MPPSC 2021 Toppers: "8 से 10 घंटे पढ़ाई, डेडिकेशन और....", पीएससी के टॉपर्स ने बताया सफलता का मंत्र

MPPSC Topper: मध्य प्रदेश राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 का फाइनल रिजल्ट जारी हो चुका है. रायसेन की अंकिता ने परीक्षा में टॉप किया है.

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अंकिता पाटकर (दाएं) ने टॉप किया है. उज्जैन के भाई-बहन (बाएं) अर्जुन और राजनंदिनी एक साथ डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुए हैं.

MPPSC 2021 Toppers: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 (State Civil Service Exam 2021) का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है. जिसमें प्रदेश (Madhya Pradesh) की बेटियों ने इस बार फिर से अपना लोहा मनवाया है. बेटियों ने टॉप 10 में से 7 स्थानों पर कब्जा किया है. रायसेन की रहने वाली अंकिता पाटकर (MPPSC Topper Ankita Patkar) सबसे ज्यादा अंक अर्जित कर टॉपर बनी हैं. अंकिता वर्तमान में जनपद पंचायत औबेदुल्लागंज में सहायक विकास विस्तार अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय वहां के स्टाफ को भी दिया. 

अंकिता ने कहा, "मैंने नवोदय से पढ़ाई की है. वहां अच्छी पढ़ाई होती थी. एजुकेशन और गाइडेंस हमेशा अच्छा मिला है. कोचिंग से मिली टेस्ट सीरीज और टॉपर्स की कॉपियों से भी तैयारी करती थी. मैं सुबह 8 बजे लाइब्रेरी पहुंच जाती थी. कोशिश करती थी कि 8 से 10 घंटे पढ़ाई करूं." उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "मैं बहुत खुश हूं, रैंक वन पर मेरा नाम है. पहले तो यकीन नहीं हो रहा था. पीएससी की तैयारी में मेरे पेरेंट्स और मेरे गुरु का बड़ा योगदान रहा है. एमपी गवर्नमेंट ओबीसी स्टूडेंट को फ्री कोचिंग कराती है, मैंने वहां से भी पढ़ाई की थी. यूट्यूब चैनल्स से भी तैयारी की. मेरी तैयारी एग्जाम ओरिएंटेड और सिलेबस देखकर होती थी."

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बता दें कि अंकिता वर्ष 2019 से पीएससी की तैयारी कर रही हैं. उनका चयन वर्ग तीन शिक्षक परीक्षा में हुआ था. बाद में विकास विस्तार अधिकारी के पद पर उनका चयन हुआ, जहां वे वर्तमान में कार्यरत हैं. अंकिता के पिता पिता दौलत राम पाटकर पोस्ट ऑफिस में एजेंट हैं. जबकि मां चंद्रकला पाटकर रिटायर्ड शिक्षक हैं.

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अशोकनगर के प्रियंक ने दर्ज की पांचवी रैंक

अशोकनगर जिले के प्रियंक मिश्रा (MPPSC Topper Priyank Mishra) ने एमपी पीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 5वीं रैंक हासिल की है. वे बहादुरपुर कस्बे के एक मध्यमवर्गीय परिवार के से ताल्लुक रखते हैं. उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ है. 28 साल के प्रियंक इससे पहले लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर सहकारिता निरीक्षक के पद पर चयनित हो चुके हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बहादुरपुर के एक प्राइवेट स्कूल से की है. इसके बाद संस्कृत विद्यालय में पढ़ाई के लिए वह भोपाल चले गए. ग्रेजुएशन के लिए उनका चयन जेएनयू नई दिल्ली में हुआ. प्रियंक चार-पांच साल से पीएससी की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय दिवंगत माता-पिता के संस्कारों को दिया.

