अब कौन बिखेरेगा ऐसा हास्य रंग! प्रसिद्ध व्यंग्यकार साजन ग्वालियरी नहीं रहे, गड़बड़ रामायण से बनाई थी पहचान

Sajan Gwaliory Death: सबको अपनी रचनाओं से गुदगुदाने वाले प्रसिद्ध हास्य कवि और व्यंग्यकार साजन ग्वलियरी अब इस दुनिया में नहीं रहे. गड़बड़ रामायण से उन्हें जो ख्याति मिली थी वह आज भी कायम है. आइए जानते हैं उनको याद करते हुए किसने क्या कुछ कहा?

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Sajan Gwaliory Passed Away: हास्य-व्यंग्य (Hasya-vyang) के जाने-माने कवि साजन ग्वालियरी नहीं रहे. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका इलाज भी चल रहा था, लेकिन बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली. वे लगभग 80 वर्ष के थे. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई है. उनकी गड़बड़ रामायण (Gadbad Ramayan) नामक रचना देश भर में बहुत चर्चित और लोकप्रिय हुई. कवि साजन मूलतः ग्वालियर के रहने वाले थे. उनका शैक्षणिक नाम रामसेवक भार्गव था, लेकिन शायद ही कोई हो जो उन्हें इस नाम से जानता और पहिचानता हो. वे सिर्फ साजन ग्वालियरी के नाम से ही चर्चित थे. वे लगभग पचास वर्षों से कविता के साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय थे. वे ऐसे कवि थे, जो मंच से श्रोताओं को हूट करने की चुनौती देकर तालियां बजवाने की कुब्बत रखते थे.

यादों में साजन...

जाने-माने पत्रकार और कवि राकेश अचल बताते हैं कि साजन जी ने ग्वालियर की लोहामंडी के एक मंदिर में रहकर अपनी यात्रा शुरू की थी. उनके साथ कक्षा 5 में पढने वाले वेदप्रकाश जी बताते हैकि साजन का जीवन बहुत संघर्षमय रहा. उन्होंने कक्षा 8 की पढाई करते हुए पहली कविता 'गड़बड़ रामायण' लिखी थी. वे लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता थे, लेकिन उन्होंने जितनी सड़कें नहीं बनाएं उससे कहीं ज्यादा कविताएं लिखीं. वे मूलत: कवि ही थे, शायर नहीं, लेकिन उनका नाम शायरों जैसा था.

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अस्सी और नब्बे के दशक से ही साजन जी अंचल के सबसे ज्यादा लोकप्रिय हास्य कवि हुआ करते थे. प्रकाश मिश्रा उनके समकालीन हैं. उस जमाने में कविता में छंद का साम्राज्य था. गीतकार ज्यादा थे, व्यंग्यकार भी गीतकार ही होते थे. तब स्वर्गीय मुकुट बिहारी सरोज बड़े व्यंग्य गीतकार थे, लेकिन हास्य लिखने वाले साजन जी जैसे गिने-चुने कवि थे. वे पूरे देश में कविताएं पढ़ने जाते थे.

अचल जी कहते हैं कि कम बजट के कवि सम्मेलन (Kavi Sammelan) हों या बड़े बजट के कवि सम्मेलन साजन जी सबके लिए उपलब्ध रहते थे. साजन जी ने निरंतर लिखा. वे अकेले एक से दो घण्टे तक माइक पर जमे रह सकते थे. उन्हें हूट करना किसी के बूते की बात नहीं थी.

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 वे हास्य में व्यंग्य के जरिये सामाजिक विद्रूपता पर प्रहार करते थे. उन्होंने लिखा-हमने जिनको अपना समझा,वे सब धोखेबाज हुए, जूते भी थे नहीं पाँव में ,उनके सर पर ताज हुए. साहित्यिक चोरी पर प्रहार करते हुए उन्होंने एक जगह लिखा भी है कि 'मौलिकता पर लकर रहे जमकर के आघात सभी जगह पर घूमती चोरों की बरात.'

अचल जी बताते है कि एक बार स्वर्गीय बैजू कानूनगो का एक गीत एक महिला कवियत्री ने चुरा लिया था. साजन जी और प्रदीप चौबे जी ने जब तक उस कवियत्री को ग्वालियर बुलाकर बैजू जी के सामने नाक रगड़कर माफ़ी नहीं मंगवा ली तब तक चैन से नहीं बैठे. 

इस समय मंचों के चर्चित कवि तेजनारायण शर्मा ने लिखा है- अपने सम्पूर्ण जीवन मे ठहाकों के लिए जाने जाने वाले साजन ग्वालियरी जी हमारे सुदीर्घ मंचों के सुविख्यात हस्ताक्षर थे. उनका जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति है. देश के जाने माने शायर अतुल अजनवी ने कहा कि वे फक्कड़ स्वभाव के कवि थे. एकदम अलमस्त. वे नए साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते थे और ऐसे बुजुर्ग थे, जो युवाओं में भी ताजगी भरने के सिद्धस्त थे. उन्हें साहित्यिक मंच और श्रोता दोनों ही सदैव याद करेंगे.

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