Narmada Parikrama: नर्मदा परिक्रमा पर CM मोहन के बेटे व बहू; जानिए इस यात्रा का लाभ, महत्व और पूरी जानकारी

Narmada Parikrama: मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली मां नर्मदा एक पवित्र नदी है. नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है जो उलटी दिशा में बहती है. इसका उद्गम स्थल अमरकंटक है, जहां से शुरू होकर यह गुजरात में जाकर खम्भात की खाड़ी में समा जाती है. नर्मदा के किनारे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनेकों स्थान हैं.

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Narmada Parikrama: नर्मदा परिक्रमा पर CM मोहन के बेटे व बहू; जानिए इस यात्रा का लाभ, महत्व और पूरी जानकारी

Narmada Parikrama: तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर के ब्रह्मपुरी घाट पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) के पुत्र नवविवाहित डॉ अभिमन्यु एवं उनकी पत्नी डॉ इशिता ने माँ नर्मदा की पावन परिक्रमा (Narmada Parikrama) का संकल्प लिया. परिक्रमा आरंभ करने से पूर्व दोनों ने संत विवेक गुरुजी से आशीर्वाद प्राप्त किया. इसके बाद परिवारजनों के साथ भगवान के दर्शन कर विधिवत पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर पारिवारिक शुभचिंतकों ने नवदंपति को शुभकामनाएं दीं. यात्रा के दौरान दोनों ने बताया कि धर्म में आस्था रखते हुए हमने यात्रा का संकल्प लिया है और मां नर्मदा के आशीर्वाद से इसे पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहे है. इस यात्रा में नर्मदा जी को समझने का मौका मिलेगा.

Narmada Parikrama: सीएम मोहन यादव के बेटे व बहू नर्मदा परिक्रमा के दौरान

क्यों खास है नर्मदा परिक्रमा?

मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली मां नर्मदा एक पवित्र नदी है. नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है जो उलटी दिशा में बहती है. इसका उद्गम स्थल अमरकंटक है, जहां से शुरू होकर यह गुजरात में जाकर खम्भात की खाड़ी में समा जाती है. नर्मदा के किनारे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनेकों स्थान हैं.

मध्य प्रदेश में ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी नर्मदा नदी के किनारे ही बसा हुआ है. नर्मदा परिक्रमा का महत्व आध्यात्मिक शुद्धि, पाप मुक्ति, आत्म-ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति में है, क्योंकि इसे एक पवित्र तपस्या माना जाता है जो जन्म-जन्मांतर के पाप धो देती है, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर लाभ देती है और भक्तों को मां नर्मदा से जोड़ती है.

यह "मोक्षदायिनी" और "तरल ब्रह्म" कहलाती है. यह यात्रा अहंकार से विनम्रता की ओर ले जाती है और जीवन को एक सार्थक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देखने का अवसर देती है, जहाँ नदी का हर कण शिव का स्वरूप माना जाता है.

नर्मदा परिक्रमा महत्व

यह यात्रा आत्म-बोध, शांति और ईश्वर से साक्षात्कार की ओर ले जाती है. यह भोग और योग के बीच संतुलन सिखाती है. नर्मदा नदी को भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न माना जाता है, और उनका हर कंकर 'नर्वदेश्वर शिवलिंग' के समान है, जिससे परिक्रमा करने से शिव की भी परिक्रमा होती है. यह केवल चलना नहीं, बल्कि तपस्या, त्याग और समर्पण की एक लंबी यात्रा है जो व्यक्ति को विनम्र बनाती है.

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  • आध्यात्मिक शुद्धि और पाप मुक्ति: यह यात्रा जन्मों-जन्मों के पापों का नाश करती है और व्यक्ति को निष्पाप बनाती है, जैसा कि स्कंद पुराण में वर्णित है.
  • मोक्ष और आत्म-ज्ञान: इसे मोक्ष प्राप्त करने का एक मार्ग माना जाता है, जिससे व्यक्ति को आत्म-ज्ञान और ईश्वर से साक्षात्कार का अवसर मिलता है.
  • शारीरिक और मानसिक लाभ: परिक्रमा से शारीरिक सहनशक्ति बढ़ती है, स्वास्थ्य लाभ होता है और मानसिक रूप से चिंतामुक्त होकर धैर्य का विकास होता है.
  • देवी नर्मदा का आशीर्वाद: नर्मदा नदी को देवी का रूप माना जाता है; उनकी परिक्रमा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं.
  • अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव: यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक गहरी साधना है, जो भक्तों को नदी और प्रकृति से जोड़ती है, साथ ही विभिन्न पवित्र स्थलों के दर्शन भी कराती है.
  • असाधारण नदी का सामर्थ्य: नर्मदा को भारत की एकमात्र नदी माना जाता है जिसकी परिक्रमा की जाती है, और यह प्रलय-महाप्रलय में भी अक्षुण्ण रहती है, जो इसकी असीम शक्ति को दर्शाता है.

