रीवा में कोर्ट का बड़ा फैसला: इस एक जुर्म के लिए दी दोहरे आजीवन कारावास की सजा

रीवा में जिला अदालत ने एक ही जुर्म के लिए दो आरोपियों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. ये दुर्लभ फैसला दुष्कर्म के एक मामले में आया है. दरअसल अदालत ने दुष्कर्म के मामले में पहला आजीवन कारावास फिर पीड़ित महिला के SC-ST होने की वजह से  अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत दूसरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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Madhya Pradesh Crime News: रीवा में जिला अदालत ने एक ही जुर्म के लिए दो आरोपियों को दोहरे आजीवन कारावास (Life imprisonment) की सजा सुनाई है. ये दुर्लभ फैसला दुष्कर्म के एक मामले में आया है. दरअसल अदालत ने दुष्कर्म के मामले में पहला आजीवन कारावास फिर पीड़ित महिला के SC-ST होने की वजह से  अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत दूसरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 8 साल के बाद आए इस फैसले में अदालत ने दोनों आरोपियों पर एक हजार का जुर्माना भी किया है. जाहिर है अदालत का ये फैसला अपराधियों के लिए एक नजीर बनेगा. 

मामला रीवा के लौर थाना (Laur police station) अंतर्गत ग्राम करहिया स्थित सिंगवा टोला का है. यहां 8 साल पहले यानी 4 मार्च 2016 की रात को एक महिला पड़ोस में रहने वाली चाची के घर सब्जी लेने जा रही थी. तभी गांव के ही दो लोग वीरेंद्र शुक्ला और रावेद्र शुक्ला उससे मिले.

पीड़ित महिला उनके यहां काम करती थी. दोनों ने कहा कि तुम्हारी मजदूरी का पैसा बचा हुआ है. उसे लेने के लिए घर पर आ जाओ. महिला ने ऐसा करने से इनकार किया तो दोनों ने महिला  का मुंह दबाया और पास के ही एक खाली जगह पर ले गए. यहां दोनों ने महिला के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. बाद में महिला किसी तरह से अपने परिजनों के पास पहुंची और पूरी वारदात की जानकारी दी. जिसके बाद परिजन पीड़िता को लेकर लौर थाने पहुंचे. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. अब मामले की सुनवाई के बाद एससी एसटी एक्ट विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार की अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा चूंकि महिला अनुसूचित जाति की है इसलिए अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धारा 3 के तहत भी दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इसी के साथ 1000 हजार के अर्थ दंड से भी आरोपियों को दंडित किया गया है. इस मामले में पीड़िता की ओर से विशेष लोक अभियोजक राकेश कुमार निगम ने पैरवी की थी. 

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