Chief Engineer of PWD Note: मध्यप्रदेश की पहचान ही बनती जा रही है ... अजब है सरकार, ग़ज़ब है आदेश ! ताज़ा उदाहरण भोपाल में लोक निर्माण विभाग (PWD) के चीफ़ इंजीनियर संजय मस्के का है, जिनका एक सरकारी अंदाज़ वाला नोटशीट कई सवाल छोड़ गया है. नोटशीट में बाकायदा लिखा गया – “भोपाल संभाग लोक निर्माण विभाग कार्यालय अंतर्गत समस्त अधिकारियों / कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि भगवान सत्यनारायण की कथा उपरांत महाप्रसादी वितरण का कार्यक्रम दिनांक 5 सितम्बर को हस्ताक्षरकर्ता के शासकीय निवास CPC-1, चार इमली, भोपाल पर आयोजित है. दोपहर 1 बजे से महाप्रसादी वितरण का कार्यक्रम होगा, जिसमें समस्त अधिकारियों / कर्मचारियों को उपस्थित होकर महाप्रसादी का लाभ लेने हेतु सूचित किया जाता है.”
अब इसमें सूचित किया जाता है ऐसा लग रहा है मानो कथा में न जाना कंडक्ट रूल तोड़ना हो और प्रसादी खाना ड्यूटी चार्ट का हिस्सा।
चीफ इंजीनियर की सफाई- ये व्यक्तिगत पत्र है
NDTV ने जब चीफ़ इंजीनियर मसके से बात की तो उन्होंने कहा “ये आदेश नहीं है, न ही कोई आधिकारिक पत्र. यह मेरा व्यक्तिगत पत्र है… इसे डिस्पैच नहीं किया गया।”यानी फाइल घर पर ही घूमी, विभाग में नहीं पहुँची. लेकिन जनता के व्हाट्सऐप ग्रुप तक जरूर पहुंच गई. कांग्रेस ने इसे आचरण नियमों का उल्लंघन बताया. प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता बोले “किसी अधिकारी को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है. यह संवैधानिक दायित्वों की अवमानना है.” वहीं भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी ने जवाब दिया “कांग्रेस का दिमाग खराब हो गया है. अगर सनातनी हिंदू पूजा-पाठ करें तो कांग्रेस विरोध पर उतर आती है. कोई भी अपने सहकर्मियों को बुला सकता है.”
अब लोक निर्माण विभाग में पुल गिरें या सड़क टूटे, या उसमें 90 डिग्री का कोण बन जाए, यह बाद की बात है अभी तो अफसरों का ध्यान इस बात पर है कि कथा में किसने प्रसादी ली और किसने नहीं. ऑफिस में ‘मिसिंग रिपोर्ट' भी शायद इसी आधार पर बने.”भोपाल का यह सरकारी बुलावा सवाल छोड़ गया है कि सरकारी आदेश की फाइल में आगे क्या जुड़ने वाला है? ‘मीटिंग' और ‘मीटिंग के बाद महाप्रसादी'… या फिर ‘बजट पास' और ‘बजट के बाद भजन संध्या'
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