Ambulance Service in Chhatarpur: हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में समय से एम्बुलेंस (Ambulance Service) ना मिलने से महिला की मौत हो गई. ये कोई पहला मामला नहीं था, छतरपुर जिले में एक नहीं कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारी से सब बच रहे हैं. यहां डायल 108 सुविधा (Dial 108 Ambulance Service) वाली 51 एंबुलेंस हैं. इसमें से तीन जगह की गाड़ियां (घुवारा, महाराजपुर और ईसानगर) बहुत पुरानी होने की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाती हैं. वहीं आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार छतरपुर जिले की कुल जनसंख्या 1,762,375 है. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि छतरपुर जिले में ये 51 एम्बुलेंस. क्या इतनी जनसंख्या के हिसाब से काफी हैं? स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में खास तौर पर समय से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है, जिसकी वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता. वहीं एंबुलेंस नहीं मिलने पर परिजन पीड़ितों को पर्सनल गाड़ी में भी ले जाते हैं. ऐसे ही एक मामले में हाल ही में एक महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद परिजनों में आक्रोश देखा जा सकता है. ये घटना ग्राम छपरा की है.
क्या था मामला?
ग्राम छपरा में एक महिला घायल हो गई थी. इस घटना के बाद पीड़िता को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंदला ले जाया गया, जहां सिर में गंभीर चोट के कारण डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया. परिजनों ने बताया कि करीब आधे घंटे तक एम्बुलेंस का इंतजार किया गया, लेकिन जब मदद नहीं मिली, तो 2200 रुपए में एक निजी वाहन की व्यवस्था करनी पड़ी. दुर्भाग्यवश, जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही इस महिला की मौत हो गई.
केस 2 : जून 25, 2024
गर्भवती महिला की एक नर्स ने दोपहर 12 बजे डिलीवरी करा दी थी. जिसके बाद 1 बजे तक उस महिला की हालत बिगड़ गई. हालत बिगड़ने पर नर्स ने उसे जिला अस्पताल छतरपुर रेफर किया. एम्बुलेंस समय पर नहीं आयी. इसके बाद उसे किराये के वाहन से ले जाकर परिजनों ने दोपहर 2.30 बजे जिला अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में भर्ती कराया. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
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केस 3 : नवंबर 17, 2024
छतरपुर के बक्सवाहा तहसील में दोपहर 1 बजे डॉक्टरों ने एक बच्ची की स्थिति को गंभीर बताते हुए दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया. रेफर पर्ची बन जाने के बाद परिजन दोपहर 2 बजे से एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे. लेकिन, एम्बुलेंस उनके पास देर शाम करीब 7 बजे पहुंची. इस बीच बालिका की हालत लगातार बिगड़ती गई और इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया.
केस 4 : Mar 25, 2025
सड़क हादसे में एक महिला घायल हो गई. डायल 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया, जिससे महिला को समय पर इलाज नहीं मिल पाया. इस कारण उसकी रास्ते में मौत हो गई. इस घटना के बाद मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर एंबुलेंस का डीजल खत्म नहीं हुआ होता, तो उसकी जान बच सकती थी.
मृतक के परिजन का क्या कहना है?
संतोष प्रजापति का कहना है कि हमारे परिजन का चंदला में रोड एक्सीडेंट हुआ था. चंदला अस्पताल ले गए, वहां पर एंबुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन एंबुलेंस ना मिलने की वजह से हम पर्सनल गाड़ी करके आए और जिला अस्पताल ने डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. अगर समय पर एंबुलेंस मिल जाती तो शायद जान बच जाती.
जिम्मेदारों का क्या कहना है?
सीएमएचओ राजेंद्र गुप्ता का कहना है कि पेपर की कटिंग या सूचना मिलने पर हम लोग ऐसे मामलों में जांच करवाते हैं. जांच के बाद जिसकी भी लापरवाही होती है, उसको एमडीएचएन भोपाल को लिखते हैं और उन्हें लगता है कि हमें इसका पेनाल्टी करना है, तो करते हैं. वहीं डिसीजन होता है, हमारे हाथ में यहां से कुछ नहीं होता है, क्योंकि अनुबंध भोपाल से होता है.
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