MP News in Hindi : मध्य प्रदेश सरकार चाहे सड़कों का जाल बिछाने और विकास की नई गाथा लिखने के दावे करे लेकिन हकीकत कुछ और ही है. बड़वानी जिले के पाटी ब्लॉक के दुर्गम गांवों में आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यहां सड़कें नहीं होने के कारण ग्रामीण अपने बीमार परिजनों को झोली में डालकर कई किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं. पाटी ब्लॉक के कई गांव आजादी के 75 साल बाद भी सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. इन गांवों में ज्यादातर आदिवासी समाज के लोग रहते हैं जो खेती और मजदूरी पर निर्भर हैं. सड़क न होने के कारण अपनी फसल मंडी तक पहुंचाने के लिए उन्हें गधे-खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है या फिर सिर पर माल लादकर पैदल चलना पड़ता है.
स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
इन गांवों में अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो तो उन्हें 15 किलोमीटर तक बिना सड़क के सफर करना पड़ता है. ग्रामीण झोली में मरीज को डालकर पक्की सड़क तक पहुंचते हैं. इस दौरान कई बार गर्भवती महिलाओं की रास्ते में डिलीवरी हो चुकी है और दुर्भाग्यवश कई जानें भी चली गईं.
सरकारी योजनाओं से वंचित
सड़क न होने का असर सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है. यहां के आदिवासी परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पाते. राशन की दुकानें 10-15 किलोमीटर दूर हैं और राशन लाने के लिए या तो खर्च करना पड़ता है या सिर पर लादकर लाना पड़ता है.
नेताओं ने किए सिर्फ वादे
इस क्षेत्र के लोग पिछले कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं. वे नेता और अफसरों के दरवाजे खटखटा चुके हैं लेकिन उनकी मांगें अनसुनी रह जाती हैं. बड़वानी जिले से कई बड़े नेता और मंत्री रह चुके हैं लेकिन उनके कार्यकाल में भी इन गांवों तक विकास नहीं पहुंच सका.
शिक्षा और स्वास्थ्य पर संकट
सड़क न होने के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी इन गांवों से दूर हैं. बच्चे स्कूल जाने के लिए घंटों पैदल चलते हैं और कई बार बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच न होने से छोटी बीमारियां भी गंभीर रूप ले लेती हैं.
सरकार और प्रशासन पर सवाल
यह स्थिति सरकार और प्रशासन की उदासीनता को उजागर करती है. वर्तमान में क्षेत्र के सांसद गजेंद्र सिंह पटेल और राज्यसभा सांसद उमेश सोलंकी हैं. वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी इस क्षेत्र से जुड़े रहे हैं. बावजूद इसके सड़क जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं पहुंच पाई है.
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क्या है गांव के लोगों की मांग ?
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क नहीं बनेगी तब तक उनका जीवन संघर्षों से भरा रहेगा. वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सड़कों का निर्माण हो जिससे वे भी बेहतर जीवन जी सकें.
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