फर्जी दस्तावेज घोटाला! निगम आयुक्त ने जांच बिठाई, संपत्ति कर अधिकारी से छीना काम  

ग्वालियर नगर निगम में संपत्ति कर वसूली में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बड़े स्तर पर नाम व क्षेत्रफल में छेड़छाड़ का खुलासा हुआ है. दस्तावेज बदल कर कर आईडी में बदलाव किए. निगम आयुक्त ने तत्काल जांच बिठाई और प्रभार बदलाव किए.

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Property Tax Fraud India: ग्वालियर नगर निगम में संपत्ति कर वसूली से जुड़े एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति कर की आईडी में नाम और क्षेत्रफल में हेराफेरी की गई थी. मामला सामने आते ही नगर निगम आयुक्त संघप्रिय ने तुरंत एक्शन लेते हुए प्रभारी संपत्ति कर अधिकारी महेंद्र शर्मा से प्रभार छीन लिया. अब इस जांच की जिम्मेदारी उपायुक्त प्रदीप श्रीवास्तव को सौंपी है.

आईडी बदलकर किया फर्जीवाड़ा

नगर निगम क्षेत्र क्रमांक-11 में तीन संपत्ति कर आईडी (1000254411, 1000255218 और 1000245010) में गड़बड़ी सामने आई है. आरोप है कि इन आईडी में नोटराइज दस्तावेज लगाकर मालिकों के नाम और क्षेत्रफल में गलत तरीके से बदलाव किया.

  • वार्ड 30 में 31 जनवरी 2025 को मकान मालिक का नाम माखनलाल से बदलकर विनोद कुमार शर्मा कर दिया.
  • वार्ड 28 में 30 जनवरी 2025 को तुल्तान सिंह की जगह राजवीर सिंह का नाम चढ़ा दिया.
  • वार्ड 30 में 11 मार्च 2025 को संपत्ति के उपयोग में बदलाव करते हुए निर्मित क्षेत्र को 2800 वर्गफीट से घटाकर 1853 वर्गफुट कर दिया.

जांच में सामने आई गंभीर लापरवाही

आयुक्त के आदेश के बाद अपर आयुक्त (संपत्ति कर) और उपायुक्त (पूर्व विधानसभा क्षेत्र) ने जांच शुरू की. ई-नगर पालिका पोर्टल से मिली रिपोर्ट के अनुसार, यह काम नियमों के खिलाफ किया गया था. जांच में पाया गया कि तत्कालीन प्रभारी सहायक संपत्ति कर अधिकारी महेंद्र शर्मा ने अपने कंसोल से बिना सक्षम स्वीकृति के संपत्ति कर रिकॉर्ड में संशोधन किया.

अधिकारी निलंबित, जिम्मेदारियों से किया मुक्त

निगम आयुक्त ने जांच को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए महेंद्र शर्मा को सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया है. यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि जांच के दौरान किसी भी अभिलेख या साक्ष्य से छेड़छाड़ न की जा सके. अब मामले की अंतिम रिपोर्ट जांच अधिकारी द्वारा स्पष्ट अनुशंसाओं के साथ प्रस्तुत की जाएगी.

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प्रशासन सख्त, जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज

निगम प्रशासन ने साफ संकेत दिए हैं कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा. आयुक्त ने कहा है कि नगर निगम की छवि से खिलवाड़ करने वालों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. साथ ही, भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए ई-नगर पालिका प्रणाली की निगरानी को और मजबूत किया जाएगा.

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