न्यू लाइफ हॉस्पिटल अग्निकांड: 8 लोगों की मौत, जान की सरकारी कीमत ₹800! कोर्ट ने लगाई फटकार

अमन विश्वकर्मा जो मृतक तन्मय के पिता हैं, वे बताते हैं कि उन्हें पहले ही लग रहा था कि सभी बरी हो जाएंगे. अमन विश्वकर्मा कहते हैं कि दुख की घड़ी में जब आज NDTV हमारे परिवार के साथ था और आज भी सिर्फ एनडीटीवी ही हमारे परिवार के साथ आया है. हमें विश्वास है कि एनडीटीवी परिवार हमारे दुख में हमेशा खड़ा रहेगा.

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Jabalpur News: मध्य प्रदेश में अब किसी की जान की कीमत ₹800 से भी कम लगाई जा सकती है, यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ऐसा सरकार ने खुद अपने एक आदेश में कहा था. जबलपुर में 18 महीने पहले न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल (New Life Multi Specialty Hospital Jabalpur) में आग लगने की घटना हुई थी. इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 18 अन्य घायल हो गए थे. आग लगने के बाद जांच से पता चला कि हॉस्पिटल सरकार के किसी भी निर्धारित पैमाने को पूरा नहीं करता था बल्कि इस हॉस्पिटल सहित शहर के 52 निजी हॉस्पिटल (Private Hospital) पैमानो में पूरे नहीं उतार रहे थे. नगर निगम (Nagar Nigam Jabalpur) से भवन पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं थे. भवन के चारों ओर 3 मीटर खाली स्थान (Open Space) की उपलब्धता नहीं थी. वहीं आग लगने की स्थिति में दमकल गाड़ियों (Fire Brigades) के निर्बाध आवागमन के लिए स्थान खाली नहीं थे.

Jabalpur News: न्यू लाइफ हॉस्पिटल के दृश्य

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने लगाई थी जनहित याचिका

जबलपुर की हॉस्पिटल (Jabalpur Hospitals) की अनिमितताओं को लेकर लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन (Law Student Association) ने जनहित याचिका (Public Interest Litigation) लगाई थी, इसके बाद एक विशेषज्ञ दल (Expert Team) ने सभी हॉस्पिटल की जांच की और सभी अस्पतालों को लाइसेन्स दे दिये गए थे. ये हादसा जांच के बाद हुआ था कमेटी ने इसे भी सही पाया था.

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Jabalpur News: हॉस्पिटल में आग के बाद जांच करती एक्सपर्ट टीम

भीषण अग्निकांड (Massive Fire) के बाद आनन-फानन में सरकार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer) रत्नेश क़ुरारिया के साथ चिकित्सा विभाग (Health Depatment), नगर निगम, अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग व अन्य विभागों के कुल 8 अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया था और इसके बाद जांच शुरू हुई.

सरकारी जांच (Government Investigation) का जो हाल होता है, वह इस जांच का भी हुआ. धीरे-धीरे सभी अफसर बहाल कर दिए गए और उन्हें फिर उसी काम पर तैनात कर दिया गया, जिसके लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था. मुख्य दोषी डॉ रत्नेश कुररिया को उनके मूल विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया.

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जॉइंट डाइरेक्टर हेल्थ एंड सीएचएमओ डॉ संजय मिश्रा बताते है कि जांच के बाद सरकार ने जो उपयुक्त पाया उसके अनुसार दंड दिया, जिसमें डॉ रत्नेश क़ुरारिया को एक वेतन वृद्धि रोकना था. विभागीय जांच में लिखा गया कि रत्नेश कुररिया को दिये आदेश में कहा गया है कि दिनांक 30 नवंबर 2022 के आदेश के माध्यम से उस जांच के निष्कर्ष के बाद उक्त अपराधी पर संचयी प्रभाव के बिना एक वेतन वृद्धि रोकने का मामूली जुर्माना जारी किया. 

