तीन मुख्यमंत्रियों के मंत्री रह चुके हैं कैलाश विजयवर्गीय, अब मोहन यादव कैबिनेट में भी शामिल

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से विघायक कैलाश विजयवर्गीय भी मोहन यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. इससे पहले वे एक दशक से भी अधिक समय तक सूबे के अलग-अलग मंत्रालयों के मंत्री रह चुके हैं...दिलचस्प ये है कि नई सरकार में वो एकमात्र मंत्री हैं जिन्होंने तीन मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया है और अब चौथे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री बने हैं.

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mp cabinet expansion: भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से विघायक कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayavargiya)भी मोहन यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. इससे पहले वे एक दशक से भी अधिक समय तक सूबे के अलग-अलग मंत्रालयों के मंत्री रह चुके हैं...दिलचस्प ये है कि नई सरकार में वो एकमात्र मंत्री हैं जिन्होंने तीन मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया है और अब चौथे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री बने हैं. कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के उन चंद नेताओं में से हैं जिन्होंने 7 बार विधानसभा चुना लड़ा और एक भी चुनाव नहीं हारे...इस दौरान उन्होंने चार अलग-अलग विधानसभाओं से चुनाव लड़ा. ये भी एक रिकॉर्ड है. मौजूदा चुनाव में वे भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे.

उमा, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में रहे मंत्री

बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय ने 1990 में ही पहला चुनाव जीता था लेकिन वे साल 2000 में मंत्री बने उमा भारती के नेतृत्व वाली सरकार में. वे तब लोक निर्माण विभाग जैसा अहम मंत्रालय के मंत्री बने थे. उन्होंने एक लंबा वक्त इस विभाग में गुजारा.

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इसके बाद वे बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में भी अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालते रहे, हालांकि 2018 में उन्होंने खुद को प्रदेश की सियासत से अलग कर लिया. इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गए. जिसके बाद उनके बेटे आकाश को इंदौर-3 से टिकट दिया गया. कैलाश के प्रभाव की वजह से आकाश भी विधायक बनने में सफल रहे.

देखा जाए तो सियासत के लिहाज से मुख्यमंत्री मोहन यादव से वे काफी सीनियर हैं. 

1983 में पार्षद से शुरू हुआ सफर

कैलाश विजयवर्गीय ने साल 1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए सियासत में इंट्री ली थी. इसके बाद वे 1983 में इंदौर नगर निगम के पार्षद बने. इसके कुछ ही दिनों बाद वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य सचिव भी बना दिए गए. इसके बाद उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा. तब वे इंदौर-4 से चुनावी मैदान में थे. तब उनके सामने कांग्रेस के इकबाल खान थे। कैलाश विजयवर्गीय को इस चुनाव में 48 हजार 413 वोट मिले थे, जबकि इकबाल खान को 22 हजार 811 वोट ही मिले. इस तरह विजयवर्गीय ने 25 हजार 602 वोटों से चुनाव जीता था. इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद कैलाश विजवर्गीय ने  1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज की. अहम ये है कि इस दौरान उन्होंने चार विधानसभाओं इंदौर-4, इंदौर-2, महू और अब इंदौर-1 से चुनाव लड़ा है. 
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