शुद्धता की कसौटी पर खरा है महाकाल का प्रसाद ? NDTV की पड़ताल में ये आया सामने

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की बात सामने आने के बाद NDTV ने उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के मंदिर मिलने वाले मशहूर लड्डू प्रसाद के बनने की पूरी प्रक्रिया की पड़ताल की. इसमें जो चीजें सामने आई वो आपको भी जानना चाहिए.

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Mahakal Prasad: तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) के प्रसाद में मिलावट की बात सामने आने के बाद देशभर के बड़े मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद पर सवाल उठ रहे हैं. इसी को देखते हुए NDTV ने उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डू के बनने की पूरी प्रक्रिया की जांच की. जिसमें ऐसी बातें सामने आईं जो भक्तों को सुकून देने के लिए काफी हैं. आइए जानते हैं बाबा महाकाल का प्रसाद कहां बनता है? कैसे तैयार होता है और फ़ूड सेफ़्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानी FSSI ने इस प्रसाद को क्या रेटिंग दी है?  

ऐसे तैयार होता है महाकाल के प्रसाद में मिलने वाला लड्डू
Photo Credit: ललित जैन

दरअसल उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के मंदिर में दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. जिसके कारण यहां के प्रसाद की काफी मांग रहती है. लिहाजा मंदिर समिति बड़े पैमाने पर प्रसाद बनाती है. महाकाल मंदिर सहायक प्रशासक और लड्डू यूनिट प्रभारी पीयूष त्रिपाठी के मुताबिक मंदिर के लिए प्रसाद का निर्माण मंदिर परिसर से पांच किलोमीटर दूर मौजूद महाकाल लड्डू प्रसादम यूनिट में की जाती है. ये यूनिट चिंतामणि मंदिर के पास स्थित है. यहां हर दिन 60 कर्मचारी करीब 40 क्विंटल लड्डू बनाते हैं. अहम ये है कि ये लड्डू मंदिर समिति द्वारा तय सामग्री से ही बनाई जाती है. लड्डू बनाने की प्रक्रिया तभी शुरू होती है जब  बाजार से खरीदी गई सभी सामग्रियों की जांच राज्य खाद्य विभाग द्वारा करके ओके रिपोर्ट दे दी जाती है. 

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बेसन की पिसाई भी यूनिट में

पीयूष त्रिपाठी के मुताबिक यूनिट में बेसन के लड्डू बनते हैं. इसके लिए चने की पिसाई यूनिट में ही की जाती है. मिलावट की आशंका के मद्देनजर बाजार में उपलब्ध बेसन की खरीद नहीं की जाती है. इसके अलावा लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सांची घी की भी खाद्य विभाग अलग से जांच करता है.  लड्डू में इस्तेमाल किए जाने वाला रवा और ड्रायफ्रूट भी जांच के बाद मिलाया जाता है. इसी के साथ लड्डू बनाने वाले सभी कर्मचारी साबुन से हाथ धोकर और सर पर कैप पहनकर ही यूनिट में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे प्रसाद पूरी तरह हाइजेनिक और शुद्ध रहे. 

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प्रसाद में सांची घी का इस्तेमाल होता है पर उसकी शुद्धता की भी जांच होती है.

विशेष अवसर पर 100 क्विंटल

त्रिपाठी के मुताबिक लड्डू भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी FSSI के सभी मानकों को पूर्ण कर बनाए जाते हैं. देश में अन्य खाद्य पदार्थो की  जांच एजेंसियां भी यहां के लड्डू प्रसाद की जांच कर शुद्धता का प्रमाण दे चुकी है. यही वजह है कि देश में सबसे शुद्ध महाकाल का लड्डु प्रसाद माना जाता है और इसीलिए इसकी डिमांड भी है. इसके शुद्धता की जानकारी आप प्रसाद पैकेट पर दिए बारकोड से भी प्राप्त कर सकते हैं. सप्ताह में तीन दिन और विशेष दिनों यहां 100 क्विटंल लड्डू की खपत होती है.

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FSSI ने दी है 5 स्टार रेटिंग

लड्डू यूनिट प्रभारी त्रिपाठी  ने बताया कि वर्ष 2003 में सिर्फ बाबा महाकाल को नवैद्य चढ़ाने के लिए मंदिर परिसर के ही एक  कमरे में लड्डू प्रसाद बनाया जाता था. बाद में प्रसाद की शुद्धता को देखते हुए डिमांड बढ़ने लगी. इस दौरान 2015 में FSSI ने लड्डू प्रसाद की जांच कर इसकी गुणवत्ता के आधार पर 5 स्टार रेटिंग दी. वहीं सभी मानकों पर खरे उतरने पर राष्ट्रीय स्तर की अन्य खाद्य एजेंसियों ने भी इसे प्रमाणित किया.इससे इस प्रसाद के प्रति दुनियाभर में विश्वास बढ़ा है. नतीजतन 2016 में चिंतामन रोड पर महाकाल लड्डू प्रसादम यूनिट शुरू की गई थी.
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