Paddy Scam in MP: एमपी के इस जिले में सामने आया करोड़ों का धान घोटाला, किसानों के धान ले लिए पर पैसे नहीं दिए और बैंक से लोन ले भी लिए

Paddy Scam in Madhya Pradesh: ग्वालियर की गल्ला मंडी लक्ष्मीगंज में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां ग्वालियर और चंबल अंचल के कई किसानों से धान खरीदी गई. इसके एवज में जो भुगतान व्यापारियों द्वारा किसानों को किया जाना था, वह नहीं किया गया.

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Paddy Scam in Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से करोड़ों का धान घोटाला सामने आया है. दरअसल, यहां किसानों का धान खरीदा तो गया, लेकिन पैसे नहीं दिए. उलटे किसानों के नाम पर बैंक से लोन ले लिया गया. शिकायत सामने आने के बाद कार्रवाई के नाम पर अब मंडी अधिकारी और वेयर हाउस मालिकों पर  के खिलाफ केस दर्ज  किया गया है.

ग्वालियर की गल्ला मंडी लक्ष्मीगंज में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां ग्वालियर और चंबल अंचल के कई किसानों से धान खरीदी गई. इसके एवज में जो भुगतान व्यापारियों द्वारा किसानों को किया जाना था, वह नहीं किया गया. इस खेल में मंडी समिति में शामिल अधिकारियों ने भी जमकर रिकॉर्ड में हेराफेरी की.

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7 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज

यहां से किसानों खरीद कर तीन व्यापारियों ने डबरा स्थित वेयर हाउस में रखवाया. इसके बाद इस पर भी कर्ज ले लिया. किसानों की रकम हड़पने के साथ बैंक से लोन भी निकाल लिया. इस तरह इन लोगों ने 7 करोड़ से अधिक रुपये हड़प लिए. अब मंडी प्रबंधन की ओर से शिकायत की गई है, जिसके चलते मंडी के पूर्व सचिव सहित सात लोगों पर जनक गंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. इस मामले में आरोपी  पूर्व मंडी सचिव कदम सिंह जाटव, सहायक उपनिरीक्षक अमित गुप्ता, प्रांगण अधिकारी महेश कौशल, लाइसेंस शाखा प्रभारी सुचि गुप्ता, दुर्गा ट्रेडिंग कंपनी का संचालक कल्याण यादव, जयगुरुदेव ट्रेडिंग कंपनी का संचालक नरेश रावत और द्वारिकाधीश ट्रेडिंग कंपनी का संचालक भूपेंद्र किरार को बनाया गया हैं. गौरतलब है कि यहां धान की खरीदी एक अक्टूबर 2024 से 17 जनवरी 2025 के बीच की गई.

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ऐसे खेला गया पूरा खेल

बताया गया है कि मंडी सचिव कदम सिंह जाटव के पास किसानों से धान खरीदने, इसे रिकॉर्ड पर चढ़ाने और किसानों को भुगतान कराने की जिम्मेदारी थी. प्रांगण अधिकारी महेश कौशल का काम प्रांगण का निरीक्षण करना, सहायक उपनिरीक्षक अमित गुप्ता का काम व्यापारियों के अनुज्ञा पत्र सत्यापन कराना, भुगतान पत्र का ऑनलाइन सत्यापन कराना था, जबकि लाइसेंस शाखा प्रभारी का काम व्यापारियों को लाइसेंस देना और धान की खरीद-फरोख्त के एवज में प्रत्याभूति जमा कराना था. इसके अनुसार भुगतान होने पर ही धान प्रांगण से बाहर जाने की अनुमति देना था. इसके बावजूद यहां तीन व्यापारियों ने किसानों से धान खरीदी, लेकिन इनका भुगतान नहीं किया. इसके बाद भी मंडी के अधिकारियों की मिलीभगत से रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर धान को बगैर भुगतान के बाहर निकाल दिया गया. इसकी वजह से तीनों व्यापारियों ने किसानों का पैसा हड़प लिया.

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पुलिस ने शुरू की जांच

एडिशनल एसपी निरंजन शर्मा ने बताया कि इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. उधर, सांसद भारत सिंह कुशवाह ने भरोसा दिलाया है कि किसानों की पाई-पाई दिलवाई जाएगी और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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जिस व्यापारी ने की कितने की खरीदी

धान व्यापारियों ने मंडी के अधिकारियों संग मिलीभगत कर किसानों के धान की जो हड़पने का खेल खेला है. इसका आंकड़ा कुछ इस तरह है. व्यापारी कल्याण यादव 6 करोड़ 94 लाख 90 हजार 876 रुपए के धान ले उड़ा. दूसरे व्यापारी नरेश रावत 25 लाख 40 हजार 146 रुपए और भूपेंद्र किरार ने 3 लाख 37 हजार 730 रुपए का धान का गबन किया है. इस मामले में मंडी सचिव आलोक कुमार वर्मा की ओर से शिकायत की गई, जिस पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है.


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