Mandla: नए कानून को लेकर पुलिसकर्मियों को किया जा रहा प्रशिक्षित, 1 जुलाई से खत्म हो जाएंगे ये अंग्रेजी लॉ

MP News: 1 जुलाई से देश में नए कानून लागू हो जाएंगे, जिसके चलते मध्य प्रदेश के मंडला में पुलिसकर्मियों और अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

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Madhya Pradesh: एक जुलाई से खत्म जाएंगे ये अंग्रेजी कानून, बदल जाएंगे जांच के तौर तरीके

Law Changes: भारतीय पुलिस (Indian Police) व्यवस्था में अब आमूलचूल बदलाव होने जा रहा है. अंग्रेजों के जमाने ( लगभग 150 वर्षों से) से चले आ रहे आईपीसी (IPC) सहित सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट 1 जुलाई से खत्म हो जाएंगे. इनके स्थान पर तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में लागू हो जाएंगे. इन कानूनों के बदलने के बाद थाने में एफआईआर (FIR) दर्ज होने से लेकर धाराओं और जांच के तौर तरीकों में बदलाव आएगा.

सभी रैंक के पुलिसकर्मी शामिल

इसके लिए मंडला (Mandal) में पुलिस कंट्रोल रूम में पुलिस मुख्यालय भोपाल के द्वारा पुलिस अधिकारियों / कर्मचारियों को प्रशिक्षण के माध्यम से तैयार किया जा रहा है. ये प्रशिक्षण ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में दिया जा रहा है, जिसमें थाना प्रभारी, अन्वेषण अधिकारी और थानों में पदस्थ सभी रैंक के पुलिसकर्मी शामिल हुए.

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"विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षित करने का प्रयास जारी"

NDTV ने जब SP मंडला रजत सकलेचा से बात की तो उन्होंने बताया, "जो तीन नए कानून आए हैं, उनको लागू करने के संबंध में हम बहुत समय से तैयारी कर रहे हैं. हमारे पुलिस बल और थाने के स्टाफ को विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश, जिला, अनुभाग और थाना सहित विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षित करने का प्रयास किया गया है. हम इस नए कानून को एक जुलाई से लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं."

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"बार-बार संशोधन करने से विसंगतियां हो गई थी"

जहां नए कानून को लेकर पुलिस विभाग सक्रिय है. वहीं, हाईकोर्ट के निर्देश पर जजों और वकीलों को भी प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के माध्यम से संशोधित नए कानून की जानकारी दी जा रही है. वरिष्ठ क्रिमिनल  एडवोकेट आलोक खरया ने इस बदलाव को आवश्यक बताया और कहा कि पुराने कानूनों में बार-बार संशोधन करने से उनमें विसंगतियां हो गई थी. इसलिए उसे रिवाइज किया जाना आवश्यक था. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि ये पूरी तरह परफेक्ट हो, जब ये चलन में आएंगे तब इनकी खामियां सामने आएंगी तो उन्हें सुधारा भी जाएगा. लेकिन वर्तमान परिदृश्य में ये कानून बहुत कारगर सिद्ध होगा.

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"ऑनलाइन सेशन चल रहे हैं"

आलोक खरया ने बताया, "इसके लिए हाईकोर्ट द्वारा न्यायाधीशों के लिए दो कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं. इसके साथ ही अधिवक्ताओं के लिए ऑनलाइन सेशन चल रहे हैं. ये आगे भी आयोजित होने वाले हैं. लोग कानून के इस परिवर्तन को समझ सकें, इसके लिए उच्च न्यायालय द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं."

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धाराओं के नंबर में परिवर्तन..

पुलिस विभाग में लगातार प्रशिक्षण देने वाले जिले के पुलिस अधिकारी SDOP पीयूष कुमार मिश्रा ने कहा कि इस कानून नए तरीके से व्यवस्थित किया गया है, तो धाराओं के नंबर में परिवर्तन आया है. जैसे हत्या की धारा पहले 302 आईपीसी होती थी वो अब 103 बीएनएस होगी. कानून लागू होने के बाद कुछ ही समय में ये अभ्यास में आ जाएगा.

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