Madhya Pradesh: एक समय था जब मध्य प्रदेश, देश में सबसे ज्यादा सोयाबीन उत्पादन करने वाला प्रदेश था लेकिन अब धीरे-धीरे उसका नंबर कम होता जा रहा है. जहां साल 2017-18 तक मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल 53% से ज्यादा हुआ करती थी. वहीं,अब 2021-22 में घटकर 39% के आस पास रह गई है. मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन कम होने के पीछे की वजह है कि यहां की सोयाबीन की फसल, मौसम की तीन तरह की मार को झेल रहा है. पहली यह कि किसानों ने किसी तरह से सरकारी या प्राइवेट कर्ज लेकर या फिर उधार लेकर सोयाबीन की फसल लगाई थी.
पहले बारिश फिर सूखे से चौपट हुई फसल
दूसरी यह कि जुलाई अगस्त के महीने में जब सोयाबीन को पानी की जरूरत थी तब उस दौरान मौसम ने बेरुखी दिखाई. नतीजातन सूखे जैसे हालात बन गए जिसके चलते सोयाबीन की फसल सूख गई. वहीं आखिर में बची-खुची फसल में इल्ली(कीट) लग गई जिसने सोयाबीन की फली खाकर फसल को चौपट कर दिया. किसानों ने महंगी कीटनाशक खरीद कर सोयाबीन पर छिड़काव किया लेकिन वो भी इल्ली को मारने में बेअसर रही. जैसे-तैसे किसानों की फसल बची तो सितंबर में हुई मूसलाधार बारिश ने फसल को गला कर रख दिया.
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किसान को सरकारी मदद की दरकार
मौजूदा हालत से किसान परेशान दिखाई दे रहे है. किसान को लग रहा है कि जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं उससे लागत भी नहीं निकल पाएगी. ऐसे में किसान को सरकार की मदद की दरकार है लेकिन वह भी किसानों को कोसो दूर दिखाई दे रही है. नतीजतन मध्य प्रदेश का सोयाबीन पैदा करने वाला किसान मौजूदा समय में गंभीर संकट से गुजर रहा है. फसलों को हुए भारी नुकसान के बाद हमने किसानों से भी इस बारे में बात की. जिलेभर में हुई बारिश से किसानों को भारी का नुकसान हुआ है.
"लागत निकलने की भी उम्मीद नहीं"
भोपाल से 12 किलोमीटर दूर निपानिया जाट गांव के किसान लोकेंद्र जाट बताते हैं कि उन्होंने 14 एकड़ जमीन में सोयाबीन की फसल बोई थी. जुलाई और अगस्त में बारिश नहीं होने की वजह से सोयाबीन की फसल में इल्ली लग गई. इससे सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो गई. सोयाबीन की बोनी, निंदाई और दवाई का छिड़काव करने में डेढ़ लाख से ज्यादा की लागत लगी है और अब पूरी फसल को इल्ली खा गई है.
"1 लाख उधार लेकर लगाई थी फसल"
निपानिया जाट के ही रहने वाले किसान मनीष जैन बताते हैं कि उन्होंने 14 एकड़ से ज्यादा जमीन में सोयाबीन की फसल बोई थी. जुलाई अगस्त में बारिश नहीं होने की वजह से उनकी फसल सूख गई. इल्ली का प्रकोप रहा, पेड़ बांझ रह गए और सोयाबीन में फली नहीं लगी. दवाइयां डाली तो वह दवाइयां भी नकली निकली और दवाइयों का कोई असर नहीं हुआ. वही सितंबर में ज्यादा बारिश होने की वजह से सोयाबीन खराब हो गया.
'ना पटवारी सुनता है और ना कोई सर्वे होता है"- किसान
निपानिया जाट के ही रहने वाले युवा किसान सिद्धार्थ जाट बताते हैं कि उनके और उनके पिता के पास ढाई एकड़ कृषि भूमि है. उनका तीन क्विंटल सोयाबीन बिगड़ गया है उन्होंने उसी खेत में फिर से धान बोया तो धान भी सही नहीं दिखाई दे रही है. पैसों की व्यवस्था नहीं हो पाई दूसरों से उधार लेकर उन्होंने खेती करी थी. कुछ महीनो बाद उनकी शादी होने वाली थी सोयाबीन खराब होने की वजह से उनकी शादी भी कैंसिल हो गई.
किसानो की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ भी लगातार शासन प्रशासन से मांग कर रहा है. पिछले दिनों भारतीय किसान संघ की मध्य प्रदेश इकाई ने पूरे प्रदेश में तहसील स्तर पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपे थे और सोयाबीन की फसल का सर्वे करा कर जल्द से जल्द मुआवजा दिलाने की मांग की थी.
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