MP Nursing College News today: केन्द्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) नर्सिंग कॉलेज (Nursing Colleges) के अध्यक्ष से दस लाख रुपये की रिश्वत कथित तौर पर लेते हुए गिरफ्तार किए गए अपने इंस्पेक्टर राहुल राज को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत एजेंसी ने संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत भ्रष्टाचार के आरोपी इंस्पेक्टर राज को बर्खास्त कर दिया है. सीबीआई ने अपने पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) आशीष प्रसाद को भी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है. मामले की प्राथमिकी में उनका नाम भी शामिल है.
रिश्वत लेते हुए ‘रंगे हाथों' पकड़ा गया था राज
सुशील कुमार मजोका और ऋषि कांत असाठे, दोनों मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई के साथ संबद्ध हैं और उन्हें जल्द ही राज्य पुलिस में वापस भेज दिया जाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि राज को रविवार को मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के अध्यक्ष अनिल भास्करन और उनकी पत्नी सुमा अनिल से कथित तौर पर 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए ‘रंगे हाथों' पकड़ा गया था. अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग महाविद्यालयों को रिश्वत के बदले अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के आरोप में राज समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है.
सीबीआई की जांच में फंसे थे सभी आरोपी
यह कार्रवाई तब शुरू की गई, जब सीबीआई की आंतरिक सतर्कता इकाई से जानकारी मिली कि उसके अधिकारी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्यव्यापी निरीक्षण करने के लिए गठित टीमों में हो रहे कथित भ्रष्टाचार में शामिल हैं. इसके बाद इनके खिलाफ गुपचुप तरीके से जांच की गई. इस दौरान वह कथित रूप से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए थे.
एमपी हाईकोर्ट ने दिए ते सीबीआई जांच के आदेश
अदालत के आदेश पर टीम इसलिए बनाई गई थीं ताकि पता लगाया जा सके कि नर्सिंग महाविद्यालय बुनियादी सुविधाओं और संकाय के संबंध में तय मानदंड एवं मानकों का अनुपालन कर रहे हैं या नहीं.
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साख बचाने के लिए सीबीआई ने की कार्रवाई
केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में बताया था कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत सीबीआई ने सात कोर टीम और तीन से चार सहायता टीम का गठन किया था, जिसमें एजेंसी के अधिकारी, राज्य में नर्सिंग महाविद्यालयों द्वारा नामित अधिकारी और पटवारी शामिल थे. सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई की ओर से दर्ज किया गया मामला भ्रष्टाचार के प्रति उसकी कतई सहन नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति को मजबूती प्रदान करता है और यह दिखाता है कि संगठन के मूल मूल्यों से भटकने पर सीबीआई अपने अधिकारियों को भी नहीं बख्शती है.