NDTV एक्सक्लूसिव | ₹230 करोड़ का रहस्य: क्या मध्यप्रदेश के ख़ज़ाने में घूम रहे हैं 50,000 ‘भूत कर्मचारी’?

Madhya Pradesh News:  NDTV के हाथ लगे एक दस्तावेज ने प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है. यदि जांच में बातें सच निकली तो ये मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा सैलरी घोटाला साबित हो सकता है.

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(फाइल फोटो)

NDTV Exclusive : सरकारी फ़ाइलों के तहख़ाने में दबी एक कहानी, जो अगर सच निकली, तो ये मध्यप्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा सैलरी घोटाला साबित हो सकती थी, हालांकि मध्यप्रदेश के आयुक्त ट्रेजरी ने डेटा ऑडिट के दौरान एक संभावित गड़बड़ी को पहचान कर, समय रहते एक बड़ा जोखिम टालने की पहल की. 50,000 सरकारी कर्मचारी, जिनके पास वैध एम्प्लॉयी कोड हैं, लेकिन 6 महीने से उनकी सैलरी ट्रेज़री से नहीं निकाली गई. इससे पहले कि कोई संभावित गबन हो, आयुक्त ट्रेजरी ने खुद जांच शुरू की और सभी DDOs से जवाब मांगा. जांच का मकसद सीधा है, कोई भूत कर्मचारी सिस्टम में मौजूद तो नहीं?

NDTV को मिला खजाने से निकला कागज

NDTV के हाथ लगे दस्तावेज़ से खुलासा हुआ है कि राज्य के 50,000 कर्मचारियों की सैलरी बीते 5-छह महीनों से ट्रेज़री से नहीं निकाली गई है. एम्पलॉई कोड हैं, पहचान नहीं. नाम हैं, काम नहीं. पद हैं, पदचिन्ह नहीं ... कुछ वैसे ही कि  "कर्मचारी तो हैं, मगर सरकारी खाते में जैसे भूतों ने Aadhar लिंक करवा लिया हो!"

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23 मई को ट्रेज़री और अकाउंट्स विभाग के कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने सारे आहरण अधिकारी (DDO) को जो चिट्ठी लिखी है उसकी प्रति NDTV के पास है.

इसमें कहा गया है: "IFMIS सिस्टम में ऐसे रेगुलर और नॉन-रेगुलर कर्मचारियों का डाटा संलग्न है जिनकी सैलरी दिसंबर 2024 से नहीं निकली. इनके कोड सक्रिय हैं लेकिन मृत्यु या सेवानिवृत्ति तिथि की IFMIS में प्रविष्टि नहीं हुई है एवं IFMIS पोर्टल पर Exit प्रोसेस पूरा नहीं हुआ है, फिर भी वेतन नहीं निकाला जा रहा है."

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आंकड़े जो होश उड़ा दें...

  • 40,000 रेगुलर कर्मचारी
  • 10,000 टेम्परेरी स्टाफ
  • ₹230 करोड़ की रुकी हुई सैलरी
  • 6,000 से ज्यादा DDOs अब रडार पर

भूत-कोड सक्रिय, सैलरी निष्क्रिय!

चौंकाने वाली बात ये है कि इन कर्मचारियों के कोड एक्टिव हैं, यानी वेतन किसी भी दिन निकाला जा सकता है. CTA भास्कर लक्षकार NDTV से कहते हैं कि "हम नियमित रूप से डेटा विश्लेषण करते हैं और यह विसंगति उसी दौरान देखी गई. मैं पूरी स्पष्टता के साथ यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि इन खातों से वेतन निकाला जा रहा है, ऐसा नहीं है. यह जांच संभावित गबन की आशंका को रोकने के उद्देश्य से की जा रही है."

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बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू

इससे पहले कि कोई संभावित गबन हो, आयुक्त ट्रेजरी ने खुद जांच शुरू की और सभी DDOs से जवाब मांगा है. राज्यभर में अब सभी DDO से सर्टिफिकेट मांगा गया है कि उनके ऑफिस में कोई "अनधिकृत" कर्मचारी काम नहीं कर रहा. एक सीनियर वित्त अधिकारी NDTV से कहते हैं कि "अगर किसी की सैलरी छह महीने से नहीं निकली, और वह Exit भी नहीं हुआ है-तो ये सीधा-सीधा शक पैदा करता है."

हर विभाग के पास 15 दिन हैं जवाब देने के लिए

कौन इस लिस्ट में है, कौन काम पर है, और कौन सिर्फ सैलरी में दर्ज है… नाम में मौजूद लेकिन शासन में गायब हैं. इस मामले को लेकर विभागों के पास जवाब देने के लिए 15 दिन का केवल समय है. 

वित्त मंत्री से टकराव... और चुप्पी

NDTV की टीम मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के घर पहुंची. जैसे ही सवाल पूछा गया "50 हज़ार कर्मचारियों की सैलरी छह महीने से क्यों नहीं निकली?" तो मंत्री जी घबरा गए.जवाब मिला कि, “जो भी प्रक्रिया होती है, नियमों के अनुसार होती है…”

 हमने फिर पूछा- "तो क्या ये कोई बड़ा घोटाला हो सकता है?" जवाब मिला कि “जो होगा, नियम के अनुसार होगा... ठीक है... ठीक है...” और फिर मंत्री जी बिना कैमरे की तरफ देखे भीतर चले गए.

अगर हर घोटाले का जवाब “ठीक है…” से दिया जाए, तो CAG की रिपोर्ट को कविता संग्रह में तब्दील कर देना चाहिए. यह सिर्फ सैलरी रुकने का मामला नहीं है.

अगर इन 50 हज़ार में से कुछ भी 'भूत कर्मचारी' निकले, तो सवाल उठता है: सिस्टम को कौन चला रहा है? क्या सैलरी बैक डेट में निकालकर चुपचाप ले जाई जा सकती है? क्या ₹230 करोड़ का फर्जीवाड़ा पहले से दबा हुआ है?

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