Ratan Tata: लाखों करोड़ रुपये के टाटा समूह के मालिक थे रतन टाटा पर रहते थे इतनी सादगी से

Ratan Tata Death News: देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार की देर रात 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. रतन टाटा को एक दूरदर्शी उद्योगपति, दयालुता की मिसाल और एक असाधारण इंसान बताया जाता है. आइए जानते हैं उनकी सादगी के किस्से.

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Ratan Tata Passed Away: टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Sir Ratan Tata) अब हमारे बीच नहीं हैं. बुधवार 9 अक्टूबर को उन्होंने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. नमक (Tata Salt) लेकर एयरलाइंस (Airlines) तक में भारत को आत्मनिर्भर बनाया. समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव कूट-कूट कर भरा था. बेजुबानों को लेकर भी रतन टाटा फिक्रमंद रहते थे. यही वजह है कि टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trust) स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल खोला गया. 1 जुलाई को उद्योगपति रतन टाटा ने मुंबई में अपनी पसंदीदा परियोजना टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल का शुभारंभ किया था. रतन टाटा का पूरा जीवन सादगी की मिसाल रहा है. आइए जानते हैं उनके जीवन और उनकी सादगी से जुड़े किस्से...

रॉल्स-रॉयस से स्कूल जाने में हो जाते थे असहज

जेआरडी की तरह रतन टाटा भी वक्त के काफी पाबंद थे. बचपन और युवावस्था में अगर रतन टाटा मुंबई में रहते थे तो वो अपना वीकेंड अलीबाग के अपने फार्म हाउस में बिताते थे. उस दौरान उनके साथ कोई नहीं होता था, सिर्फ उनके कुत्तों के उनके साथ रहते थे. उनको घूमने का शौक नहीं था. उनको दिखावे से चिढ़ होती थी.

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बचपन में जब परिवार की शाही रॉल्स-रॉयस कार उन्हें स्कूल छोड़ती थी, तो रतन टाटा इससे काफी असहज हो जाते थे. उनका जिद्दी स्वभाव उनकी खानदानी खूबी थी, जो उन्हें JRD Tata और पिता नवल टाटा से मिली थी.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार बॉम्बे डाइंग के प्रमुख नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा के बारे में कहा था कि "रतन का कैरेक्टर जटिल हैं. मुझे नहीं लगता कि कभी किसी ने उन्हें पूरी तरह से जाना है. वो बहुत गहराइयों वाले शख्स हैं. निकटता होने के बावजूद मेरे और रतन के बीच कभी भी व्यक्तिगत संबंध नहीं रहे."

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मजदूरों की तरह कपड़ा पहनकर किया काम

1962 के दौर में रतन टाटा ने टाटा स्टील प्लांट जमशेदपुर में काम करना शुरू किया था. उनके बारे में गिरीश कुबेर ने लिखा है कि "रतन टाटा जमशेदपुर में छह साल तक रहें. शुरूआत में टाटा ने एक मजदूर की तरह नीली ओवरऑल ड्रेस पहनकर अप्रेंटिसशिप की. बाद में रतन टाटा को प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया गया. इसके बाद वो MD एसके नानावटी के विशेष सहायक हो गए. बाद में जेआरडी टाटा ने उन्हें मुंबई बुला लिया था." रतन टाटा ने ऑस्ट्रेलिया में भी एक साल तक काम किया था. 1981 में जेआरडी ने रतन को टाटा इंडस्ट्रीज़ का प्रमुख बना दिया.

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पसंदीदा कॉफी न मिलने पर कभी क्रू को नहीं डांटा

इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारियों के बीच 1992 में एक सर्वे करवाया गया था. इस सर्वे में क्रू से पूछा गया था कि दिल्ली से मुंबई की उड़ान के दौरान ऐसा कौन सा यात्री है जिससे आप सबसे अधिक प्रभावित हैं? इसका परिणाम जब सामने आया तो सबसे अधिक वोट रतन टाटा को मिले. इस बारे में बताया गया था कि वो अकेले VIP थे जो अकेले चलते थे. उनके साथ उनका बैग और फाइलें उठाने के लिए कोई असिस्टेंट नहीं होता था. उड़ान भरते ही वो चुपचाप अपना काम शुरू कर देते थे. उनकी आदत थी कि वो बहुत कम शुगर के साथ ब्लैक कॉफी मांगते थे. कभी भी रतन टाटा ने अपनी पसंद की कॉफी न मिलने पर क्रू को नहीं डांटा था.

टाटा समूह पर गिरीश कुबेर ने ‘द टाटाज़ हाउ अ फैमिली बिल्ट अ बिजनेज एंड अ नेशन' नामक एक किताब में लिखा है कि ''जब टाटा संस का प्रमुख रतन टाटा को बनाया गया तो वो जेआरडी के कमरे में नहीं बैठे थे. उन्होंने अपने बैठने के लिए एक साधारण सा छोटा कमरा बनवाया.''

डॉग्स से था बेहद प्यार

रतन टाटा के पास दो जर्मन शैफर्ड डॉग होते थे एक का नाम ‘टीटो' और दूसरे का नाम ‘टैंगो'. इन्हे वो बेहद प्यार करते थे. डॉग्स से उनका प्यार इस हद तक था कि जब भी वो अपने ऑफिस पहुंचते थे, तो सड़क के आवारा कुत्ते उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ्ट तक जाते थे.

रतन के पूर्व सहायक आर वैंकटरमणन ने एक बार कहा था कि रतन टाटा को बहुत कम लोग करीब से जानते हैं. दो लोग हैं जो उनके बहुत करीब हैं. वे हैं ‘टीटो' और ‘टैंगो'. इनके अलावा कोई उनके आसपास भी नहीं आ सकता.

सुहेल सेठ ने उनके बारे में एक जगह बताया था कि 2018 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को बकिंघम पैलेस में रतन टाटा को  ‘रौकफेलर फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट' अवॉर्ड देना था. लेकिन समारोह से कुछ घंटे पहले रतन टाटा ने आयोजकों को यह सूचना दी कि वो वहां नहीं आ सकते क्योंकि उनका डॉग टीटो अचानक बीमार हो गया है. जब चार्ल्स को ये बताया गया तब उन्होंने कहा ये असली मर्द की पहचान है.

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