Madhya Pradesh News: जब मासूम बचपन सहारे के बिना छूट जाए, तब समाज की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. अंजड थाना क्षेत्र से एक ऐसी ही मार्मिक कहानी सामने आई है, जहां चार मासूम बच्चे माता-पिता की लापरवाही के चलते बेसहारा हो गए. ऐसे समय में समर्पण सेवा संस्था उनके लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई.
बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे थे ये बच्चे
अंजड थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले चार मासूम बच्चे बीते कुछ महीनों से बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे थे. बच्चों की मां उन्हें छोड़कर चली गई, जबकि पिता शराब की लत के कारण उनकी जिम्मेदारी नहीं उठा सका. नतीजतन चारों बच्चे पूरी तरह अकेले रह गए.
खाना मांगकर भरते थे पेट
इन बच्चों की हालत इतनी दयनीय थी कि न तो वे स्कूल जा पा रहे थे और न ही आंगनवाड़ी केंद्र. बड़ी बहन इधर-उधर से खाना मांगकर अपनी छोटी बहनों का पेट भरती थी. इसी बीच दो बच्चों के सिर में गंभीर घाव हो गए, लेकिन इलाज तक की कोई व्यवस्था नहीं थी.
बाल आश्रम भेजे गए ये बच्चे
मामले की जानकारी मिलने पर अंजड की समर्पण सेवा संस्था ने तत्काल संज्ञान लिया. संस्था के माध्यम से सबसे पहले घायल बच्चों का उपचार शुरू कराया गया और सभी बच्चों के लिए भोजन व आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की गई. संस्था के सतीश परिहार ने चाइल्ड लाइन 1098 से संपर्क कर बच्चों की स्थिति साझा की. प्रशासन द्वारा मामले की पुष्टि के बाद औपचारिक प्रक्रिया पूरी करते हुए चारों बच्चों को बाल आश्रम भेजा गया, जहां अब वे सुरक्षित माहौल में रहकर पढ़ाई कर सकेंगे. वहीं एक बच्चे को हायर सेंटर में इलाज के लिए भेजा गया है.
समर्पण सेवा संस्था की पहल
बताया जा रहा है कि बच्चों के पिता मजदूरी करता है, लेकिन नशे की आदत के कारण वह बच्चों की देखभाल नहीं कर पा रहा था. ऐसे हालात में समर्पण सेवा संस्था की यह पहल इन मासूमों के जीवन में नई आशा बनकर आई. संस्था के सदस्यों ने बच्चों से मिलकर आसपास के लोगों से बातचीत की और बच्चों को भरोसा दिलाया कि उनकी हर जरूरत में संस्था उनके साथ खड़ी रहेगी. साथ ही प्रशासन से भी सहयोग की अपील की गई.
प्रशासनिक समिति ने बच्चों से बातचीत कर उनकी स्थिति का आकलन किया और बाल आश्रम में सुरक्षित आवास की व्यवस्था की. अब ये बच्चे एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकेंगे.
बता दें कि समर्पण सेवा संस्था लंबे समय से समाज सेवा में सक्रिय है. संस्था अब तक 3 देहदान, 15 नेत्रदान, 31 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और 30 से अधिक मानसिक रोगियों का पुनर्वास कर चुकी है. इस पुनीत कार्य में सतीश परिहार, डॉक्टर पुष्पेंद्र अछाले, डॉक्टर संजय परमार, देवेंद्र यादव, गिरीश चौहान, अजरूद्दीन मंसुरी, राजू प्रजापत सहित कई समाजसेवियों का अहम योगदान रहा है.
निसंदेह समर्पण सेवा संस्था जैसे प्रयास समाज के कमजोर वर्ग के लिए संजीवनी साबित हो रहे हैं. जरूरत है कि ऐसे कार्यों में अधिक से अधिक लोग आगे आएं, ताकि कोई भी मासूम सहारे के बिना न रहे.
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