MP High Court ने नर्सिंग के स्टूडेंट्स को दी बड़ी राहत... कोर्ट ने कहा- 'सभी छात्र दे सकेंगे एग्जाम'

MP Nursing Scam: जबलपुर हाईकोर्ट के नर्सिंग के स्टूडेंट्स को राहत देते हुए निर्देश दिया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जिन नर्सिंग कॉलेजों की CBI जांच पर रोक लगाई है, उनके छात्रों को परीक्षा में शामिल किया जाए.

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MP High Court Verdict on Nursing Scam: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने मंगलवार, 7 मई को फर्जी नर्सिंग कॉलेज (Nursing College Scam) से जुड़े हुए मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने अपात्र और डिफिशिएंट कॉलेज (Deficient Nursing College) के छात्रों को बड़ी राहत दी है. दरअसल, कोर्ट ने डिफिशिएंट कॉलेज के छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी है.

एनडीटीवी की टीम नर्सिंग स्टूडेंट्स के पक्ष में लगातार आवाज उठा रही थी. अब इस पर हाईकोर्ट के फैसले ने मुहर लगा दी है.

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति एके पालीवाल की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने जिन 56 नर्सिंग कालेजों की सीबीआई जांच पर रोक लगाई है, उनके छात्रों को परीक्षा में शामिल करें.'

साथ ही कोर्ट ने CBI को जांच रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए गए हैं. वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी.

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने दायर की थी याचिका

गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन (Law Students Association) की ओर से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों (Deficient Nursing College) को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों के संचालन और छात्र-छात्राओं को परीक्षा में शामिल किए जाने के संबंध में पूर्व में विस्तृत आदेश भी जारी किए थे.

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नए नियम में सरकार ने किया था संसोधन

बता दें कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2024 (Nursing Teaching Institution Accreditation Rules 2024) को चुनौती दी और इसमें संशोधन का आवेदन पेश किया था. बता दें कि सरकार के द्वारा बनाए गए नए नियम में नवीन कॉलेज की मान्यता और पुराने कॉलेजों की मान्यता के नवीनीकरण के लिए 20 हजार से 23 हजार वर्गफीट अकादमिक भवन की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए मात्र 8 हजार वर्ग फीट कर दिया गया था.

सरकारी कॉलेजों को बैकडोर से एंट्री देना चाहती है सरकार

याचिकाकर्ता की ओर से युगलपीठ को बताया गया था कि पिछले 2 वर्षों में CBI जांच में प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अयोग्य पाए गए हैं, जिसमें सरकारी कॉलेज (Government College) भी शामिल हैं. सरकार ने इन्हीं कॉलेजों को नए सत्र में बैकडोर से एंट्री देने के लिए नए नियम शिथिल किए.

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याचिकाकर्ता की ओर ने बताया गया था कि नर्सिंग से संबंधित मानक व मापदंड तय करने वाली अपैक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23 हजार वर्ग फीट के अकादमिक भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है, लेकिन इस मामले पर सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि नए नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को हैं, इसलिए इन्हें गलत नहीं कहा जा सकता.

वहीं याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका के बाद हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने वाले राज्य शासन द्वारा बनाए गए नए नियमों पर रोक लगा दी थी. 

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