MP nursing education: मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा बीते कई वर्षों से लगातार विवादों, घोटालों और प्रशासनिक लापरवाही की मार झेल रही है. प्रदेशभर के नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया, मान्यता और परीक्षाओं में अनियमितता के चलते छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. हजारों विद्यार्थियों की डिग्रियां समय पर पूरी नहीं हो सकीं, जिससे न केवल उनकी करियर योजनाएं प्रभावित हुईं, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ा.
- नर्सिंग शिक्षा में घोटालों और परीक्षा विलंब के चलते छात्र परेशान
- हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर कुछ परीक्षाएं शुरू
- अब नर्सिंग की जिम्मेदारी राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों को
- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय पर 50,000 छात्रों का दायित्व
- कुलगुरु ने दी तैयारी की जानकारी, छात्रों में फिर भी चिंता
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को मिली नई जिम्मेदारी
इन परिस्थितियों में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कुछ लंबित परीक्षाएं शुरू की गईं, जिससे छात्रों को कुछ राहत मिली. इसी बीच मध्य प्रदेश शासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नर्सिंग पाठ्यक्रमों की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी से हटाकर राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों को सौंप दी है. जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा दायित्व मिला है, जिसे अब प्रदेशभर के लगभग 50,000 नर्सिंग विद्यार्थियों की परीक्षाएं, मान्यता और एफीलिएशन से संबंधित कार्य देखना होगा.
परीक्षा में लेटलतीफी के कारण विवादों से रहा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का नाता
यह फैसला जहां एक ओर प्रशासनिक विकेंद्रीकरण और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की कोशिश माना जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर कई शिक्षाविद् और छात्र इसे एक चुनौतीपूर्ण कदम मान रहे हैं. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय स्वयं भी पूर्व में परीक्षाओं में देरी, परिणामों में गड़बड़ी और लचर प्रबंधन को लेकर विवादों में रहा है.
शासन के इस भरोसे को कायम रखेंगे- कुलगुरु
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा ने NDTV से बातचीत में बताया कि विश्वविद्यालय ने इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा, 'हमने एक विशेष टीम गठित कर दी है, तकनीकी ढांचा मजबूत किया जा रहा है और एफीलिएशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. शासन ने हम पर विश्वास किया है और हम इस भरोसे को कायम रखेंगे.' उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि आगामी सत्र की परीक्षाएं समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से कराई जाएंगी.
इधर, मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ. अशोक खंडेलवाल ने कहा, 'यह शासन का निर्णय है और हम इसका सम्मान करते हैं. विश्वविद्यालय अब तक की लंबित परीक्षाएं पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है और छात्रों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.'
छात्र परेशान... संगठनों ने जताई चिंता
हालांकि छात्रों में अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. कई छात्र संगठनों ने चिंता जताई है कि कहीं यह बदलाव और अधिक देरी, भ्रम और प्रशासनिक दबाव का कारण न बन जाए. अब देखना यह होगा कि क्या रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय इस नई चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर पाएगा और प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा को नई दिशा दे पाएगा, या यह परिवर्तन एक और संकट का द्वार खोलेगा.