STA Chairman Appointment Case: मनीष सिंह को STA चेयरमैन बनाने को चुनौती; MP हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

MP High Court: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने अदालत में दलील दी कि मार्च 2025 में जारी गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से मनीष सिंह की नियुक्ति स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष के रूप में की गई थी. आरोप है कि यह नियुक्ति स्वयं मनीष सिंह द्वारा अपने ही नाम से जारी नोटिफिकेशन के माध्यम से की गई थी, जबकि उस समय वे मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (MPSRTC) के प्रबंध संचालक के रूप में कार्यरत थे.

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STA Chairman Appointment Case: मनीष सिंह को STA चेयरमैन बनाने को चुनौती; MP हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

MP High Court: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधिपति एवं न्यायाधिपति विनय सराफ की खंडपीठ ने शहडोल निवासी बस ऑपरेटर अजय नारायण पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव एवं स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (STA) के अध्यक्ष मनीष सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है. आरोप है कि यह नियुक्ति स्वयं मनीष सिंह द्वारा अपने ही नाम से जारी नोटिफिकेशन के माध्यम से की गई थी, जबकि उस समय वे मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (MPSRTC) के प्रबंध संचालक के रूप में कार्यरत थे. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने अदालत में दलील दी कि मार्च 2025 में जारी गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से मनीष सिंह की नियुक्ति स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष के रूप में की गई थी.

मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन बताई गई नियुक्ति

अधिवक्ता त्रिवेदी ने कहा कि मोटर व्हीकल अधिनियम की धारा 68(2) के अनुसार, स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का अध्यक्ष वह व्यक्ति नहीं हो सकता जिसका राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी परिवहन उपक्रम में वित्तीय हित हो. लेकिन मनीष सिंह उस समय राज्य सड़क परिवहन निगम के एमडी थे, जो स्वयं सरकारी परिवहन उपक्रम है और उसमें सरकार का प्रत्यक्ष वित्तीय हित निहित है.

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि अगस्त 2025 में राज्य सरकार ने मनीष सिंह को एक अन्य सरकारी कंपनी — मध्यप्रदेश यात्री परिवहन एवं अधोसंरचना लिमिटेड — का भी प्रबंध संचालक नियुक्त किया. यह कंपनी राज्य में बसों के संचालन और परिवहन अवसंरचना के विकास के लिए गठित की गई है.

इस प्रकार, याचिकाकर्ता के अनुसार मनीष सिंह एक साथ राज्य परिवहन उपक्रमों के पदों पर रहते हुए STA अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो कानूनी रूप से असंवैधानिक है.

आदेशों को निरस्त करने की मांग

याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि मनीष सिंह की इस नियुक्ति को मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन के आधार पर निरस्त किया जाए और उनके द्वारा अध्यक्ष पद पर रहते हुए जारी किए गए सभी आदेशों को अमान्य घोषित किया जाए. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुबोध पांडे, अपूर्व त्रिवेदी, आनंद शुक्ला और आशीष तिवारी ने पैरवी की. अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी, जिसमें राज्य सरकार और मनीष सिंह को न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा.

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