Jabalpur News: सीएमएचओ रत्नेश कुररिया 

डॉ रत्नेश कुररिया को दोषी पाकर उनकी सिर्फ एक वेतन वृद्धि रोकी गई, जो लगभग ₹7000 होती है यानी 8 मौत के जिम्मेदार को सिर्फ एक वेतन वृद्धि रोक कर बरी कर दिया गया, वहीं अन्य सभी अधिकारी कर्मचारी भी अपने-अपने मूल विभागों में काम करने लगे. दुखों का पहाड़ टूट तो उसे सिर्फ उस परिवार पर जिसने अपने किसी को खोया था.

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पहले ही लगा था कि सभी बरी हो जाएंगे : मृतक के परिजन

अमन विश्वकर्मा जो मृतक तन्मय के पिता हैं, वे बताते हैं कि उन्हें पहले ही लग रहा था कि सभी बरी हो जाएंगे. अमन विश्वकर्मा कहते हैं कि दुख की घड़ी में जब आज NDTV हमारे परिवार के साथ था और आज भी सिर्फ एनडीटीवी ही हमारे परिवार के साथ आया है. हमें विश्वास है कि एनडीटीवी परिवार हमारे दुख में हमेशा खड़ा रहेगा.

कोर्ट ने लगाई फटकार

मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) के इस निर्णय की जानकारी जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) तक पहुंची तो वह बहुत नाराज हुए और उन्होंने मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीणा राणा (Madhya Pradesh Chief Secretary Veena Rana) को इस मामले में एक एफिडेविट प्रस्तुत करने की निर्देश दिए.

चीफ जस्टिस रवि मलिमथ एवं न्यायाधीश विशाल मिश्रा ने लिखा कि तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) जबलपुर डॉ रत्नेश कुरारिया के विरुद्ध प्रारंभ की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि अग्नि दुर्घटना के कारण 8 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और 18 व्यक्ति घायल हो गए. जब ऐसी आपदा थी और 8 लोगों की जान चली गई, तो हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि एक वेतन वृद्धि रोकने का जुर्माना कानून की आवश्यकताओं को कैसे पूरा करता है? हम राज्य (सरकार) से जानना चाहेंगे कि क्या सांकेतिक जुर्माना देना अग्नि दुर्घटना में 8 लोगों की मौत को उचित ठहराता है. इसलिए मुख्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वह हलफनामा देकर बताएं कि क्या राज्य ऐसी आपदा पर दी गई इस तरह की सजा से संतुष्ट है? जिसके परिणामस्वरूप 8 लोगों की जान चली गई और 18 लोग घायल हो गए.

मुख्य सचिव ने कोर्ट से मांगी माफी

4 मार्च 2024 को मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीणा राणा के द्वारा एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने कोर्ट से माफी मांगते हुए लिखा कि विभागीय जांच से संबंधित संपूर्ण रिकॉर्ड मांगा, जोकि दोषी सीएमएचओ डॉ कुरारिया के खिलाफ की गईं और उसके अवलोकन से यह पता चला कि विभागीय जांच संतोषजनक तरीके से संचालन नहीं की गई जबलपुर के अस्पताल में हुई भीषण आग की घटना के संबंध में जबलपुर के सीएमएचओ की विभागीय जांच की समीक्षा नहीं करने के लिए मैं अपनी ईमानदार, प्रामाणिक और बिना शर्त माफी मांगती हूं.

याचिकाकार्ता के एडवोकेट परितोष गुप्ता ने NDTV से कहा कि कानून जो कार्रवाई की जाएगी जो सजा मिलना चाहिए वह तो मिलेगी लेकिन यदि मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह सजा अनउपयुक्त है. अब सरकार क्या एक्शन लेती है? यह तो अगली सुनवाई में पता चलेगा.

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने 6 मार्च 2024 के आदेश में मुख्य सचिव के खिलाफ हल्फनामे को रिकॉर्ड में लेते हुए कहा कि दोषी अधिकारी की समीक्षा की जाए हलफनामे में जो कहा गया है उसे पूरा किया और रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. अब सवाल यह आता है कि यदि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की  याचिका पर गंभीरता पूर्वक विचार न किया होता तो आज एक बार ₹7000 का इंक्रीमेंट रुकवा कर तत्कालीन सीएमएचओ रत्नेश कोरिया 8 मौतों  के दोष से बरी हो जाते, अभी भी कहा नहीं जा सकता कि मध्यप्रदेश सरकार उन पर और उनके साथ देने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करेगी.

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