Ujjain News: धार्मिक कार्य नहीं करने वाले संतों का कुंभ में प्रवेश वर्जित, एक महामंडलेश्वर निष्कासित

Kumbh Mela: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा है कि ऐसे संत जो धार्मिक कार्य नहीं करते हैं उनको प्रयागराज 2025 कुंभ मेले में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. वहीं 6 महामंडलेश्वर को निष्कासाति करने के संबंध में उन्होंने कहा कि फिलहाल दो माह पहले सिर्फ उज्जैन में महिला महामंडलेश्वर को निष्कसित किया है, अन्य किसी को नहीं.

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Kumbh Mela: प्रयागराज (Allahabad Kumbh Mela) का कुंभ मेला नजदीक आने के साथ संतों की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं. इसी के चलते तीन अखाड़ों ने धार्मिक कार्यों के बजाय अन्य गतिविधिया में जुटे 112 संतों को नोटिस (Notice) जारी कर 14 दिन में जवाब मांगा है. वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) अध्यक्ष रविंद पुरी जी ने सनातन (Sanatan Dharm) धर्म का पालन नहीं करने वाले संतों को 2025 के प्रयागराज के कुंभ मेले (Prayag Kumbh Mela) में प्रतिबंध का कहा है. इस संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया कि कई धार्मिक मंचों से अल्लाह हो अकबर का नारा लगाने और नमाज पढ़ने के मामले सामने आए है. ऐसे संतों पर कारवाई की जाएगी.

धार्मिक कार्य नहीं करने वालों पर होगा एक्शन

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा है कि ऐसे संत जो धार्मिक कार्य नहीं करते हैं उनको प्रयागराज 2025 कुंभ मेले में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. वहीं 6 महामंडलेश्वर को निष्कासाति करने के संबंध में उन्होंने कहा कि फिलहाल दो माह पहले सिर्फ उज्जैन में महिला महामंडलेश्वर को निष्कसित किया है, अन्य किसी को नहीं. जबकि 112 संतों को नोटिस देने के संबंध में महंत पुरी जी ने कहा सभी अखाड़ों की अपनी व्यवस्था है. अखाड़े से संबंधित किसी संत को गलती करने पर उनके अखाड़े ने नोटिस जारी किया होगा और वही कार्यवाही करेंगे.

इन अखाड़ों के संतों का पद खतरे में

मंगलवार को पता चला था कि अखाड़ा परिषद ने धार्मिक कार्यों के बजाय धन कमाने और अन्य गतिविधियों में लिप्त 13 महामंडलेश्वरों (धार्मिक प्रमुखों) को निष्कासित कर दिया है. वहीं जूना अखाड़े ने 54 संत, श्री निरंजनी अखाड़े ने 24 संतों और निर्मोही अनी अखाड़े ने 34 संतों को नोटिस दिया है. आदेशित किया है कि 30 सितंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं देने पर ऐसे संतों को कुंभ मेले में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.

यह है प्रकिया

प्रत्येक अखाड़े में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उपसचिव, मंत्री, उपमंत्री, कोतवाल, थानापति होते है. 15-20 वर्षों तक समर्पित भाव से धार्मिक कार्य करने वाले पदाधिकारियों को चुनाव के माध्यम से चुन कर अखाड़े में पद देते हैं. वहीं पांच वरिष्ठ और विद्वान सदस्यों को पंच परमेश्वर की उपाधि दी जाती है. ये अखाड़े के आश्रम, मठ मंदिर, गुरुकुल का संचालन करते हैं. किसी संत के खिलाफ शिकायतें मिलती हैं और जिनकी गतिविधियां संदिग्ध होती हैं, उनसे संबंधित अखाड़े के सचिव, मंत्री, संयुक्त मंत्री स्तर के पदाधिकारी जांच करते है. इसी आधार पर निष्कासन या नोटिस देने की कार्रवाई की जाती है.

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