इसे मोक्षदायिनी कहा गया है. माना जाता है कि एक परिक्रमा करने से 7 जन्मों के पाप धुल जाते हैं और 108 परिक्रमाएँ मोक्ष दिला सकती हैं. नर्मदा विश्व की एकमात्र नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है, और इसके तटों को तपोभूमि माना जाता है जहाँ अनेक ऋषि-मुनियों ने तपस्या की है.

ऐसा है परिक्रमा मार्ग

नर्मदा परिक्रमा मुख्य रूप से अमरकंटक से शुरू होती है, जहाँ से नदी का उद्गम होता है, और यह लगभग 3500 किलोमीटर लंबी एक वृत्ताकार यात्रा है, जिसमें साधक नदी के उत्तरी तट से चलते हैं और समुद्र (खम्भात की खाड़ी) पार करने के बाद दक्षिणी तट से लौटते हुए वापस अमरकंटक पहुंचते हैं, यह यात्रा पैदल करने पर कई महीने (लगभग 200-250 दिन) लेती है. अधिकांश श्रद्धालु अमरकंटक से परिक्रमा शुरू करते हैं, जो नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है. लेकिन कुछ लोग ओंकारेश्वर से भी इस यात्रा की शुरुआत करते हैं, लेकिन पारंपरिक और आध्यात्मिक रूप से अमरकंटक को महत्वपूर्ण माना जाता है.

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परिक्रमा का मार्ग (मुख्य पड़ाव)

  1. अमरकंटक: परिक्रमा का आरंभ और अंत स्थल.
  2. जबलपुर (भेड़ाघाट), बरगी: जबलपुर के पास भेड़ाघाट से होते हुए.
  3. नर्मदापुरम (होशंगाबाद): नर्मदापुरम शहर और आसपास के क्षेत्र.
  4. ओंकारेश्वर: ॐ आकार के द्वीप वाला प्रमुख तीर्थ, परिक्रमा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव.
  5. महेश्वर: अहिल्याबाई की नगरी, महत्वपूर्ण घाटों के लिए प्रसिद्ध.
  6. बड़वानी, सरदार सरोवर, भरूच (गुजरात): नदी के मुहाने के पास का क्षेत्र.
  7. कथपोर (गुजरात): जहाँ नर्मदा सागर से मिलती है, परिक्रमा का समुद्री पड़ाव.
  8. मीठी तलाई (गुजरात): सागर में विलीन होने का स्थान, यहाँ से जलमार्ग से वापसी.
  9. उत्तरी तट: सागर से लौटकर, उत्तरी किनारे से वापस अमरकंटक तक. 

इन बड़े नामों ने की है परिक्रमा

वैसे तो कई राजनेताओं ने नर्मदा परिक्रमा की है, जिनमें प्रमुख रूप से दिग्विजय सिंह (पूर्व CM मध्य प्रदेश) ने में परिक्रमा की थी और हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव और बहू डॉ. इशिता यादव ने विवाह के बाद यह पवित्र यात्रा शुरू की है, जो आजकल चर्चा में है. इनके अलावा, प्रहलाद पटेल (केंद्रीय मंत्री) ने भी अपनी 'उद्गम मानस यात्रा' के दौरान नर्मदा परिक्रमा के अनुभवों पर एक पुस्तक 'परिक्रमा-कृपा सार' लिखी है. 

दिग्विजय सिंह: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता, जिन्होंने 2017-2018 में लगभग 3300 किलोमीटर लंबी और छह महीने की नर्मदा परिक्रमा की थी, जिसके बाद वे राजनीतिक रूप से और सक्रिय हुए.

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प्रहलाद पटेल: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता, जिन्होंने नर्मदा परिक्रमा के अपने अनुभवों को 'परिक्रमा-कृपा सार' नामक पुस्तक में संकलित किया है और नदियों के संरक्षण के लिए भी यात्राएं की हैं. 

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह निकल चुके हैं नर्मदा सेवा यात्रा

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2016 में  नर्मदा सेवा यात्रा  (Narmada Seva Yatra) की शुरुआत की जिसे 'नमामि देवी नर्मदे' भी कहते हैं, तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा नदी के संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता के लिए इसी शुरू किया गया.जो एक बड़ा जन-अभियान था, जिसका लक्ष्य नदी को स्वच्छ रखना, वनीकरण, जैविक खेती और जल संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करना था, जिसमें लाखों लोग और कई हस्तियाँ शामिल हुईं और यह विश्व का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान बन गया.

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