Neemuch News: भारत विभिन्न परंपराओं, संस्कृति और मान्यताओं का देश है. यहां ग्रामीण क्षेत्रों में मनोकामनाएं के लिए आज भी टोटके की परंपरा निभाई जाती है. खासतौर पर अच्छी बारिश और भगवान इंद्र देवता को मनाने के लिए अलग-अलग तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है. ताकि इंद्रदेव प्रसन्न हो और क्षेत्र में अच्छी बारिश करें. वहीं मालवा के ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी बारिश के लिए घास भैरव की पूजा का प्रावधान है.
अच्छी बारिश के लिए नीमच में घास भैरव की पूजा-अर्चना
मध्य प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे नीमच जिले के मनासा क्षेत्र में बारिश की खेंच से किसान बेहद परेशान हैं. खेतों में लगी फसलें पानी के अभाव में सूखने लगी हैं. सावन माह गुजर जाने के बावजूद नदी-नाले और तालाबों में पानी नहीं है. ऐसे में बालागंज गांव के ग्रामीणों ने परम्परा अनुसार, अच्छी बारिश की कामना के लिए घास भैरव की पूजा की. यहां घास भैरव की मूर्ति का अभिषेक कर मदिरा पान चढ़ाया गया और ढोल-नगाड़ों के साथ पूरे गांव का भ्रमण कराया गया. इस दौरान महाआरती की गई और लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया. ग्रामीणों ने सुख-समृद्धि और समय पर बारिश होने की कामना की.
घास भैरव का नगर भ्रमण
बालागंज के ग्रामीणों ने घास भैरव की पूजा-अर्चना कर उन्हें नगर का भ्रमण कराया. ढोल-नगाड़े और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज के बीच घास भैरव को अभिषेक करवाया. इसके बाद उन्हें शराब का भोग लगाया गया. ग्रामीणों ने लकड़ी के बने आसान पर घास भैरव को विराजित कर पूरे गांव में भ्रमण कराया. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसके पीछे मान्यता है कि घास भैरव, भगवान इंद्र तक संदेश पहुंचाकर सही समय पर अच्छी बारिश करवाते हैं.
महाआरती का आयोजन
नगर भ्रमण के बाद घास भैरव की महाआरती संपन्न हुई. इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए. महाआरती के बाद प्रसाद का वितरण किया गया और लोगों ने सामूहिक रूप से सुख-समृद्धि व समय पर अच्छी बारिश की प्रार्थना की. इस धार्मिक आयोजन के दौरान पूरा गांव उत्साह और आस्था से सराबोर नजर आया.
ग्रामीणों ने बताया कि जब घास भैरव को मदिरा पान करवा कर नगर भ्रमण कराया जाता है, तो वो भगवान इंद्र को संदेश देते हैं, जिसके बाद वर्षा होती है.
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