Maintenance Allowance Case: पत्नी को गुजारा भत्ता न देने पर मैहर के एक भृत्य को जेल भेज दिया गया और बाद में उसे निलंबित भी कर दिया गया. कोर्ट के आदेश का पालन न करने की इस कार्रवाई ने सरकारी सेवकों के लिए एक बड़ी चेतावनी का काम किया है कि न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी भारी पड़ सकती है.
भृत्य के जेल जाने पर हुई कार्रवाई
मैहर के सांदीपनी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भृत्य के पद पर कार्यरत लोकेश कुमार रावत को पत्नी को गुजारा भत्ता न देने के मामले में गिरफ्तार किया गया. अमरपाटन न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश पर 2 दिसंबर को पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर उप जेल मैहर भेज दिया. 48 घंटे से अधिक समय तक जेल में बंद रहने की पुष्टि के बाद विभाग ने उन पर निलंबन की कार्रवाई की.
गुजारा भत्ता न देने पर कोर्ट का सख्त रुख
लोकेश रावत और उनकी पत्नी के बीच तलाक का मामला चल रहा था. अदालत ने आदेश दिए थे कि पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये का गुजारा भत्ता दिया जाए. इसके बावजूद भृत्य ने लंबे समय तक यह राशि नहीं दी, जिसके कारण कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का निर्देश जारी किया. आदेश के पालन में देरी को अदालत ने गंभीर माना और तत्काल हिरासत में लेने की कार्रवाई की गई.
जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के बाद जारी हुआ निलंबन आदेश
उप जेल मैहर के सहायक जेल अधीक्षक ने 4 दिसंबर को पत्र क्रमांक 1284 के माध्यम से पुष्टि की कि भृत्य 48 घंटे से अधिक समय तक अभिरक्षा में रहा. इस रिपोर्ट को आधार मानकर जिला शिक्षा अधिकारी ने निलंबन आदेश जारी कर दिया. आदेश में कहा गया कि जब तक विभागीय जांच पूरी नहीं होती, रावत निलंबित रहेंगे.
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सिविल सेवा नियम क्या कहते हैं?
मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1966 के नियम 9(2)(क) के अनुसार, यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी दंडनीय अपराध में 48 घंटे से अधिक समय के लिए पुलिस या न्यायिक हिरासत में रहता है, तो उसे स्वतः निलंबित किया जाना अनिवार्य है. इसी प्रावधान के तहत लोकेश कुमार रावत का निलंबन किया गया है.
सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा संदेश
इस मामले ने साफ संकेत दिया है कि किसी भी सरकारी सेवक के लिए कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करना गंभीर परिणाम ला सकता है. चाहे मामला निजी जीवन से जुड़ा हो, लेकिन अगर वह कानूनी आदेश से संबंधित है, तो विभागीय कार्रवाई तय रहती है.
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