वापस लौटा दी गई. दोनों जटिल सर्जरी नेत्र रोग विभाग की टीम ने सफलतापूर्वक की.
बीएमसी के डीन डॉ. पी.एस. ठाकुर ने बताया कि कॉर्निया प्रत्यारोपण और नेत्र दान दृष्टिहीनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. दान किए गए स्वस्थ कॉर्निया से क्षतिग्रस्त पुतली को बदला जाता है, जिससे आंखों का धुंधलापन, दर्द और दृष्टि संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. यह सेवा बीएमसी में पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है.
1 माह की बच्ची की आंख में लौटी रोशनी
डॉ. ठाकुर के अनुसार, एक माह की बच्ची को 15 दिन पहले आंखों में गंभीर संक्रमण के कारण बीएमसी के आई वार्ड में भर्ती किया गया था. दोनों आंखों की पुतलियां क्षतिग्रस्त हो चुकी थीं और बच्ची लगातार दर्द से परेशान थी. जांच के बाद विशेषज्ञों की टीम ने आई बैंक से दान किए हुए कॉर्निया से पुतली प्रत्यारोपण सर्जरी की. एनेस्थीसिया टीम की मदद से की गई यह जटिल सर्जरी सफल रही और बच्ची की एक आंख की रोशनी लौट आई है. बच्ची की स्थिति अभी पूरी तरह स्थिर बताई जा रही है.
35 वर्षीय महिला की जिंदगी में भी लौटा उजाला
दूसरे मामले में 35 वर्षीय महिला की एक आंख लकड़ी लगने से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी. पुतली पर छाले और संक्रमण के कारण उनकी दृष्टि लगभग समाप्त हो चुकी थी. आई बैंक और नेत्र रोग विभाग की टीम ने कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किया, जिसके बाद उनकी आंख की रोशनी फिर से लौट आई. महिला ने सफलता पूर्वक सर्जरी होने के बाद स्वयं को बेहद सौभाग्यशाली बताया.
दोनों मामलों की सफलता से बीएमसी आई बैंक और नेत्र रोग विभाग की टीम के कार्य की व्यापक सराहना हो रही है.