Madhavi Raje Scindia Passed Away: सिंधिया राज परिवार की राजमाता और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia Mother) की मां माधवी राजे सिंधिया (Madhavi Raje Scindia) का अंतिम संस्कार (Madhavi Raje Scindia Funeral) 16 मई यानी गुरुवार को ग्वालियर के सिंधिया राज परिवार के छत्री परिसर में वहीं होगा जहां उनके पति माधव राव सिंधिया (Madhav Rao Scindia) की अंत्येष्ठि हुई थी. यहां उसकी तैयारियां चल रही हैं. अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में वीवीआईपी (VVIP) और संभाग भर से बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर प्रशासन और पुलिस जुटी हुई है.
विशेष विमान से आएगा पार्थिव शरीर
जयविलास पैलेस के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राजमाता की पार्थिव देह को लेकर उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य परिजन सुबह दस बजे विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना होंगे और पौने दस बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचेंगे. वहां से 11 बजे के आस पास सड़क मार्ग से उन्हें लाया जाएगा. 12 बजे के लगभग जयविलास पैलेस स्थित रानी महल पार्थिव देह पहुंचेगी. दोपहर ढाई बजे से उनके पार्थिव शरीर को अंचल से पहुंचे लोगों को अंतिम दर्शन और पुष्पांजलि के लिए रखा जाएगा. इस बीच उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी भी होगी. दोपहर 3 बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी जो आधा घंटे में सिंधिया परिवार के छत्री परिसर पहुंचेगी, यहां उनका हिन्दू रीति रिवाज और मराठा पद्धति से अंतिम संस्कार किया जाएगा.
माधव राव और उनकी मां की अंत्येष्ठि भी यही हुई थी
सिंधिया परिवार का यह छत्री परिसर काफी बड़े भूभाग में फैला है. यह जयविलास पैलेस से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर शाही दशहरा मैदान से ठीक पहले स्थित है. बीते 23 वर्षों में यहां परिवार की तीसरी अंत्येष्ठि होने जा रही है. सन 2000 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय नेता, माधव राव सिंधिया की मां का निधन हुआ था. 27 जनवरी 2000 को उनका अंतिम संस्कार किया गया था, इसके महज डेढ़ साल बाद ही माधव राव सिंधिया का मैनपुरी के समीप हुए एक विमान हादसे में 30 सितम्बर 2001 को निधन हो गया था, उनकी अंत्येष्टि भी यहीं हुई थी. यहां दोनों की छत्री बनी है और उनमें मूर्तियां भी लगी हैं. इनकी जयंती और पुण्यतिथि पर यहां श्रद्धांजलि और भजन के आयोजन होते है.
कुल तीन जगह है सिंधिया परिवार की छत्रियां
सिंधिया परिवार के दिवंगत सदस्यों की जहां अंत्येष्ठि होती है, वहां आकर्षक छत्रियां बनाई जाती थीं. इनकी सबसे पुरानी छत्री परिसर लश्कर इलाके में है. उस समय सिंधिया परिवार महाराज बाड़ा स्थित गोरखी महल में निवास करता था, लेकिन बाद में इस स्थल के आसपास घनी आबादी हो गई और सिंधिया परिवार गोरखी महल छोड़कर जय विलास पैलेस में रहने आ गया. इसके बाद ये नया छत्री परिसर स्थापित हुआ. महाराज जीवाजी राव सिंधिया की अंत्येष्टि भी यहीं हुई थी. एक और छत्री परिसर शिवपुरी में है. वहां माधो महाराज (माधव राव प्रथम ) और उनकी मां महारानी सख्या राजे की अंत्येष्ठि हुई थी. बाद में इन दोनों की वहां संगमरमर की आकर्षक छत्रियों का निर्माण कराया गया, जो राजपूत और मुगल स्थापत्य के मिश्रण का नायाब नमूना है. यहां मां और बेटे की छत्रियां आमने-सामने बनी थी.
ऐसी है राजमाता की अंत्येष्ठि की तैयारी
माधवी राजे के निधन की सूचना मिलते ही नगर निगम, पुलिस और प्रशासन तत्काल सक्रिय हो गया. कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान और एसपी धर्मवीर सिंह वहां पहुंचे और तैयारियों का जायजा लिया. कलेक्टर ने बताया कि पूरे रुट और छत्री स्थल पर यातायात, पार्किंग और सुरक्षा व्यवस्था के लिए व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं.
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