मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर तहसील से एक ऐसी शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. जिस वाहन से मासूम बच्चे रोज पढ़ने स्कूल जाते हैं, वही वाहन बीच रास्ते में जवाब दे देता है. इसके बाद बच्चों को ही मजबूरी में उस वाहन को धक्का मारना पड़ता है. ये तस्वीरें सिर्फ एक खराब वाहन की नहीं, बल्कि सिस्टम की उस लापरवाही की हैं, जहां बच्चों की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया जाता है.
जानकारी के अनुसार, मामला निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर तहसील का है, जहां सांदीपनी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को रोजाना जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ रहा है. विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों के परिवहन के लिए एक निजी रूप से अटैच स्कूल वाहन यूपी-57-ई-3718 लगाया गया है. यह वाहन बेहद जर्जर हालत में है और रास्ते में बार-बार खराब हो जाता है. ताजा मामला गुरुवार सुबह सामने आया, जब स्कूल जाते वक्त वाहन बीच सड़क पर बंद हो गया और नन्हे-नन्हे बच्चे खुद उसे धक्का मारते हुए नजर आए.
जो बच्चे किताबें उठाकर अपना भविष्य संवारने निकले थे, वही बच्चे खटारा वाहन ढकेलने को मजबूर कर दिए गए. सबसे गंभीर सवाल यह है कि क्या इस वाहन की कभी फिटनेस जांच कराई गई. क्या स्कूल प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं है. यदि कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.
नियमों के अनुसार स्कूली वाहनों का फिट होना, आपातकालीन उपकरणों से लैस होना और समय-समय पर उनकी जांच अनिवार्य है. लेकिन इस मामले में नियम केवल कागजों तक ही सीमित नजर आ रहे हैं. यह घटना न सिर्फ स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल खड़े करती है.