Panna Dimond: दो गरीब दोस्तों को पन्ना में मिला कोहिनूर जैसा चमचमाता हीरा, कीमत जानकर रह जाएंगे दंग

Panna Dimond Mine: हीरे की चाह में खुदाई के अभी 20 दिन ही बीते थे कि इन दोस्तों को चमचमाता 15.34 कैरेट का जेम्स क्वालिटी का हीरा मिल गया. इस  हीरे की बाजार कीमत 50 लाख रुपये बताई जा रही है. 

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Panna Dimond Mining: कहते हैं कि जब आपके इरादे नेक हो तो तमाम कायनात मिलकर आपके सपनों को साकार करने में लग जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के रानीगंज निवासी दो दोस्तों के साथ. यहां के रहने वाले सतीश खटीक और साजिद मोहम्मद जिगरी दोस्त हैं. इनमें से एक जहां मीट की दुकान चलाता है, वहीं दूसरा फ्रूट स्टॉल पर काम करता है, जिससे इन दोनों के परिवारों का लालन-पालन बमुश्किल ही हो पाता था. इसके साथ ही एक दोस्त की दो शादी करने योग्य जवान बहनें हैं. 

लिहाजा, दोनों ही दोस्तों ने अपनी गरीबी दूर करने और बहनों की शादी के लिए रकम जुटाने के इरादे से पन्ना में हीरा खुदाई के लिए संयुक्त रूप से पट्टे पर जमीन लेकर हीरे की खोज शुरू की. बस क्या था, ऐसा लगा जैसे मानो कुदरत इनकी मदद के लिए पहले से ही इंतजार कर रही हो. हीरे की चाह में खुदाई के अभी 20 दिन ही बीते थे कि इन दोस्तों को चमचमाता 15.34 कैरेट का जेम्स क्वालिटी का हीरा मिल गया. इस  हीरे की बाजार कीमत 50 लाख रुपये बताई जा रही है. 

दादा और पिता भी कर चुके हैं खुदाई 

इन दोस्तों की किस्मत भले ही 20 दिन में ही चमक उठी हो, लेकिन, इनके दादा और पिता की किस्मत ऐसी नहीं थी. साजिद के दादा और पिता ने भी पन्ना में जमीन पट्टे पर लेकर हीरे की खुदाई के लिए किस्मत आजमाई थी, लेकिन उनकी किस्मत रंग नहीं लाई. इन लोगों ने दशकों तक किस्मत आजमाई, पर उन्हें छोटी सफलता ही मिली. लेकिन, पोते ने 20 दिन में ही इतिहास रच दिया. हीरा कार्यालय में जमा किए गए इस अनमोल हीरे को आगामी नीलामी में रखा जाएगा. दोस्तों ने तय किया है कि नीलामी से मिलने वाली रकम को वे बराबर-बराबर बांटकर पहले बहनों की शादी करेंगे, फिर शेष पैसों को अपने कारोबार में लगाएंगे. 

सबसे पहले लेना पड़ता है पट्टा

पन्ना में कोई भी व्यक्ति हीरे की तलाश कर सकता है, लेकिन इसके लिए पहले लाइसेंस या पट्टा लेना अनिवार्य है. यह पट्टा एक वर्ष के लिए मान्य होता है. आवेदन करते समय आधार कार्ड की प्रति, तीन पासपोर्ट फ़ोटो जैसे दस्तावेज और ₹200 का चालान जमा करने होते हैं. हीरा कार्यालय से पट्टा स्वीकृत होने के बाद आवेदक को खनन के लिए 8×8 मीटर का क्षेत्र उपलब्ध कराया जाता है. पन्ना में इस समय सरकारी और निजी मिलाकर लगभग 25 खदानें सक्रिय हैं, जिनमें हीरों की खोज की जाती है.

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हीरा मिलने पर इस प्रक्रिया का करना होता है पालन

खनन के दौरान यदि पट्टा धारक को कोई हीरा नुमा पत्थर मिलता है मिलता है, तो उसे अनिवार्य रूप से पन्ना के डायमंड ऑफिस में जमा करवाना होता है. यहां विशेषज्ञ उसकी जांच करके तय करते हैं कि वह सचमुच हीरा है या नहीं. यदि खुदाई में मिला पत्थर हीरा साबित होता है, तो उसकी गुणवत्ता, वजन और अनुमानित कीमत निर्धारित की जाती है. नीलामी होने तक हीरा वहीं सुरक्षित रखा जाता है. 

हीरों की नीलामी से ऐसे होती है कमाई

जब डायमंड ऑफिस में लगभग 200–250 हीरे जुट जाते हैं, तभी उनकी सामूहिक नीलामी कराई जाती है. इसमें देशभर के बड़े शहरों जैसे मुंबई, सूरत, दिल्ली, भोपाल आदि के व्यापारी शामिल होते हैं. संबंधित पट्टाधारक को भी नीलामी में उपस्थित रहने के लिए बुलाया जाता है. नीलामी में हीरा बिकने पर सरकार 12.5% रॉयल्टी और 1% TDS काटती है, शेष पूरी रकम उस व्यक्ति को मिलती है, जिसने हीरा खोजा है.

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पन्ना में मिलते हैं इस तरह के हीरे

पन्ना की धरती विश्वस्तरीय हीरों के लिए जानी जाती है. यहां मिलने वाला जेम ग्रेड (सफेद) हीरा सबसे उच्च गुणवत्ता का माना जाता है और प्रीमियम ज्वेलरी में इस्तेमाल होता है. ऑफ-कलर यानी थोड़ा मैला रंग लिए हुए हीरे फैंसी आभूषणों के लिए उपयुक्त होते हैं. वहीं कोका-कोला रंग के हीरे मशीनरी और ग्लास कटिंग उद्योग में उपयोग किए जाते हैं.

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ऐसे तय होती है हीरों की कीमत 

हीरे की कीमत उसके कैरेट, रंग, पारदर्शिता और आकार पर निर्भर करती है. पन्ना में अब तक ₹100 कीमत वाले छोटे हीरों से लेकर ₹2.5 करोड़ के विशाल हीरे भी मिल चुके हैं. वर्ष 2018 में मोतीलाल प्रजापति को मिला 42 कैरेट का हीरा ₹2.5 करोड़ में नीलाम हुआ था.

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