Sagar News: 'मां मेरा क्या कसूर... अगर मेरा जन्म तेरे माथे पर कलंक लग रहा था, तो तूने मुझे रास्ते में छोड़ दिया... मां मुझे छोड़ने से पहले तूने एक बार भी यह नहीं सोचा कि तुमने 9 माह अपनी कोख में अपने खून की एक-एक बूंद से मुझे सींच कर पाला था...' शायद ऐसा ही सोच रहा होगा सात दिन का वह नवजात बच्चा जिसे उसके मां-बाप मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर (Sagar) जिले में सड़क किनारे छोड़ गए थे. बच्चे को देख ग्रामीण उसकी मां को कोसते हुए नजर आए. मामला सागर जिले के रहली तहसील के छिरारी गांव का है. अच्छी बात यह रही कि पास में ही लगे रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (Rani Durgawati Tiger Reserve) के किसी जानवर ने नवजात को अपना शिकार नहीं बनाया और बच्चे को समय से अस्पताल पहुंचा दिया गया.
रोने की आवाज से मिली जानकारी
सागर जिले के छिररी गांव में देर रात एक घर के सामने कपड़े में लिपटा हुआ सात दिन का नवजात बच्चा पड़ा हुआ था. बच्चे की रोने की आवाज सुनकर घर पर सो रहे लोगों ने उसे देखा, तो कपड़े में लिपटा हुआ एक नवजात रो रहा था. इसकी तुरंत जानकारी उन्होंने रहली पुलिस को दी. छिरसी से चांदपुर जाने वाली सड़क पर बने घर के गेट पर छोड़कर कोई अज्ञात परिजन बच्चे को छोड़कर चला गया था. पुलिस पहुंची तो नवजात कपड़े में लिपटा हुआ था. डायल 100 के पायलट और प्रधान आरक्षक ने मौके से इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी और तुरंत डायल 100 में नवजात को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर बसंत नेम ने नवजात बच्चे का परीक्षण किया और प्राइमरी इलाज शुरू किया.
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अज्ञात परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज
प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया कि रात में गेट के सामने बिल्ली जैसे रोने की आवाज सुनाई दी थी. गेट खोल कर देखा गया तो नवजात कपड़े में लिपटा हुआ रो रहा था. जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आ गई. डॉ बसंत नेमा ने बताया कि बच्चा सात दिन का है और पूरी तरह से स्वस्थ है. लेकिन, उसे आईसीयू और अन्य जैसी उचित व्यवस्था न होने से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है. इस पूरे मामले में रहली थाना प्रभारी अनिल तिवारी ने अज्ञात परिजन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और परिजनों की तलाश की जा रही है. स्वस्थ होने के बाद उसे मातृत्व छाया में भेजा जाएगा.
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