New Year: मंदसौर में 500 से अधिक गोवंशों की रक्षा कर रहा आत्मनिर्भर गौशाला, मल-मूत्र से बनाई जाती हैं सुंदर चीजें...

Mandsaur Aatmanirbhar Gaushala: मध्य प्रदेश के छोटे से शहर में एक ऐसा भी गौशाला है, जो पूरी तरह से आत्मनिर्भर है. यहां हर समय लगभग 500 से अधिक गोवंशों की देखभाल जारी रहती है. इतना ही नहीं, इस गौशाला में गोमूत्र और गोबर की मदद से सुंदर उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

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एमपी में एक ऐसा गैशाला जो खुद में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है

New Year 2025 Special: नए साल 2025 के स्वागत की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. पुराने साल की विदाई बुरी चीजों को न याद करते हुए, बल्कि पॉजिटिव बातों के साथ करना अच्छा है. कहा जाता है न, अंत भला, तो सब भला... ऐसा ही एक पॉजिटिव कहानी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsaur) के सीतामऊ शहर में स्थित हंडिया बाग गौशाला (Handiya Baag Gaushala) की है. इस गौशाला में 500 से अधिक गोवंशों को रखा जा रहा है. इनकी न सिर्फ यहां अच्छी देखभाल की जाती है, बल्कि घायल गोवंशों को लाने के लिए खास गौ एंबुलेंस भी यहां उपलब्ध है. गायों के इलाज के लिए एक आईसीयू वार्ड भी बनाया गया है, जहां गंभीर और घायल गोवंशों का इलाज किया जाता है.

बनाए जाते हैं स्पेशल आर्टिकल्स

हंडिया बाग गौशाला को आत्मनिर्भर गौशाला माना जाता है. इस गौशाला में गायों के गोमूत्र और गोबर से ऐसे सुंदर उपयोगी आर्टिकल्स बनाए जाते हैं, जिनकी डिमांड बाजार में हमेशा ही बनी रहती हैं. गौशाला के संचालक बताते हैं कि गौशाला में सदस्यों द्वारा गोवंश के अपशिष्ट से उत्पाद बनाने की नागपुर जाकर ट्रेनिंग ली गई है और अब इससे सुंदर कलाकृतियां बनाई जाती है.

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गोवंश का रखा जा रहा खास ध्यान

इन प्रोडक्टस का होता है उत्पाद

गौशाला के संचालक की मानें, तो यहां गोमूत्र से फिनायल बनाया जाता है और साबुन बनाए जाते हैं. वहीं, गोबर से अगरबत्ती, धूप बत्ती, पेन स्टैंड, घड़ियां, दिए समेत कई कलाकृतियां बनाई जाती हैं. इन सुंदर कलाकृतियों की बाजार में अच्छी डिमांड है और गौशाला को इससे आय भी हो रही है. अब आसपास की गौशाला के संचालक भी इस गौशाला से संपर्क कर रहे हैं और इस गौशाला के संचालक उन्हें भी नि:शुल्क तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग उपलब्ध करवा रहे हैं. 

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उत्पाद बढ़ाने की खास तैयारी

गौशाला संचालन करने वाले लोगों का मानना है कि अगर इस तरह से गौ अपशिष्ट से उत्पाद बनाने की प्रवृत्ति इलाके के लोगों में आ जाए, तो गोवंश किसी के लिए बोझ नहीं होगा. बल्कि, इन उत्पादों के जरिए गोवंश की अपशिष्टों से सुंदर कलाकृतियां बनाई जा सकती हैं. अब यह गौशाला बड़े स्तर पर इनका प्रोडक्शन करने की प्लानिंग कर रही है, जिससे आसपास की गौशालाओं के उत्पाद को भी बाजार मिल सके. 

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