मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा ने शुक्रवार सुबह दिल्ली के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. प्रभात झा लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. दिमागी बुखार के चलते हालत बिगड़ने पर उन्हें भोपाल के बंसल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां से उन्हें दो दिन पहले ही एयरलिफ्ट कर दिल्ली के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया. इलाज के दौरान शुक्रवार सुबह पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. दोपहर 12 बजे बिहार के मधुबनी जिले के कुरमाई गांव में प्रभात झा का अंतिम संस्कार किया जाएगा. प्रभात झा एक पत्रकार, लेखक, स्तंभकार, राजनीतिज्ञ और समाजसेवी रहे हैं.
प्रभात झा बीजेपी के एक कद्दावर नेता माने जाते थे, मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ थी. पत्रकारिता के करियर से राजनीति में एंट्री करने वाले प्रभात झा मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं. वे 8 मई 2010 से लेकर 15 दिसंबर 2012 तक मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे.
ऐसा शुरू हुआ राजनीतिक सफर
प्रभात झा के राजनीतिक सफर की शुरुआत 90 के दशक में हुई. वे 1993 से 2002 तक मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी रहे. इसके बाद वर्ष 2003 से 2005 तक बीजेपी के साहित्य एवं प्रकाशन विभाग के प्रभारी रहे. वर्ष 2005 में उन्होंने कमल संदेश नाम की पुस्तक का संपादन किया. इसके अलावा झा बीजेपी संसदीय दल कार्यालय के अतिरिक्त सचिव भी रहे.
प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक
वर्ष 2007 में प्रभात झा को बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. इसके बाद अप्रैल 2008 में वे सांसद के रूप में राज्यसभा पहुंचे. इस दौरान 2008 में ही उन्हें ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया और अगस्त 2009 में वे संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी समिति के सदस्य बने.
प्रभात झा का राजनीतिक कद साल दर साल बढ़ता गया. 8 मई 2010 को वे मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने और लगभग ढाई साल यानि कि 15 दिसंबर 2012 तक उन्होंने ये पद संभाला. इसके बाद साल 2015 में प्रभात झा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने.
बिहार में हुआ था जन्म
प्रभात झा का जन्म 4 जून 1957 को बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम पनेश्वर झा और माता का नाम अमरावती झा है. प्रभात झा की शादी रंजना झा से हुई थी, उनके दो बेटे हैं. प्रभात झा अपने शुरुआती जीवन में ही पूरे परिवार के साथ मध्य प्रदेश के ग्वालियर आ गए थे. यहीं से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की.
उच्च शिक्षा ग्वालियर में हुई
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने माधव कॉलेज से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली. प्रभात झा ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के तौर पर की. वे लंबे समय तक पत्रकारिता जगत का हिस्सा रहे.
ये किस्से हैं मशहूर
प्रभात झा से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं. अक्टूबर 2009 में विजय माल्या ने प्रभात झा को एक शराब की बोतल तोहफे के रूप में दी थी. प्रभात झा ने यह तोहफा लौटाते हुए कहा था कि न तो कोई परिचय और न ही आपसे कोई संबंध हैं. मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं. आने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती तो बेहतर होता.
वहीं एक इंटरव्यू में प्रभात झा ने कहा था कि वे 62 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लेंगे. मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है. इसके अलावा उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि वे एक एकड़ जमीन खरीदकर पांचवीं तक की स्कूल चलाएंगे. साथ ही राजनीति के संन्यास के बाद पांच गाय और दो भैंस पालेंगे.
ये किताबें लिखीं
प्रभात झा ने अपनी व्यस्तताओं के बावजूद कई पुस्तकें लिखीं. उन्होंने 2005 में 'शिल्पी' (तीन खंडों में), 2008 में 'जन गण मन' (तीन खंडों में), 2008 में ही 'अजातशत्रु - पं. दीनदयाल जी', 'संकल्प', 'अंत्योदय', 'समर्थ भारत', '21वीं सदी - भारत की सदी', 'चुनौतियां' और 'विकल्प' पुस्तकें लिखीं. अगस्त 2009 में लोकसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में प्रभात झा ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी.
सभी राजनीतिक दलों से अच्छे संबंध
प्रभात झा के निधन से मध्य प्रदेश, खासकर ग्वालियर में शोक की लहर है. वे भले ही बीजेपी के नेता थे, लेकिन पत्रकार होने के कारण सभी दलों के नेता और कार्यकर्ताओं से उनके अच्छे संबंध थे. वे हमेशा सबकी मदद करते थे, इसलिए उनका प्रशंसक वर्ग राजनीतिक सीमाओं से ऊपर रहा है.
सादगी पसंद इंसान थे प्रभात झा
प्रभात झा सादगी पसंद व्यक्ति थे. जीवन में लंबे समय तक उनके पास अपना घर तक नहीं था और वे पैदल या लिफ्ट लेकर ही यात्रा करते थे. सभी से संपर्क बनाए रखना और लोगों की मदद करना उनकी खासियत रही है. इस वजह से प्रभात झा की लोकप्रियता काफी ज्यादा थी. शादी के बाद उनके दो बेटे हुए. इसके बाद परिवार के जीवन यापन के लिए उन्होंने पत्रकारिता को चुना और ग्वालियर से संचालित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दैनिक स्वदेश अखबार में काम करना शुरू किया. पत्रकार के रूप में उन्होंने न केवल ग्वालियर बल्कि समूचे मध्य प्रदेश में अपना स्थान बनाया.
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