MP Vidhan Sabha: जन विश्वास 2.0 बिल पेश; सदन में कांग्रेस ने उठाए तीखे सवाल, जानिए सरकार ने क्या कहा?

MP Vidhan Sabha: मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को जनविश्वास विधेयक 2.0 प्रस्तुत किया गया. सरकार द्वारा बताया गया कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य छोटे स्तर के नियम उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है ताकि इन्हें सरल प्रशासनिक प्रक्रिया के जरिए निपटाया जा सके. वहीं कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए.

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MP Vidhan Sabha Monsoon Session: जन विश्वास 2.0 बिल सदन में पेश

MP Vidhan Sabha: मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में ‘मध्य प्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025' सहित कुल चार विधेयक सदन में प्रस्तुत किए. यह विधेयक व्यापार, निवेश और औद्योगिक गतिविधियों में अनावश्यक कानूनी अड़चनों को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसे व्यापारिक विश्वास और निवेश मित्र वातावरण की दिशा में एक बड़ा सुधार बताया. वहीं कांग्रेस ने इस पर जोरदार बहस करते हुए कहा कि यह कानून पैसे वालों को राहत और आम नागरिकों पर सख्ती की छूट देता है.

क्या है 'जन विश्वास' विधेयक का उद्देश्य?

विधेयक पर बुधवार को चर्चा का समय तय किया गया है. यह विधेयक भारत सरकार के जन विश्वास अधिनियम, 2023 की तर्ज पर तैयार किया गया है और इसमें राज्य के 12 विभागों के 20 अधिनियमों में कुल 44 उपबंधों में संशोधन किया गया है.

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सरकार द्वारा बताया गया कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य छोटे स्तर के नियम उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है ताकि इन्हें सरल प्रशासनिक प्रक्रिया के जरिए निपटाया जा सके. इस तरह की व्यवस्था से व्यवसायियों और छोटे उद्यमियों को राहत मिलेगी, जिन्हें अक्सर मामूली त्रुटियों के लिए जटिल और समय लेने वाली कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है.

सरकार ने कहा कि “हम एक ऐसा वातावरण बनाना चाहते हैं जहां नियम तो हों, लेकिन वे बोझ न बनें. सुधार के माध्यम से उद्योगों का समर्थन और विश्वास अर्जित करना हमारी प्राथमिकता है.”

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जन विश्वास अधिनियम की पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने जन विश्वास अधिनियम, 2023 पारित किया था जिसका उद्देश्य देशभर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाना और डिक्रिमिनलाइजेशन ऑफ माइनर ऑफेंसेस को लागू करना था. उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, मध्य प्रदेश सरकार ने यह राज्य स्तरीय विधेयक तैयार किया है.

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यह पहल विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) को राहत देने के लिए अहम मानी जा रही है, जिन्हें अक्सर नियमों की जटिलता और प्रशासनिक जाँचों से व्यवसायिक क्षति उठानी पड़ती है.

करीब 1 घंटे तक इस विधेयक पर चर्चा हुई.

कांग्रेस के सवाल

मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को जनविश्वास विधेयक 2.0 को लेकर जबरदस्त बहस देखने को मिली. विधेयक प्रस्तुत किए जाने के बाद कांग्रेस विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने सरकार के सामने सवाल उठाए और कहा कि यह कानून पैसे वालों को राहत और आम नागरिकों पर सख्ती की छूट देता है. कांग्रेस विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने कहा कि यह विधायक सदन के अंतिम कार्य दिवस के बीच में लाया गया है, जिससे इस पर व्यापक चर्चा नहीं हो पाएगी. विधेयक में 80 धाराओं में संशोधन की बात कही गई है जो बगैर पूरी चर्चा के पारित करना उचित नहीं है. सोहनलाल ने कहा कि जिन मामलों में कोर्ट से सजा होती है उसे जन विश्वास विधेयक में शामिल करने से कोर्ट के अधिकार छीनने का काम किया जा रहा है.

बीजेपी का जवाब

मंत्री चैतन्य कश्यप ने कहा कि "जन विश्वास बिल इज ऑफ डूइंग और इज ऑफ लिविंग का है. इस बिल के आने के बाद से उद्योगों के प्रति लोगों का सकारात्मक रुझान बढ़ा है. भयमुक्त  वातावरण देना सरकार की जिम्मेदारी है पहले बिल में 2024 में 12 विभागों में 20 विषयों में बदलाव हुआ था. अब 2025 में दूसरा बिल लाया गया है इससे अपराधीकरण कम होगा." मंत्री चैतन्य काश्यप के जवाब के बाद विधेयक पारित घोषित किया गया.

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