हे भगवान! यहां तो मौत के बाद भी खत्म नहीं हो रहा इंतजार,  पोस्टमार्टम के लिए शवों की लगी है लंबी कतार

Netaji Subhash Shandra Bose Medical College: मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में लोगों के मौत के बाद भी इंतजार करना पड़ रहा है. दरअसल, यह मेडिकल कॉलेज स्टाफ की भारी किल्लत से जूझ रहा है, जिसकी वजह से यहां जितने शव लाए जाते हैं, उनका पोस्टमार्टम नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से यहां शकों की कतार लग जाती है.

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NSCB Medical College Jabalpur:  मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) में लोगों की मौत के बाद भी इंतजार करना पड़ रहा है. दरअसल, यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (Medical College Jabalpur ) में लाशें पोस्टमार्टम का इंतजार कर रही है. पोस्टमार्टम की लंबी वेटिंग लिस्ट की वजह से मृतकों के परिजन भी परेशान हो रहे हैं. ये लोग इंतजार कर रहे हैं कि उनके अपनों के शव का पोस्टमार्टम कब होगा.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर जिले का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज है. लिहाजा, यहां पर बड़ी संख्या में शव पोस्टमार्टम के लिए लाए जाते हैं. हालांकि, कई बार पुलिस केस के लिए, कुछ इन्वेस्टिगेशन के लिए बहुत सी लाशें पोस्टमार्टम के इंतजार में 2-3 दिन तक रखी रहती है. यहां रखे शवों में से कुछ तो जली  हुई है, जिनका पोस्टमार्टम करना तुरंत आवश्यक होता है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से इन शवों को भी पोस्टमार्टम के लिए इंतजार करना पड़ता है.

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स्टाफ की कमी से जूंझ रहा मेडिकल कॉलेज

दरअसल, जबलपुर के इस मेडिकल कॉलेज में एक दिन में 10 से 12 पोस्टमार्टम तक करने की सुविधा है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से यह संख्या पूरी नहीं हो पाती और फिर इंतजार का सिलसिला शुरू हो जाता है. यहां वजह से है कि जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस (NSCB) मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक विभाग में पोस्टमार्टम (PM) के लिए लंबी कतार लगी रहती हैं , जिससे मृतकों के परिजनों का धैर्य टूटने लगता है. इसके साथ ही कई बार कानूनी सबूत भी नष्ट हो जाते हैं. यहां जो लोग अपनों के शवों के पोस्टमार्टम का इंतजार कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि कई दिनों से इंतजार करने के बावजूद उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है.

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परिजनों का छलका दर्द

अपनों के शव का पोस्टमार्टम कराने पहुंचे दीपक रजक ने बताया कि यहां पीएम हाउस में हर रोज 6-7 शवों को पोस्टमार्टम के लिए लाया जाता है. अधिक संख्या के कारण व्यवस्था चरमरा जाती है. परिजन बार-बार अपने नंबर के बारे में पूछताछ करते रहते हैं, लेकिन यहां जवाब कोई नहीं दे रहा है. वहीं, दमोह से आए धान सिंह लोधी ने बताया कि परसों भाई की डेथ हुई थी. बर्न केस है, लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि 13 बोडी अभी बाकी हैं.

8 कर्मचारियों की जगह 2 कर रहे हैं काम

फॉरेंसिक  विभाग अध्यक्ष डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि पोस्टमार्टम प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए कम से कम 8 कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 2 कर्मचारी ही कार्यरत हैं. लाशों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए अस्थायी रूप से 2 अतिरिक्त कर्मचारी भेजे गए हैं. उन्होंने कहा कि “हमारे पास 6 पोस्टमार्टम की फैसिलिटी है. कर्मचारी मिल जाए, तो काम बन जाएगा वर्ना 6 पोस्टमार्टम आज करेंगे और 6 अगले दिन के लिए छोड़ना पड़ेगा. पीएम के लिए क्लास-4 कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है, जिससे प्रक्रिया धीमी हो रही है. इस समस्या के समाधान के लिए अधिष्ठाता को पत्र लिखा गया है. मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. नवनीत सक्सेना ने भी माना कि स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति आवश्यक है और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

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सरकार के जिम्मेदार अधिकारी भी इस समस्या को जानते हैं, लेकिन छोटे से छोटा काम करने लिए लालफीताशाही की सरकारी नीति की वजह से कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं. सीएमएचओ डॉ संजय मिश्र का मानना है कि जल्दी इस समस्या का समाधान होगा. 

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