50 साल पहले PM इंदिरा गांधी ने किया था इस बांध का शिलान्यास, रिटायर हाेने लगे कर्मचारी, नहीं पाया लोकार्पण

Rani Laxmi Bai Sagar Dam: शिलान्यास के पचास वर्ष बाद भी लोकार्पण को यह बांध इंतनार करता नजर आ रहा है. ऐसा भी नहीं है कि इसके लोकार्पण के लिए कोई सामाजिक कार्यकर्ता आगे न आया हो एक सामाजिक कार्यकर्ता योगेश मिश्रा 12 वर्षों से राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया तक को पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन इसके बाबजूद दोनों ही प्रदेशों के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने आज तक इसके लोकार्पण के प्रति गम्भीरता नहीं दिखाई है.

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Rani Laxmi Bai Sagar Dam: आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि देश के प्रधानमंत्री (Former Prime Minister Indira Gandhi) ने पचास साल पहले करोड़ों रुपए के जिस प्रोजेक्ट (Dam Project) का शिलान्यास किया था उसका लोकार्पण आज तक नहीं हो पाया है. जी हां! आज हम आपको ऐसे ही एक बांध की मजबूरी दिखाने वाले हैं जो वर्षों पहले बनकर तो तैयार हो चुका है, लेकिन आज तक लोकार्पण के इंतजार कर रहा है. हम कोई छोटे प्रोजेक्ट की बात नहीं कर रहे हैं. यह बांध है मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा (MP-UP Border) पर बने रानी लक्ष्मीबाई सागर राजघाट बांध (Rajghat Dam) की, जिसका 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिलान्यास किया था.

बिजली उत्पादन भी शुरू हो गया, लेकिन लोकार्पण नहीं हुआ

सन 2000 में यह बांध बनकर तैयार हो गया. साथ ही 2005 से इस बांध में काम चालू हो गया. जिसमें 45 मेगावाट की बिजली का उत्पादन किया जाता है, यहां की बिजली को मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश में सप्लाई किया जाता है. इस बांध से दोनों ही राज्यों को पानी की सप्लाई की जाती है, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि एक ओर तो यहां वेतवा रिवर बोर्ड इसका संचालन कर रहा है और इसके कर्मचारी रिटायर्ड होने लगे हैं, लेकिन आज तक इस बांध का लोकार्पण नहीं किया गया है.

आज भी लगातार पत्राचार के बावजूद केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से लेकर उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश की सरकारों के बीच यह तय नहीं किया जा रहा कि आखिर कब इसका लोकार्पण कराया जाना है.

ऐसा नहीं है कि सरकारों को इसकी जानकारी न हो कई बार पत्राचार हुआ और 30 अप्रैल 2015 में तत्कालीन जल शक्ति मंत्री उमा भारती के नेतृत्व में यह तय हुआ कि इसका लोकार्पण किया जाएगा. 05 अगस्त 2019 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के डिप्टी सेकेट्री ने मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखकर इसके लोकार्पण की कार्रवाई करने को कहा गया था, लेकिन आज तक कागजी कार्रवाई कछुआ चाल चलती नजर आ रही है.

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