RGPV Bhopal: एफडी घोटाले में 6 महीने से फरार चल रहे पूर्व रजिस्ट्रार ने किया सरेंडर, अब पुलिस कस्टडी में गए

RGPV Bhopal FD Scam: आरजीपीवी के कुल सचिव द्वारा 19.48 करोड रुपये के घोटाले को लेकर थाना प्रभारी गांधीनगर को तीन मार्च 2024 पत्र से जानकारी दी गई थी. इसमें प्रोफेसर और पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत तत्कालीन कुल सचिव, ऋषिकेश वर्मा वित्त नियंत्रक, प्रोफेसर सुनील कुमार अवकाश पर रहे कुलपति, लाभार्थी मयंक कुमार एवं दलित संघ सोहागपुर एवं अन्य के विरुद्ध विश्वविद्यालय की राशि को आपराधिक साजिश से निजी खातों में अंतरित करने और लेखा शाखा के रिकार्ड कूटरचित तरीके से तैयार करने का जिक्र था.

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Rajiv Gandhi Proudyogiki Vishwavidyalaya Bhopal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Rajiv Gandhi Proudyogiki Vishwavidyalaya) यानी आरजीपीवी (RGPV) में हुए करीब 19.48 करोड़ रुपये के एफडी घोटाला (RGPV FD Scam Case) मामले में छह महीने से फरार चल रहे पूर्व रजिस्ट्रार राकेश कुमार राजपूत (Former Registrar Rakesh Kumar Rajput) ने गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (Special Judge) के न्यायालय (Court) में सरेंडर कर जमानत की मांगी, जिस पर विशेष लोक अभियोजक पीएन सिंह राजपूत ने आपत्ति ली. उसके बाद विशेष न्यायाधीश राम प्रसाद मिश्र ने आरोपित पूर्व रजिस्ट्रार को 10 सितंबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया. इससे पहले उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने भी आरोपित की जमानत नामंजूर कर दो सप्ताह के भीतर न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया था.

क्या है मामला?

आरजीपीवी के कुल सचिव द्वारा 19.48 करोड रुपये के घोटाले को लेकर थाना प्रभारी गांधीनगर को तीन मार्च 2024 पत्र से जानकारी दी गई थी. इसमें प्रोफेसर और पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत तत्कालीन कुल सचिव, ऋषिकेश वर्मा वित्त नियंत्रक, प्रोफेसर सुनील कुमार अवकाश पर रहे कुलपति, लाभार्थी मयंक कुमार एवं दलित संघ सोहागपुर एवं अन्य के विरुद्ध विश्वविद्यालय की राशि को आपराधिक साजिश से निजी खातों में अंतरित करने और लेखा शाखा के रिकार्ड कूटरचित तरीके से तैयार करने का जिक्र था.

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पत्र के साथ राज्य शासन की ओर से गठित जांच कमेटी के द्वारा तैयार किया गया था. जांच प्रतिवेदन की प्रति भी विश्वविद्यालय के शिकायत पत्र के साथ थाना गांधीनगर को दे दी थी. इस आधार पर थाना गांधीनगर ने आरोपितों पर धोखाधड़ी के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज किया था.

केस दर्ज होते ही साथियों के साथ आरके राजपूत फरार हो गए थे. पुलिस उसकी गिरफ्तारी को लेकर उसकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई और लुकआउट नोटिस तक जारी हो चुके थे, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था.

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