यूनियन कार्बाइड कचरा निपटारे पर PIL दायर, एनजीटी से वैज्ञानिक रिपोर्ट और शपथ पत्र सार्वजनिक करने की मांग

Union Carbide waste disposal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव द्वारा एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.

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Union Carbide waste disposal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव द्वारा एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. शनिवार को दाखिल इस याचिका में शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है. 

याचिका में उठाए गए प्रमुख सवाल

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि मध्यप्रदेश शासन यह स्पष्ट करे कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण में किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा. याचिका में सरकार से शपथ पत्र और वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की गई है. इसमें यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि निस्तारण प्रक्रिया वेस्ट मैनेजमेंट नियम-2016 के तहत हो रही है या नहीं.

मुख्य सचिव और आयुक्तों से शपथ पत्र की मांग

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव यह शपथ पत्र दें कि कचरे के निस्तारण से भूमि, जल और वायु पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही भोपाल, धार और पीथमपुर के नगर निगम आयुक्तों से भी यह शपथ पत्र मांगा गया है कि इस प्रक्रिया से स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.

वैज्ञानिक रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार यूनियन कार्बाइड कचरे के निस्तारण पर वैज्ञानिक रिपोर्ट समाचार पत्रों में प्रकाशित कर इसे जनता के सामने प्रस्तुत करे. याचिका में कहा गया है कि नागरिकों के जीवन के अधिकारों का संरक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीड है.

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अधिवक्ता का बयान

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता प्रभात यादव ने कहा कि यह याचिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए दायर की गई है. उन्होंने कहा कि एनजीटी से यह उम्मीद है कि वह सरकार को इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश देगा. 

जल्द सुनवाई की उम्मीद

याचिका पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है. यदि एनजीटी इस मामले में सख्त रुख अपनाता है, तो यह देशभर में पर्यावरणीय न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.    

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