महिला के साथ शारीरिक शोषण: कोर्ट का आदेश- पूर्व वीसी को 35 लाख तो MP सरकार को देना होगा 5 लाख रुपये का हर्जाना

Gwalior News: देश के सबसे बड़े खेल शिक्षा संस्थान में महिला के साथ शारीरिक शोषण मामले में हाईकोर्ट ने फटकार लगाया है. साथ ही सिस्टम पर तंज कसते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति के हाथों में संस्थान का प्रशासनिक जिम्मा दे रखा, जो किसी भी काम के योग्य नहीं.

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Madhya Pradesh News: देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित खेल शिक्षण संस्थान में कार्यरत एक योग टीचर के साथ शारीरिक शोषण मामले में एलएनआईपीई (Lakshmibai National Institute Of Physical Education) के पूर्व कुलपति दूरेहा को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने 35 लाख रुपये क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया है. जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने फैसले में कहा कि संस्थान की ही महिला शिक्षक ने दुरेहा पर मानसिक और शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया. लंबी लड़ाई के बाद जांच कमेटी (आईसीसी) बनी, जिसने जांच में दुरेहा को दोषी माना. इसके बावजूद एलएनआईपीई ने इस मामले की अनदेखी की. ऐसे व्यक्ति के हाथों में संस्थान का प्रशासनिक जिम्मा देकर रखा, जो किसी भी काम के योग्य नहीं.

LNIPE पर 1 लाख की कॉस्ट, सरकार को देना होगा पीड़िता को 5 लाख रुपये

हाई कोर्ट ने एलएनआईपीई पर एक लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है. इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन को पीड़िता को 5 लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है. महिला प्रशिक्षक का कहना था कि कार्रवाई के लिए वो 2019 से अब तक 50 आवेदन दे चुकी हैं. इसी तरह के शोषण के कारण एक महिला शिक्षक ने नौकरी तक छोड़ दीं. दुष्कर्म और छेड़छाड़ का केस भी दर्ज हुआ. ये घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं. 

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जानें पूरा मामला

एडवोकेट योगेश चतुर्वेदी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि एलएनआईपीई में कार्यरत महिला प्रशिक्षक ने सबसे पहले 2019 में तत्कालीन कुलपति की शिकायत की. आरोप लगाया कि सुबह 7 बजे क्लास जाते समय डॉ. दुरेहा ने छूना शुरू किया. फिर पीठ के नीचे हाथ रखा. महिला ने हाथ हटाया और नाराजगी जताकर वहां से चली गई. महिला ने इसकी शिकायत संस्थान से लेकर मंत्रालय तक की.

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महिला शिक्षिका ने पूर्व वीसी पर लगाए थे गंभीर आरोप

उन्होंने बताया कि महिला शिक्षिका ने गंभीर आरोप लगाया कि डॉ. दुरेहा उस पर शारीरिक संबंध बनाने दबाव बना रहे हैं. उसके द्वारा मना करने पर नौकरी से निकालने और करियर चौपट करने की धमकी देते हैं. महिला ने पुलिस में भी शिकायत की, लेकिन जब पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, तो सुप्रीम कोर्ट की शरण ली.  वहां से संरक्षण मिलने के बाद याची हाईकोर्ट मे याचिका दायरे कर शिक्षण संस्थान में सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण प्रदान करने व कानून के अनुसार, क्षतिपूर्ति दिलाने की गुहार लगाई.

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पूर्व वीसी को देना होगा 35 लाख रुपये हर्जाना

कोर्ट ने कहा कि डॉ दूरहा को 35 लाख की क्षतिपूर्ति इसलिए देनी पड़ेगी, क्योंकि महिला प्रशिक्षक दो साल तक नौकरी नहीं कर सकी. उसे वेतन नहीं मिला. साथ ही पीड़ा झेली और छवि धूमिल हुई. इतना ही नहीं मानसिक तनाव भी झेला. महिला प्रशिक्षक को वेतन इसलिए नहीं मिला, क्योंकि इसके संबंध में तत्कालीन कुलपति ने पत्राचार किया था, जिसके चलते वेतन नहीं मिला.

एमपी सरकार को पीड़िता को 5 लाख रुपये देने का आदेश 

कोर्ट के अनुसार, मप्र सरकार को 5 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति इसलिए देनी पड़ेगी, क्योंकि पीड़िता ने पुलिस से शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार लोगों ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस को अपराध दर्ज करने में तीन साल लग गए. यह भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई. इसके चलते महिला प्रशिक्षक को और कष्टकारी समय व्यतीत करना पड़ा.

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