
Madhya Pradesh Hindi News: सरकारी नौकरी का सपना देख रहे मध्य प्रदेश के लाखों युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. एक तरफ गलत प्रश्नों से परीक्षा में भ्रम और दूसरी ओर, आपत्ति दर्ज कराने पर प्रति सवाल 185 रुपये की वसूली की जा रही है. कर्मचारी चयन मंडल (ESB) पहले ही परीक्षाओं से 530 करोड़ रुपये इकट्ठा कर चुका है. बैंकों से 58 करोड़ रुपये का ब्याज भी लिया और अब गलतियों की कीमत भी बेरोजगारों से वसूली जा रही है, लेकिन छात्रों को न तो नौकरी मिल रही है और न ही समय से रिजल्ट आया है.

भोपाल के अशोका गार्डन इलाके में सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले बड़ी सख्या में रहते हैं. दस बाय दस के कमरे में कई घरों के सपने, पीढ़ियों की उम्मीदें लिए युवा रह रहे होते हैं. वहीं, विदिशा के चंदन लोधी और डिंडोरी के अजय सिंह मरावी पिछले तीन वर्षों से कंधे से कंधा मिलाकर रह रहे हैं.

लगभग 3000 रुपये में चलाना होता है पूरा खर्चा
चंदन के पिता किसान हैं और भाई मजदूर. हर महीने उन्हें घर से 2500-3000 रुपये आते हैं, जिससे उन्हें कोचिंग की फीस, कमरे का किराया, राशन का खर्च उठाना होता है. वहीं, अब उन्हें आपत्ति शुल्क भी देना पड़ता है.
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (Employee Selection Board) ने भी अब हर सवाल पर आपत्ति दर्ज कराने की फीस 60 से बढ़ाकर 185 रुपये कर दी है . यानी अगर किसी सवाल में गलती सरकारी बोर्ड से हुई है तो जुर्माना उम्मीदवार को भरना है. अगर चार सवाल गलत निकले तो उसा खामियाजा आपको 740 रुपये देकर चुकाना पड़ेगा.

सरकार के बोर्ड की गलती की कीमत छात्र चुका रहे
चंदन ने बताया कि आपत्ति फीस एक ही बार में तीन गुना बढ़ा दी गई है. उनका प्रश्न गलत है तो भरपाई हमसे क्यों कराई जा रही है? और फिर अमाउंट भी ज्यादा वसूला जा रहा है. उनका कहना है कि बोर्ड खुद गलत सवाल लिख रहा है और उसका खामियाजा हमें पैसे देकर चुकाना पड़ रहा है. उनका कहना है कि अगर किसी सवाल पर ऑब्जेक्शन लग चुका है तो उस सवाल पर दोबारा किसी और छात्र से पैसा नहीं लिया जाए. वैसे भी एग्जाम फीस (Exam Fees) लगातार बढ़ाई जा रही है.

शिवराज सिंह चौहान ने किया था वादा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (2023) से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया था कि अब सभी नौकरियों के लिए केवल एक बार ही परीक्षा शुल्क जमा करना होगा, लेकिन न वो वादा कहीं लागू हुआ, न चर्चा में आया. बल्कि अब एक नया शुल्क और बढ़ गया है. शिवराज ने कहा था कि हमारे बच्चों को सरकारी नौकरियों के लिए अलग-अलग जगह फॉर्म भरने पड़ते हैं और परीक्षा शुल्क अलग-अलग लगता है. अगर 5 नौकरियों के लिए आवेदन भरा और 400 परीक्षा शुल्क है तो 2000 रुपये हो गया. अब केवल एक बार ही यानी वन टाइम परिक्षा शुल्क जमा करना होगा और सभी परीक्षाओं के सभी इंटरव्यू में भाग ले सकेंगे, हर परीक्षा हर नौकरी के लिए अलग-अलग शुल्क की जरूरत नही होगी.
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क्वैश्चन पेपर तैयार करने वालों पर लगे फाइन
उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा फॉर्म्स के नाम पर हजारों रुपये की फीस वसूली जा रही है, जिसकी संख्या करोड़ में होती है. एग्जाम कैंसिल होने के बाद फीस वापस नहीं होती है. गलती सरकार की है, अगर गलत प्रश्न पूछा है तो सरकार को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए और चेंज करना चाहिए, लेकिन आम छात्रों पर भार बढ़ा दिया है. सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए. प्रक्रिया को बदलकर उन लोगों पर फाइन लगाया जाए, जिन्होंने क्वेश्चन पेपर तैयार किया और गलत प्रश्न बनाया.
राज्य मंत्री कौशल विकास एवं रोजगार गौतम टेटवाल का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ आरोप लगा रही है. आरोप के आलवा कुछ नहीं है, जिस गति से जिस प्रयास से भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है, वह सामने दिखाई दे रहा है.
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