MP में पॉलिटिकल टेंशन; नगर पालिका अध्यक्षों ने BJP व सरकार को मुश्किल में डाला, प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा

MP Politics: शिवपुरी (शिवपुरी और बदरवास), सागर (देवरी), गुना (मधुसूदनगढ़ चांचौड़ा और कुंभराज), टीकमगढ़, विदिशा, हरदा (खिरकिया), नर्मदापुरम, दमोह, अशोकनगर (शाढ़ोरा), मुरैना (बानमोर) और मऊगंज शामिल बताए जा रहे हैं. ऐसे में अब इन सब अध्यक्षों को हटाने के लिए पार्टी संगठन और सरकार दोनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

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MP में पॉलिटिकल टेंशन; नगर पालिका अध्यक्षों ने BJP व सरकार को मुश्किल में डाला, प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा

MP Politics: मध्य प्रदेश भाजपा के मुखिया हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) ने खुद यह माना है कि भ्रष्टाचारियों को सरकार और संगठन दोनों झेलने की स्थिति में नहीं है. फिर आखिर ऐसी क्या वजह है कि प्रदेश के नगरीय निकायों में 20 अध्यक्षों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बावजूद भी उन्हें पद से हटाया नहीं जा पा रहा है. शिवपुरी, गुना, विदिशा सहित मध्य प्रदेश के ऐसे 20 जिले हैं जहां नगर पालिका अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के आरोपी के चलते हटाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनमें से अब तक एक भी अध्यक्ष को हटाया नहीं गया है.

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश का शिवपुरी शहर नगर पालिका अध्यक्ष को हटाने का मामला खूब सुर्खियां बटोर चुका है. मामला तो 19 पार्षदों का एक साथ इस्तीफा देने तक भी सामने आ चुका है, लेकिन इन पार्षदों के इस्तीफा नामंजूर कर मामले को ठंडा करने की कोशिश की गई. विरोध कर रहे पार्षद जिसमें कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय भी शामिल हैं, वह मानने को तैयार नहीं और लगातार उजागर हो रहे भ्रष्टाचार के मामलों की एक के बाद एक शिकायत हो रही है और उनकी जांच जारी है, लेकिन पद पर अभी भी विवादित अध्यक्ष गायत्री शर्मा का कब्जा है.

मध्य प्रदेश के सागर जिले की देवरी नगर परिषद अध्यक्ष नेहा जैन को अयोग्य कहकर हटाने का मामला सामने आया. वहीं अब इन तमाम जगहों के अध्यक्षों के खिलाफ मुहिम को और तेज कर दिया है. बताया जा रहा है कि शिवपुरी की नगरपालिका अध्यक्ष के खिलाफ जिला कलेक्टर रविंद्र चौधरी की भेजी गई एक जांच रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश सरकार जल्द सुनवाई करने की स्थिति में है और मामला आगे बढ़ सकता है.

गुना के मधुसूदनगढ़ की अध्यक्ष के खिलाफ भी बगावती सुर जोर पकड़ने लगे हैं और अब उनके खिलाफ भी जांच शुरू हो सकती है.

कहां-कहां बगावती पार्षदों के सुर हुए तेज

शिवपुरी (शिवपुरी और बदरवास), सागर (देवरी), गुना (मधुसूदनगढ़ चांचौड़ा और कुंभराज), टीकमगढ़, विदिशा, हरदा (खिरकिया), नर्मदापुरम, दमोह, अशोकनगर (शाढ़ोरा), मुरैना (बानमोर) और मऊगंज शामिल बताए जा रहे हैं. ऐसे में अब इन सब अध्यक्षों को हटाने के लिए पार्टी संगठन और सरकार दोनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

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सरकार ने अविश्वास की सीमा  बढ़ाई और बहुमत का प्रतिशत भी

अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए अध्यक्षों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के आरोप और बढ़ते विरोध के चलते पार्टी को अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए उसकी समय सीमा बढ़ाकर 3 साल करनी पड़ी, अगस्त 2025 में यह अवधि भी पूरी हो गई. सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव लाने और उसे पास करने की स्थिति के लिए पहले का बहुमत प्रतिशत बढ़कर एक तिहाई से तीन चौथाई कर दिया लेकिन स्थिति नहीं बदली.

भाजपा और सरकार दोनों को साख का खतरा

जैसे-जैसे मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से नगर पालिका अध्यक्षों के खिलाफ बगावती सुर और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे सरकार और भाजपा संगठन दोनों की मुश्किल बढ़ती दिखाई दे रही हैं. पार्टी और सरकार दोनों अपनी साख पर बट्टा लगने से बचने के लिए इन अध्यक्षों को अब अयोग्य ठहरा कर उनके पद से हटाने की कवायद कर रही है.

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सरकार और संगठन अब मजबूरी में उठा सकते हैं बड़े कदम

सरकार और संगठन दोनों की तरफ से अब यह संकेत मिलने लगे हैं कि लगातार सामने आ रहे विरोध और भ्रष्टाचार के आरोपों से सरकार और संगठन की किरकिरी हो रही है. दोनों की मंशा है कि अब इन आरोपी नगर पालिका अध्यक्षों के खिलाफ कड़े और सख्त कदम उठाकर सरकार और संगठन को भ्रष्टाचार पर टॉलरेंस नीति के तहत काम करके जनता को यह संदेश दिया जाए कि अब भ्रष्टाचार पर सरकार और संगठन कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं और मध्य प्रदेश के शिवपुरी सहित कई नगर पालिका अध्यक्ष अपने पद से हटाए जा सकते हैं.
यहां तक की खुद भाजपा संगठन के मुखिया हेमंत खंडेलवाल भी यह मानते हैं कि भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

क्या बोले प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल?

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि "भ्रष्टाचार में लिप्त अध्यक्षों को हटाने की बात सही है निकायों में अध्यक्ष व पार्षदों के बीच चल रहे विवादों को समन्वय से सुलझाने का प्रयास हो रहा है. हालांकि कई जगह आपसी मामले अधिक हैं. अविश्वास के बजाय भ्रष्टाचार में लिप्त अध्यक्षों को हटाने की बात है तो यह सही है हमारी सरकार भ्रष्टों को सहन नहीं करेगी. ज्यादातर जगह भाजपा के ही अध्यक्ष हैं, इसलिए जो विवाद आएंगे वह हमारे ही आएंगे."

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