RGPV में आर्थिक अनियमितताओं के दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, CM मोहन यादव ने दिए जांच के निर्देश

RGPV Bhopal: भोपाल में पिछले तीन दिनों से एबीवीपी के कार्यकर्ता धरने पर हैं. उनकी मांग है कि यूनिवर्सिटी की अनियमितताओं को दूर किया जाए और छात्रों के साथ हुए फ्रॉड की जांच हो.

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आंदोलन पर बैठे कार्यकर्ताओं से मिले इंदर सिंह परमार

Bhopal News: भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) में गंभीर आर्थिक अनियमितताएं (Economic Irregularities) होने की शिकायत को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) बीते तीन दिनों से आंदोलन कर रहा है. रविवार सुबह आंदोलन कर रहे छात्रों से मिलने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार  (Inder Singh Parmar) पहुंचे. उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. वहीं, रविवार शाम को मंत्री इंदर सिंह परमार ने सीएम से मिलकर उन्हें मामले से अवगत कराया. 

तत्काल कार्रवाई के दिए निर्देश

पूरे मामले को समझकर और इसकी गंभीरता को देखते हुए सीएम मोहन यादव ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद गांधीनगर थाना में पूरा प्रकरण दर्ज हुआ. साथ ही सीएम ने विश्वविद्यालय की वित्त शाखा के सभी संबंधित अधिकारियों को हटाकर उच्च स्तरीय समिति गठित कर जांच करने के निर्देश भी दिए. सीएम ने कहा है कि जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.

विश्वविद्यालय के कर्मचारियों पर ये है आरोप

दरअसल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने अनाधिकृत रूप से 19 करोड़ रुपए निजी खातों में ट्रांसफर कर लिए थे. इसको लेकर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता पिछले तीन दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. एबीवीपी के लोगों का कहना है कि उनकी शिकायत के बाद जो जांच समिति गठित की गई, उस समिति द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच प्रतिवेदन शासन को प्रस्तुत किया गया है.

पांच सालों से नहीं हुआ विश्वविद्यालय का ऑडिट

एबीवीपी का कहना है कि मामले से जुड़े जांच रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक किया जाना चाहिए. साथ ही इसके आधार पर तुरंत कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. विश्वविद्यालय का ऑडिट भी पांच सालों से नहीं हुआ है. ऑडिटर और चार्टेड अकाउंटेंट पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. 

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'अनियमिताओं की हो व्यापक जांच'

विद्यार्थी परिषद का यह भी मानना है कि पिछले 5 सालों के सभी आर्थिक व्यवहार के साथ सभी कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर के परचेसिंग पर ध्यान देते हुए जांच के दायरे को बढ़ाना चाहिए. विश्वविद्यालय की आर्थिक अनियमिताओं पर व्यापक जांच करते हुए दोषियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. जब तक उन्हें एफआईआर की कॉपी नहीं मिलेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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