Marriage with Lord Krishna: देशभर में चल रहे शादी-विवाह के सीजन के बीच बुधवार को रामनवमी (Ram Navami 2024) के दिन ग्वालियर (Gwalior) में एक अनूठी शादी हुई, जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है. इसे देखने के लिए लोग ही नहीं साधु-संतों की भी भीड़ उमड़ी. ग्वालियर की रहने वाली 23 साल की ग्रेजुएट शिवानी ने आज अपने इष्ट भगवान कन्हैया यानी कान्हा जी के साथ सात (Marriage with Kanha) फेरे लिए. इस शादी की धूम कई दिनों से चल रही थी. शादी से पहले हल्दी से लेकर मेंहदी और तेल से लेकर मंडप तक के सारे उत्सव हुए और आज सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में पाणिग्रहण संस्कार हुआ. जिसमें शिवानी ने अपने प्रिय कान्हा जी के साथ फेरे लिए और पूरी तरह से कान्हा जी की हो गईं.
वृंदावन से आई बारात
शिवानी को ब्याहने कान्हा जी अकेले नहीं पहुंचे, बल्कि वे वृंदावन (Vrindavan) से साधु-संतों की पूरी बारात लेकर ग्वालियर पहुंचे. उनकी बारात में वृंदावन से सात लोग आए. जिनमें संत वृंदावन के रमेश भाई, गुरु भाई चरणदास महाराज, पुजारी राहुल रजक आदि शामिल रहे. बारातियों का शिवानी के परिजनों और इष्ट मित्रों ने कैसर पहाड़ी स्थित मंदिर पर जमकर स्वागत किया. इसके बाद शादी की रस्में पूरी हुईं और शिवानी ने कान्हा जी के साथ सात फेरे लिए. इस मौके पर जुटी सैकड़ों महिलाओं ने मंगल गीत गाए. साथ ही साथ गारी और ज्योनार के गाने भी गाए गए और नृत्य भी किया.
15 अप्रैल से शुरू हुए कार्यक्रम
शिवानी की मां मीरा परिहार ने बताया कि उनके घर पर शिवानी के विवाह कार्यक्रम 15 अप्रैल से शुरू हो गए थे. पहले दिन हल्दी और तेल, दूसरे दिन मण्डप और बुधवार, 17 अप्रैल को बारात आगमन हुआ. इसके बाद सनातन रीति रिवाज के साथ पाणिग्रहण संस्कार हुआ. इस दौरान मां और पिता राम प्रताप परिहार ने कन्यादान किया और फिर सैकड़ों लोगों ने पांव पखरायी भी की.
ऐसे शिवानी हुई कृष्ण की दीवानी
ग्वालियर के न्यू बृज विहार कॉलोनी में रहने वाली शिवानी अब भगवा वस्त्र में दिखाई देने लगी हैं. उन्होंने बीकॉम किया लेकिन बाद में साफ कर दिया कि वे शादी करेंगी तो सिर्फ अपने लड्डू गोपाल से ही. इनके पिता रामप्रताप परिहार और माता मीरा परिहार ने इस विवाह का विरोध जरूर किया, लेकिन बेटी के हठ के आगे वह भी उसे मान्यता देने को मजबूर हो गए. शिवानी ने बीकॉम तक शिक्षा ग्रहण की है. शिवानी कहती हैं कि लड्डू गोपाल से विवाह करने का बचपन से ही मेरा एक सपना था. अक्सर कान्हा ही उसके सपने में आते हैं और सपने में शादी की रस्में होती हैं. जिसे वो अब हकीकत का रूप देने जा रही है. मैंने अपना पूरा जीवन लड्डू गोपाल को सौंप दिया है. मैं किसी दूसरे के घर नहीं जाना चाहती थी. जिसने हमें शरीर दिया है, उसको ही पूरा जीवन सौंप दिया है.
लड्डू गोपाल को जीवन समर्पित
शिवानी की मां ने, कृष्ण गोपाल की एक पीतल की प्रतिमा भी लाकर दे दी. वो उसे हर पल अपने साथ रखती है. शिवानी कहती है कि उसके इस विवाह से रिश्तेदार खुश नहीं हैं, लेकिन मुझे किसी की कोई परवाह नहीं है. मीरा ने भी बहुत कुछ छोड़ दिया तो क्या मैं लड्डू गोपाल के लिए बनावटी रिश्तों को नहीं छोड़ सकती? जिसमें मुझे यह जीवन दिया है उसे ही यह जीवन समर्पित करना था और आज से मैं पूरी तरह उन्हीं की हो गई. अब उन्हीं की भक्ति और साधना में ही अपना बाकी जीवन गुजारुंगी.
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