ट्रांसफर के आवेदन से परेशान MP के मंत्री जी, बंगले के बाहर लागाया बोर्ड- तबादलों के लिए न करें संपर्क...', अब गरमाई सियासत 

MP Employees Transfer: मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की तबादलों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन आवेदकों का मानना है कि ऑफलाइन मिले बगैर बात नहीं बनेगी. ऐसे में कर्मचारी आवेदन जमा करने के बाद मंत्रियों के बंगलों के चक्कर लगा रहे हैं. 

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Madhya Pradesh Employees Transfer: मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री इन दिनों अपने यहां ट्रांसफर के लिए आने वाले आवेदकों से परेशान हैं. परेशान इतने है कि अपने बंगलों पर जगह जगह पम्पलेट लगा दिए हैं- 'ट्रांसफर के लिए संपर्क ना करें...'  ऑनलाइन आवेदन करें. वहीं सुनवाई नहीं होने से कर्मचारी भी परेशान हैं...

डिप्टी सीएम से स्वास्थ्य मंत्री तक... ट्रांसफर के आवेदन से परेशान

दरअसल, मध्य प्रदेश में मंत्री जी इन दिनों उन कर्मचारियों से परेशान हैं, जो चौखट पर ट्रांसफर की अर्जी लेकर पहुंच रहे हैं. वहीं परेशान मंत्री जी ने अपने स्टाफ से पूरे बंगले पर पम्पलेट चिपकवा दिए हैं. ट्रांसफर वालों से वो मिलना ही नहीं चाहते... चार इमली से लेकर 74 बंगलों में बैठने वाले मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के साथ कई कैबिनेट मंत्रियों के बंगलों पर इस तरह के प्रिंटआउट लगा दिए गए हैं.

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तबादलों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन लोगों को मानना है कि ऑफलाइन मिले बगैर बात नहीं बनेगी. यही वजह है कि कर्मचारी आवेदन जमा करने के बाद उनकी प्रति को लेकर मंत्रियों के बंगलों के चक्कर लगा रहे हैं. 

रुक्मिणी ठाकुर, जो सिवनी से भोपाल आई हैं. उन्होंने कहा, 'मैं मंत्री जी के प्रभार के जिले से हूं. मैं वहां पर रहना नहीं चाहती, सुबह से इंतजार कर रही हूं, लेकिन मुलाकात नहीं हुई.

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इछावर से भोपाल आए कमलेश कुमार ने कहा, 'मंत्री जी के गृह नगर से हैं. उम्मीद है हमारा काम हो जाएगा. आवेदन लेकर आए हैं, जिसका ट्रांसफर करना है वह दिव्यांग है.'

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इतना ही नहीं अब कुछ मंत्रियों ने मामला ऑफलाइन-ऑनलाइन के फेर में उलझ दिया है और कह दिया कि सबकुछ डिजिटल करें, सुनवाई नहीं होगी... इसके बावजूद कर्मचारी चक्कर काट रहे हैं. वजह ऑनलाइन में भी तकनीकी खामी, जिसके चलते या तो आवेदन स्वीकार नहीं हो रहे या आगे नहीं बढ़ रहे.

स्वास्थ्य कर्मी रमेश कुमार ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन तो कर दिया है, लेकिन पता नहीं ऑनलाइन आवेदन में भी दिक्कत आ रही है. कभी साइट खुलती है तो कभी नहीं खुलती है... यानी तकनीकी दिक्कत है.

बता दें कि प्रदेश में तबादलों के लिए 1 मई से 30 मई तक का समय निर्धारित किया गया है. 3 साल बाद तबादलों से छूट मिली तो तबादला आवेदनों की संख्या भी तय सीमा से अधिक पहुंच गई है. तबादलों की पूरी प्रक्रिया तो है ही ऑनलाइन, लेकिन लोगों का मानना है कि ऑफलाइन अनुमति मिले बगैर बात नहीं बनेगी. यही कारण है कि आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद उनकी प्रति लेकर मंत्रियों के बंगलों के चक्कर लगा रहे हैं, जबकि सरकार ऑनलाइन पर फोकस किए हुए हैं.

ट्रांसफर पर गरमाई सियासत 

मंत्रियों बंगले से निकल कर आई इन तस्वीरों पर सियासत भी गरमा गई है और  अब विपक्ष अब सरकार को घेर रही है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तंज कसते हुए कहा कि इससे साफ जाहिर है कि मंत्रीगण कुछ नहीं कर पा रहे हैं. सारे तबादले मंत्रालय की पांचवीं मंजिल से हो रहे हैं. कोई पूछ नहीं रहा मंत्रियों से... ना चल रही उनकी. वहीं प्रवक्त बीजेपी दुर्गेश केसवानी का कहना है कि तबादला प्रक्रिया पारदर्शी और ऑनलाइन है. ऐसे में ऑफलाइन आवेदनों का कोई महत्व ही नहीं, जो ऑनलाइन आवेदन करेगा वही मान्य होगा.

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