राम कथा में बोले SP- प्रशासन का हनुमान बनकर आया हूं, सुधर जाओ... रावण नहीं माना तो जली थी लंका

MP News: रामकथा में राजगढ़ के एसपी का दिया हुआ एक बयान इन दिनों खूब वायरल हो रहा है. इसमें वे उन्होंने कहा है कि चोरों की सूचना दें, धमकी मिले तो मैं पंचायत लूंगा.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के एसपी का राम कथा में दिया बयान खूब वायरल हो रहा है. उन्होंने असामाजिक तत्वों को चेतावनी देते हुए बोल दिया कि प्रशासन का हनुमान बनकर आया हूं, सुधर जाओ, रावण नहीं माना तो लंका जली थी. इस बयान की खूब चर्चा हो रही है. 

कथा के बीच पहुंचे थे SP

दरअसल गांव कड़िया में कथा चल रही थी. इस बीच राजगढ़ के एसपी आदित्य मिश्रा भी पहुंचे थे. उन्होंने कथा के बीच गांव कड़िया में लोगों के बीच पहुंचकर मंच से अपनी बात रखी.कड़ियां गांव चोरों का गांव कहा जाता है. जहां के लोग दूसरे प्रदेश में चोरी की घटना को अंजाम देते हैं.

ऐसे में एसपी ने लोगों को समझाइश दी और कहा कि रावण को हनुमान जी समझाने गए थे. कहा था सीता जी को वापस दे दो माफी मांग लो,रावण नहीं माना तो लंका जल गई. मैं आपके बीच प्रशासन का हनुमान बनकर आया हूं.सुधर जाओ आप दो कदम चलोगे में 20 कदम चलूंगा .

वीडियो शनिवार शाम 4 बजे का है, जिसे कई लोग अब सोशल मीडिया पर पोस्ट और शेयर कर रहे हैं. एसपी ने कहा कि यदि ऐसा होता कि साहब हमें यह धन मिला, हमने यह स्कूल खोल दिए, हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा दे दी. जब वही नहीं हो पा रहा तो बच्चों को अंधकार में धकेलने का क्यों प्रयास कर रहे हैं आप? क्यों नहीं समाज की 80 परसेंट जनता उनका विरोध करती? आप मना करिए, आप हमारे गांव में नहीं रहोगे, आप चोरी चकारी करोगे हम पुलिस को सूचना देंगे.

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चोरों की सूचना दें, धमकी मिले तो मैं पंचायत लूंगा

एसपी ने ये भी कहा कि मैं आपके साथ खड़ा हूं, मैंने पिछली बार बोला था कि यदि कोई भी व्यक्ति सूचना दे और उसको धमकी दे तो ध्यान रखना सबसे आखिरी पंचायत इस गांव की में ही लूंगा. कथा वाचक गुरुजी बता रहे थे कि हनुमानजी भी पुलिस की तरह ही थे. वो गए थे रावण को समझाने के लिए की आपने गलती कर दी है.

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गलती स्वीकार करो और सीता मैया को रामजी के पास वापस भेज दो. पर रावण तो रावण था, सबने समझाने का प्रयास किया पर वो नहीं माना तो लंका जल गई.

एसपी ने कहा कि इसीलिए मेरा आपसे अनुरोध है, प्रशासन के हनुमान के रूप में मैं आपके पास आया हूं. कृपया करके जीवन में आप आगे बढ़े. आप दो कदम चलेंगे में 20 कदम चलने को तैयार हूं. पर आप मत मजबूर न करें कि हमें कुछ कठोर कदम उठाना पड़े. हमें भी दिखते हैं छोटे बच्चे, हमें भी दिखती हैं माताएं-बहने जो परेशान होती हैं.

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