Madhya Pradesh News: ये तस्वीर भोपाल में बेहतर सड़कों के सारे दावों की पोल खोल रही है. इस चित्र को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि शहर की सड़कें कैसी हैं. देश की सबसे स्वच्छ राजधानी भोपाल की सड़कों पर अगर आप चल रहे हैं, तो आपको यह पता लगाना जरूरी है कि यह सड़क नगर निगम के पास है या फिर लोक निर्माण विभाग के पास. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ऐसा अधिकारी कह रहे हैं.
भोपाल की सड़कें गड्ढों में तब्दील
मानसून की तेज बारिश के बाद भोपाल की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं.कई जगह सड़कें उखड़ी भी हैं, जिससे राहगीरों को खासा परेशानी का समाना करना पड़ रहा है.भोपाल सड़कों का काम नगर निगम और PWD विभाग देखता है.PWD के पास भोपाल में 573 किलोमीटर की सड़कें हैं, जबकी नगर निगम के पास साढ़े चार हज़ार किलोमीटर सड़कों का जिम्मा है.दोनों ही विभागों के अंतर्गत आने वाली सड़कों में गड्ढे ही गड्ढ़े हैं...
PWD ने बनाया था लोकपथ एप्लीकेशन
सड़कों को दुरुस्त करने के लिए मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने एक एप्लीकेशन का निर्माण किया था, जिसका नाम रखा लोकपथ है.इस एप्लीकेशन को लॉन्च करने के पीछे मंशा यह थी कि आम जनता इसके जरिए खराब सड़कों की शिकायत करे और उसका समाधान किया जा सके. लेकिन इस एप्लीकेशन में प्रदेश 40 हज़ार रुपये किलोमीटर की 1206 सड़कें ही रजिस्टर्ड हैं, जबकि पीडब्ल्यूडी के पास राज्य में 81 हज़ार किलोमीटर की सड़क हैं, लिहाजा बड़ी संख्या में सड़कों के रजिस्टर्ड न होने के चलते लोग इस एप्लिकेशन पर शिकायत नहीं कर पा रहे हैं. अफसरों का दावा है कि जितनी सड़कें रजिस्टर्ड हैं, उनसे जुड़ी शिकायतों का लगातार तेजी से स्व निराकरण किया जा रहा.
इनके बीच सामंजस्य की कमी
PWD के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने बताया कि जहां पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. वहीं, सड़कों में गड्ढे हैं और दिक्कत हो रही है. लोकपथ एप्लिकेशन हेल्पफुल साबित हो रही है.बारिश में हमारे लिए चैलेंज हैं.81 हज़ार किलोमीटर की सड़कें PWD के पास हैं. 9315 किलोमीटर की सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग है. भोपाल में 573 किलो मीटर की सड़कें हमारे पास हैं, जबकि नगर निगम के पास करीब 4 हज़ार किलोमीटर की सड़कें हैं.
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यहां पैच रिपेयर का काम किया जा रहा
भोपाल ,ग्वालियर ,सागर में नई टेक्नोलॉजी से पैच रिपेयर का काम किया जा रहा है. 40 हज़ार सड़कें जिओ मैप की गई हैं...जितनी शिकायत प्राप्त हो रही है प्रतिदिन उसका निराकरण किया जा रहा है.शहरी सड़कें जबलपुर -ग्वालियर में लगभग नगर निगम के पास हैं, जबकि भोपाल में ऐसा नहीं है. कॉर्डिनेशन की कई बार कमी होती है.
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