Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन त्योहार (Raksha Bandhan Festival) में भाईयों की कलाइयों पर बीजों से बनी राखियां सजेंगीं. इस पर्व के बाद इन राखियों (Rakhi) से बनेंगे पौधे (Plant), स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाएं ये राखियां तैयार की हैं. उनका मानना है कि रक्षाबंधन का पर्व प्यार और भरोसे के साथ अब पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भूमिका निभाएगा. वन विभाग (Forest Department) ने रेंजर (Ranger) पंकज शर्मा ने बताया कि वन विभाग की देख रेख में इन सीड राखियों को तैयार किया गया है. अब इन राखियों को बेचने के लिए रखा जाएगा.
कहां तैयार हो रही हैं राखियां?
छिंदवाड़ा के वन विभाग के कॉमन फैसिलिटी सेंटर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जो राखी तैयार कर रही हैं, वह बीजों से बनी है. बांस से बनी इन राखियों की खासियत यह है कि इन राखियों से विभिन्न प्रकार के फल और फूल के पौधों को लगाया जा सकता है यानी कलाई से जहां-जहां यह बीज बिखरेंगे, वहां पौधे उग जायेंगे और यदि राखियां सुरक्षित भी रह जाती हैं तो गमलों और क्यारियों में रखकर पौधे तैयार किए जा सकते है. इन राखियो से महिलाओं ने रोजगार तो पाया ही है और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश भी दिया है.
इन राखियों में बांस, नीलगिरी, नीम, ककड़ी, तुलसी, पपीता आदि के बीजों का इस्तेमाल किया गया है. अरुणा डहेरिया ने बताया कि पहले चरण में 500 राखियों को बनाया गया है. राखियों को पिछले वर्ष भी तैयार किया गया था. सीड राखियों के लिए महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई है.
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