MP Vidhan Sabha Congress Protest: मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी अनोखे विरोध प्रदर्शन के नाम रहा. सदन के भीतर और बाहर उस समय दिलचस्प नजारा सामने आया जब जुन्नारदेव से कांग्रेस विधायक सुनील उईके बंदर की वेशभूषा में, हाथों में पोस्टर और एक उस्तरा (रेज़र) लेकर विधानसभा परिसर में दाखिल हुए. विधायक सुनील उईके ने अपने इस वेश के पीछे का मकसद साफ करते हुए कहा कि उनका यह विरोध प्रदर्शन यह बताता है कि सरकार किस तरह प्रदेश के हर वर्ग के हकों पर 'उस्तरा' चला रही है. इस प्रतीकात्मक विरोध के जरिए कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को ओबीसी आरक्षण, किसान मुआवजा और विपक्ष की आवाज़ दबाने जैसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश की.
विरोध का 'उस्तरा' और 'बंदर' वेश
कांग्रेस का ये विरोध प्रदर्शन तीन मुद्दों पर आधारित था. इस दौरान विपक्ष के नेता उमंग सिंह सिंघार भी मौजूद थे.
ओबीसी आरक्षण और दलित-आदिवासी सुरक्षा: कांग्रेस का मुख्य आरोप है कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में केवल टाल-मटोल कर रही है. साथ ही, विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार सुरक्षा देने में नाकाम है.
किसानों पर 'कटार': विधायक ने कहा कि 'बंदर' बनी यह सरकार किसानों की माली हालत पर उस्तरा चला रही है. सदन में कांग्रेस विधायकों ने किसानों के फसल मुआवजे का मुद्दा उठाया और कहा कि राहत राशि केवल कागजों में घोषित होती है, लेकिन किसानों के खाते अब भी खाली हैं.
विपक्ष की आवाज़ दबाना: कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इस विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि यह 'बंदर रूपी भाजपा सरकार' को सांकेतिक संदेश है, जो विपक्ष की आवाज़ को लगातार दबा रही है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है.
सदन में हंगामा और वॉकआउट
इस विरोध प्रदर्शन के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही किसानों की राहत राशि के मुद्दे पर कांग्रेस ने भारी हंगामा किया. विधायक बाबू जंडेल ने आरोप लगाया कि श्योपुर जैसे कई जिलों में किसान अब भी मुआवज़े का इंतज़ार कर रहे हैं. राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश की और कहा कि सरकार ने नुकसान से चार गुना तक राहत दी है, लेकिन कांग्रेस इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई. नतीजतन, कांग्रेस विधायक विरोध दर्ज कराते हुए सदन से वॉकआउट कर गए और बाहर 'किसान विरोधी सरकार नहीं चलेगी' के नारे लगाए.
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