Navratri: बाबा महाकाल का देवी स्वरूप में किया श्रृंगार, इस विधि से की पूजा तो होगी मनोकामना पूरी, यहां देखें दिनभर के मुहूर्त   

MP News: नवरात्र पर्व के पहले दिन उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर में देवी स्वरूप में  बाबा का श्रृंगार किया गया. मां हरसिद्धि का मंदिर भी आस्था की ज्योत से जगमगायेगा. 

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Navaratri In Baba Mahakal Temple: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में किसी भी पर्व की शुरूआत बाबा महाकाल के आंगन से होती है. यही वजह है कि गुरूवार से नवरात्रि प्रारंभ होने पर भस्मारती में विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल का देवी स्वरूप में श्रृंगार किया गया. तिथि और मूहर्त अनुसार घट स्थापना कर नवरात्रि पर्व शुभारंभ किया गया. इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन के हैं और अष्टमी व नवमी का पूजन एक ही दिन होगा. 

इस पद्धति से करें पूजा

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि गुरुवार 3 अक्टूबर को हस्त नक्षत्र योग में नवरात्रि पर्व शुरू हो चुका है .गुरुवार सुबह भस्म आरती में विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल का शक्ति स्वरूप दुर्गा मां के स्वरूप में श्रृंगार किया गया. बाबा को देवी स्वरूप में देख भक्तों ने जयकारे लगाए. इसके बाद ही पूरे शहर में नवरात्रि पर्व प्रारंभ हुआ.ज्योतिषाचार्य पंडित अमर शंकर डिब्बेवाला ने बताया कि इस योग को अच्छा माना जाने के कारण 9 दिन विधिवत वैदिक पद्धति से की गई साधना आराधना भक्तों व साधकों को मनोवांछित फल प्रदान करती है.

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इसमें विद्यार्थी, व्यापारी,कर्मचारी सभी को अपने शारीरिक, मानसिक बौद्धिक स्थिति के अनुसार उपासना करनी चाहिए. नवरात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग 5,7,12 अक्टूबर को और रवि योग 5, 6,11 अक्टूबर को रहेगा.

घट स्थापना के मुहूर्त

3 अक्टूबर गुरुवार को प्रात: 6:30 से 8 बजे तक शुभ का चौघडिय़ा, 10:50 से 12:20 बजे तक अभिजीत,11 से 12:30 बजे तक चंचल, दोपहर 12:30 से 2 बजे तक लाभ, 2 से 3:30 अमृत, शाम 5 से 6:30 बजे तक शुभ अमृत बेला रहेगा.

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अष्टमी-नवमी एक ही दिन

पं. डिब्बेवाला के अनुसार नवरात्रि पर्व के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि की पूजन एक दिन रहेगी. जिनके यहां नवमी की पूजन दोपहर 1 बजे बाद की जाती है, वे 12 अक्टूबर की सुबह पूजन कर सकते हैं. 11 अक्टूबर को अष्टमी पूजन प्रात: से मध्यान्ह पर्यंत और नवमी का पूजन अपरान्ह से सायं पर्यंत कुल परंपरा के अनुसार कर सकते हैं. 

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नवदुर्गा में नौ प्रकार की शक्ति

माता के आगमन के वाहन अलग-अलग प्रकार से शास्त्र में बताए गए हैं. माता जी जिस वाहन में प्रवेश करती हैं, उसे पाल कहा जाता है. मान्यता है कि पालकी में आदिशक्ति का आगमन धीमी गति से किंतु प्रभावशाली और वैभवशाली माना जाता है.

9 दिन के पर्व काल में रूप सौंदर्य, स्वास्थ्य, बौद्धिक विकास, वाणी विकास, दृष्टि संदर्भ, कार्य संदर्भ और विजय संदर्भ से जुड़े सभी विषयों को प्राप्त करने के लिए संकल्प उपासना करें.शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में भक्तों की भीड़ रहेगी. 

हरसिद्धि मंदिर में कार्यक्रम

श्री हरसिद्धि माता मंदिर के पुजारी रामचंद्र गिरी ने बताया कि देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में नवरात्रि पर्व पर गुरुवार को माता हरसिद्धि मंदिर में सुबह 6 बजे घटस्थापना के बाद अभिषेक के पश्चचात श्रृंगार होगा. प्रतिदिन सुबह 7 बजे माता की मंगला आरती और शाम 7 बजे संध्या आरती होगी. नवरात्रि तक शयन आरती नहीं होगी. देवी की प्रसन्नता के लिए नवचंडी पाठ किए जाएंगे. अनुष्ठान का समापन दशमी पर होगा. नवरात्रि पर्व पर माता के दर्शन का विशेष महत्व रहता है. इसलिए देश भर से श्रद्धालु दर्शन और अपनी मनोकामना के लिए आते हैं.

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जगमग होगी दीपमालिकाएं

श्री हरसिद्धि माता मंदिर परिसर में प्राचीन दो दीपमालिका भी है. शारदीय नवरात्रि में देशभर के भक्त दीपमालिका प्रज्वलित कराने के लिए ललायित रहते है. इस बार भी नवरात्रि पर पहले से ही नौ दिन की बुकिंग हो चुकी है. मंदिर समिति एक से अधिक भक्त होने पर सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कराती है. एक बार दीपमालिकाएं प्रज्वलित कराने पर करीब 15 हजार रूपए से अधिक का खर्च आता है.

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