ऐसी जीवनदायिनी गाड़ियां किस काम की? समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने से छतरपुर में हुई कई मौतें, देखिए केस स्टडी

Dial 108 Ambulance Service: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में समय पर एम्बलुेंस सुविधा न मिलने से कई मरीजों और पीड़ितों की जान जा चुकी है. आइए कुछ मामलों के जरिए जानते हैं, कैसे जीवनदायिनी गाड़ी समय पर नहीं पहुंचती तो पीड़ित या मरीज अनंत यात्रा पर चला जाता है. इसको लेकर जिम्मेदार क्या कहते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
Dial 108 Ambulance Service: छतरपुर में एम्बुलेंस की देरी से हुईं मौतें

Ambulance Service in Chhatarpur: हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में समय से एम्बुलेंस (Ambulance Service) ना मिलने से महिला की मौत हो गई. ये कोई पहला मामला नहीं था, छतरपुर जिले में एक नहीं कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारी से सब बच रहे हैं. यहां डायल 108 सुविधा (Dial 108 Ambulance Service) वाली 51 एंबुलेंस हैं. इसमें से तीन जगह की गाड़ियां (घुवारा, महाराजपुर और ईसानगर) बहुत पुरानी होने की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाती हैं. वहीं आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार छतरपुर जिले की कुल जनसंख्या 1,762,375 है. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि छतरपुर जिले में ये 51 एम्बुलेंस. क्या इतनी जनसंख्या के हिसाब से काफी हैं? स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में खास तौर पर समय से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है, जिसकी वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता. वहीं एंबुलेंस नहीं मिलने पर परिजन पीड़ितों को पर्सनल गाड़ी में भी ले जाते हैं. ऐसे ही एक मामले में हाल ही में एक महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद परिजनों में आक्रोश देखा जा सकता है. ये घटना ग्राम छपरा की है.

क्या था मामला?

ग्राम छपरा में एक महिला घायल हो गई थी. इस घटना के बाद पीड़िता को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंदला ले जाया गया, जहां सिर में गंभीर चोट के कारण डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया. परिजनों ने बताया कि करीब आधे घंटे तक एम्बुलेंस का इंतजार किया गया, लेकिन जब मदद नहीं मिली, तो 2200 रुपए में एक निजी वाहन की व्यवस्था करनी पड़ी. दुर्भाग्यवश, जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही इस महिला की मौत हो गई.

Advertisement

Ladli Behna Yojana 23th Installment: इस बार लाडली बहनों की किस्त में देरी, जानिए कब तक आ सकते हैं पैसे

Advertisement

केस 2 : जून 25, 2024

गर्भवती महिला की एक नर्स ने दोपहर 12 बजे डिलीवरी करा दी थी. जिसके बाद 1 बजे तक उस महिला की हालत बिगड़ गई. हालत बिगड़ने पर नर्स ने उसे जिला अस्पताल  छतरपुर रेफर किया. एम्बुलेंस समय पर नहीं आयी. इसके बाद उसे किराये के वाहन से ले जाकर परिजनों ने दोपहर 2.30 बजे जिला अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में भर्ती कराया. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

Advertisement

Rape and Murder Case: छह साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी को फांसी की सजा, जज ने सुनाई कविता

केस 3 : नवंबर 17, 2024

छतरपुर के बक्सवाहा तहसील में दोपहर 1 बजे डॉक्टरों ने एक बच्ची की स्थिति को गंभीर बताते हुए दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया. रेफर पर्ची बन जाने के बाद परिजन दोपहर 2 बजे से एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे. लेकिन, एम्बुलेंस उनके पास देर शाम करीब 7 बजे पहुंची. इस बीच बालिका की हालत लगातार बिगड़ती गई और इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया.

केस 4 : Mar 25, 2025

सड़क हादसे में एक महिला घायल हो गई. डायल 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया, जिससे महिला को समय पर इलाज नहीं मिल पाया. इस कारण उसकी रास्ते में मौत हो गई. इस घटना के बाद मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर एंबुलेंस का डीजल खत्म नहीं हुआ होता, तो उसकी जान बच सकती थी.

SRH vs PBKS: हैदराबाद vs पंजाब, कौन बनेगा किंग? हेड-अर्शदीप के साथ इनका जमेगा रंग, क्या कहते हैं आंकड़े

छतरपुर में एम्बुलेंस की संख्या पर्याप्त नहीं है, जिसके कारण मरीजों को समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. एम्बुलेंस का खराब होना या रखरखाव सही ढंग से ना होने की वजह से भी उपलब्ध नहीं हो पाती है. वहीं एक ही समय में कई आपातकालीन कॉल प्राप्त होने के कारण, एम्बुलेंस व्यस्त हो जाती हैं और मरीजों को समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती है.

मृतक के परिजन का क्या कहना है?

संतोष प्रजापति का कहना है कि हमारे परिजन का चंदला में रोड एक्सीडेंट हुआ था. चंदला अस्पताल ले गए, वहां पर एंबुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन एंबुलेंस ना मिलने की वजह से हम पर्सनल गाड़ी करके आए और जिला अस्पताल ने डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. अगर समय पर एंबुलेंस मिल जाती तो शायद जान बच जाती.

जिम्मेदारों का क्या कहना है?

सीएमएचओ राजेंद्र गुप्ता का कहना है कि पेपर की कटिंग या सूचना मिलने पर हम लोग ऐसे मामलों में जांच करवाते हैं. जांच के बाद जिसकी भी लापरवाही होती है, उसको एमडीएचएन भोपाल को लिखते हैं और उन्हें लगता है कि हमें इसका पेनाल्टी करना है, तो करते हैं. वहीं डिसीजन होता है, हमारे हाथ में यहां से कुछ नहीं होता है, क्योंकि अनुबंध भोपाल से होता है.

यह भी पढ़ें : Shocking News: छेड़छाड़ और धमकियों से तंग आकर 17 साल की लड़की ने खाया जहर, अस्पताल में हुई मौत, एक आरोपी फरार

यह भी पढ़ें : LSG vs GT: लखनऊ vs गुजरात की जंग, पूरन-सिराज समेत इन पर हैं नजरें, Live मैच से प्लेइंग XI तक जानिए सब