Lok Sabha Election results 2024: एमपी के रीवा संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जनार्दन मिश्रा ने 193974 हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. जनार्दन मिश्रा को कुल 477459 मत प्राप्त हुए हैं, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी इंडियन नेशनल कांग्रेस की उम्मीदवार नीलम अभय मिश्रा को 284085 मत प्राप्त हुए. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार एडवोकेट अभिषेक मास्टर बुद्धसेन पटेल को 117221 मत प्राप्त हुए. रीवा संसदीय क्षेत्र में 14 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था.
अन्य उम्मीदवारों में इंजीनियर देवेंद्र सिंह सपाक्स पार्टी को 4076 मत मिले, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक के रामगोपाल सिंह को 3509 मत मिल्. रंजन गुप्ता राष्ट्रवादी भारत पार्टी को 2160 मत, बिपिन सिंह पटेल राष्ट्रीय हिन्द एकता दल को 1806 मत प्राप्त हुए. रीवा लोकसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवारों अरुण तिवारी मिंटू को 1113 मत, अरूणेन्द्र नारायण पाण्डेय को 1551 मत, जनार्दन मिश्रा को 2295 मत, दयाशंकर पांडे को 4610 मत, प्रसन्नजीत सिंह को 3313 मत, इंजीनियर रामकुमार सोनी को 3873 मत तथा रोशन लाल कोल को 4122 मत प्राप्त हुए.
ये रहे मौजूद
नोटा को 6936 मत प्राप्त हुए. लोकसभा क्षेत्र में डाक मत पत्रों सहित कुल मतों की संख्या 919647 रही. कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी प्रतिभा पाल ने निर्वाचित प्रत्याशी को प्रमाण पत्र प्रदान किया. इस मौके पर उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, विधायक मनगवां नरेन्द्र प्रजापति, जिला पंचायत अध्यक्ष नीता कोल, अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे. सुबह 5.30 बजे उम्मीदवारों और निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति में स्ट्रॉन्ग रूम खोले गए.
रीवा लोकसभा सीट का क्या रहा है इतिहास
इतिहास के पन्नों पर नजर डाली जाए, तो लोकसभा के अभी तक 18 चुनाव हुए हैं. पहले चुनाव 1952 में हुए थे, फिर 52 से लेकर 68 तक कांग्रेस पार्टी यहां से जीत ती रही. यहां से राजभान सिंह तिवारी पहली बार सांसद बने . 1957 में शिवदत्त उपाध्यक्ष चुनाव जीते. शिवदत्त 1962 में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 1967 के चुनाव में कांग्रेस यहां से एक बार फिर जीती. इस बार प्रत्याशी एसएन शुक्ला थे. 1971 की बात की जाए, तो रीवा महाराजा मार्तंड सिंह ने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता. उनका चुनाव चिन्ह सूरज हुआ करता था. कांग्रेस ने उन्हें समर्थन दिया था. 1977 में आपातकाल के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यमुना प्रसाद शास्त्री ने भारतीय लोकदल के टिकट पर महाराजा मार्तंड सिंह को पराजित कर दिया, लेकिन महाराजा मार्तंड सिंह ने 80 में फिर से चुनाव जीत लिया था.
2014 और 2019 में भी रहे हैं विजेता
इस तरीके से महाराजा मार्तंड सिंह ने अपनी हार का बदला ले लिया. 1984 में महाराज मार्तंड सिंह फिर संसद पहुंचे. 89 में जनता दल के टिकट पर यमुना प्रसाद शास्त्री एक बार फिर चुनाव जीत गए. फिर आया 90 का दशक 1991 में बहुजन समाज पार्टी के भीम सिंह यहां से चुनाव जीते. 1996 में भी बहुजन समाज पार्टी यहां से चुनाव जीती. प्रत्याशी थे बुद्ध सेन पटेल. 1998 में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रमणि त्रिपाठी चुनाव जीत गए. लेकिन एक साल बाद हुए चुनाव में चंद्रमणि त्रिपाठी को श्रीनिवास तिवारी ने पराजित कर दिया था. जिसका बदला लिया 2004 में चंद्रमणि त्रिपाठी ने और एक बार फिर सांसद बन गए. 2009 में बीएसपी के देवराज सिंह पटेल चुनाव जीते. उसके बाद से 2014-19 और अब 2024 में जनार्दन मिश्र लगातार चुनाव जीत चुके हैं.
अब तक तीन बार दो प्रत्याशी जीत पाए हैं
रीवा लोकसभा के इतिहास में महाराजा मार्तंड सिंह 1971 के बाद 80 और 84 में लोकसभा का चुनाव जीते थे. उन्हें कांग्रेस का समर्थन था, लेकिन वह थे निर्दलीय प्रत्याशी. उसके बाद जनार्दन मिश्रा ने लगातार तीन बार संसद में पहुंचने का कारनामा किया है.
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अनोखी है रीवा लोकसभा सीट
रीवा से कभी महाराजा चुनाव जीते तो कभी दोनों आंख गवा चुके अंधे व्यक्ति संसद में पहुंच गए. तो कभी बीएसपी का खाता खुला रीवा लोकसभा सीट में. महाराजा मार्तंड सिंह तीन चुनाव जीते. उन्हें हराया गोवा स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी आंख गंवाने वाले प्रख्यात समाजवादी नेता यमुना प्रसाद शास्त्री ने. कांशीराम ने जब बहुजन समाज पार्टी बनाई खुद संसद में नहीं पहुंच पाए. उनकी पार्टी का खाता तब रीवा लोकसभा सीट से ही खुला था.
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