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बता दें कि प्रियंक पांच भाई-बहन हैं. उनकी मां चंद्रकला मिश्रा का देहांत करीब 15 वर्ष पहले ब्लड कैंसर से हो गया था. करीब दो वर्ष पहले उनके पिता मोहन मिश्रा को भी इसी बीमारी ने परिवार से दूर कर दिया. इन विपरीत परिस्थितियों में प्रियंक ने जी तोड़ मेहनत की और सफलता हासिल की. प्रियंक की बड़ी बहन वंदना मिश्रा मध्य प्रदेश पुलिस में निरीक्षक हैं. दूसरी बहन रोशनी मिश्रा प्रथम श्रेणी की शिक्षक हैं. वहीं, बड़े भाई मयंक मिश्रा पटवारी के पद पर कार्यरत हैं.

छठी रैंक लाने वाली प्रियल की कहानी

वहीं 6 वीं रैंक पाने वाली प्रियल (MPPSC Topper Yadav) ने बताया कि प्रशासनिक सेवा में जाना बचपन से ही उनका सपना रहा है. प्रियल ने इंजीनियरिंग के बाद 2018 से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. उन्होंने बताया कि एमपीपीएससी के इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार की पोस्ट वह क्यों छोड़ना चाहती हैं. जिस पर उन्होंने कहा कि हमेशा से उनकी पहली पसंद डिप्टी कलेक्टर रही है. प्रियल ने कॉलेज के दौरान लड़कियों के लिए एनजीओ शुरू किया था. इंटरव्यू में इससे जुड़े कई सवाल किए गए.

बता दें कि प्रियल यादव पीएससी 2019 में डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार और 2020 में असिस्टेंट कमिश्नर कॉपरेटिव के लिए चुनी जा चुकी हैं. मूलतः हरदा की रहने वाली प्रियल के पिता विजय यादव एक किसान हैं. पढ़ाई के लिए वह छठी क्लास से इंदौर आ गई थीं.

भाई-बहन दोनों बने डिप्टी कलेक्टर

उज्जैन के भाई-बहन का एक साथ डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है. भाई की 21वीं और बहन की 14 वीं रैंक आई है. हालांकि, बहन पहले से नायब तहसीलदार है. भाई अर्जुन सिंह ठाकुर और बहन राजनंदिनी सिंह ठाकुर के पिता प्रो. डॉ. वाय एस ठाकुर इंजीनियरिंग कॉलेज में पदस्थ हैं. दोनों भाई-बहन ने उज्जैन के क्रिस्ट ज्योति स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद भोपाल से इंजीनियरिंग की है. राजनंदिनी का साल 2020 में नायब तहसीलदार के पद पर चयन हुआ था.

डिप्टी कलेक्टर बनी उज्जैन की राजनंदनी ने बताया कि नौकरी में रहते हुए समय निकाला, क्योंकि अगर कुछ बनना है तो समय न होते भी निकालना पड़ेगा. पढ़ाई में खुद को झोंकना होगा, तभी लक्ष्य हासिल हो पाएगा. बता दें, राजनंदनी बास्केटबॉल की स्टेट प्लेयर रही हैं. वहीं अर्जुन सिंह ठाकुर ने बताया कि उन्होंने रोजाना आठ से दस घंटे की पढ़ाई की. सोशल मीडिया में सिर्फ खबरें और कंटेंट देखने के लिए मोबाइल का उपयोग करते थे. 2018 से लगातार अपना बेस्ट देने के लिए मेहनत की और आज उसका परिणाम मिला.

किसान का बेटा बना नायब तहसीलदार

मंदसौर जिले के रहने वाले राजेश पाटीदार का चयन नायब तहसीलदार के लिए हुआ है. इस लिस्ट में उनका नाम 10वें नंबर पर है. राजेश के पिता गोपाल एक किसान हैं. पूरे परिवार में राजेश ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका चयन सरकारी नौकरी के लिए हुआ है. उनका पूरा परिवार खेती करता है. राजेश पाटीदार ने बताया कि उन्होंने इंदौर में रहकर पढ़ाई की. वे 2018 से तैयारी कर रहे थे. उन्होंने पांच बार एमपीपीएससी की परीक्षा दी, इसमें चार बार सफल हुए, लेकिन इंटरव्यू में पास नहीं हो पाए.

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