"गजेटेड ऑफिसर से पूछे धर्म क्या है... "? सेना भर्ती में धर्म-पत्र पर बोले दिग्विजय सिंह

Army Recruitment 2024 : बिहार और सागर में टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती में शामिल होने गए ग्वालियर-चंबल अंचल के युवाओं को उस वक्त निराशा हुई जब उन्हें धर्म प्रमाण पत्र न होने के चलते वापस भेज दिया गया और कहा गया कि जाति प्रमाण पत्र के साथ धर्म प्रमाण पत्र भी अनिवार्य है.

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MP News in Hindi : सेना की भर्ती के लिए आने वाले युवाओं से अन्य दस्तावेजों के साथ इस बात का प्रमाण पत्र भी मांगा जा रहा है कि वे गजेटेड ऑफिसर से यह सर्टिफिकेट लें कि उनका धर्म क्या है. इसके कारण युवाओं को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकारी ऐसा कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे. वहीं, इस पर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसे X पर पोस्ट कर रक्षा मंत्री से इसे बंद करने की मांग की. कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सेना भारत की है और उसमें सभी जवान भारत के लिए लड़ने को भर्ती होते हैं. उन्हें धर्म या जाति के आधार पर बांटना बेहद घातक है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल

इस समय यहां सेना की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. देशभर से युवा लंबी तैयारी के बाद चयन प्रक्रिया में भाग लेने आ रहे हैं लेकिन उन्हें शुरुआत में ही दस्तावेज़ सत्यापन में दिक्कत हो रही है क्योंकि उनसे शिक्षा, जाति, जन्म आदि के साथ धर्म का प्रमाण पत्र भी मांगा जा रहा है. अभ्यर्थियों से कहा जा रहा है कि वे तहसीलदार या किसी अन्य राजपत्रित अधिकारी जो कार्यकारी मजिस्ट्रेट हो, उसकी तरफ से जारी प्रमाण पत्र पेश करें. साथ ही जिसमें लिखा हो कि अभ्यर्थी हिंदू, सिख, मुस्लिम या ईसाई है. इसके बिना उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने नहीं दिया जा रहा.

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भर्ती होने आए युवाओं का कहना है कि कोई भी अधिकारी धर्म का प्रमाण पत्र बनाने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि उन्हें इसका अधिकार नहीं है. ऐसे में युवा दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

धर्म प्रमाण पत्र अनिवार्य

भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी विंग की तरफ से भर्ती के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन में धर्म प्रमाण पत्र साथ लाने को कहा गया है. भारत में सर्व धर्म समभाव की परंपरा रही है, लेकिन टेरिटोरियल आर्मी में मांगे जा रहे धर्म प्रमाण पत्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं. बिहार और सागर में टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती में शामिल होने गए ग्वालियर-चंबल अंचल के युवाओं को उस वक्त निराशा हुई जब उन्हें धर्म प्रमाण पत्र न होने के चलते वापस भेज दिया गया और कहा गया कि जाति प्रमाण पत्र के साथ धर्म प्रमाण पत्र भी अनिवार्य है.

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प्रशासन ने साधी चुप्पी

सेना भर्ती का सपना लिए अंचल के युवाओं के लिए यह आखिरी मौका है कि किसी तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें. लेकिन पहली बार भर्ती में मांगे गए धर्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता ने सभी युवाओं को निराश कर दिया है. इसके बाद कई युवा ओवर एज हो जाएंगे और इसका जवाब प्रशासनिक अधिकारियों के पास भी नहीं है. यही वजह है कि प्रशासन का कोई भी अधिकारी कैमरे के सामने नहीं आया.

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इस प्रक्रिया को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सर्व धर्म समभाव वाले देश में इस तरह का प्रमाण पत्र मांगना दुर्भाग्यपूर्ण है.

सियासत ने पकड़ा जोर

इस मामले के उजागर होने के बाद सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस पर सवाल उठाए. उन्होंने X पर पोस्ट कर रक्षा मंत्री से पूछा कि क्या यह खबर सही है? सेना में धर्म प्रमाण पत्र मांगना उचित नहीं है.

पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी ने भी इस पर घोर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं है. सेना भारत की है और सैनिक धर्म और जाति के लिए नहीं बल्कि देश के लिए लड़ता है. सेना जैसे संवेदनशील संगठन को जातियों और धर्मों में बांटने का यह प्रयास निंदनीय है और इसे बंद किया जाना चाहिए.

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18 नवंबर को होने वाली भर्ती पर सवाल

यहां बता दें कि बिहार और मध्य प्रदेश के सागर में 18 नवंबर को होने वाली सेना भर्ती में अभ्यर्थियों से धर्म प्रमाण पत्र मांगा गया था. जब युवा जिला प्रशासन के पास गए तो उन्होंने भी प्रमाण पत्र बनाने से इंकार कर दिया. अब देश सेवा करने के इच्छुक अभ्यर्थी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

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